Tax on Gold Jewellery: मम्मी या सासू मां की दी गई ज्वैलरी सिर्फ गिफ्ट नहीं बल्कि परिवार की विरासत होती है। लेकिन अगर अब आप उसे बेचने की सोच रहे हैं, तो यह जानना जरूरी है कि उस पर टैक्स लगेगा या नहीं और अगर हां तो कैसे और कितना?
एक्सपर्ट्स के अनुसार, भले ही आपने ज्वैलरी गिफ्ट या विरासत में पाई हो, जब आप उसे बेचते हैं तो उस पर कैपिटल गेन टैक्स लगता है। इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के अनुसार, यह एक कैपिटल एसेट माना जाता है। आपके लिए होल्डिंग पीरियड की गिनती मूल मालिक यानी मां या सासू मां या जिसने गिफ्ट दी है, उसकी खरीद तारीख से होती है।
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अगर ज्वैलरी की ओरिजिनल खरीद कीमत न पता हो तो क्या होगा?
अगर आपको विरासत में मिली ज्वैलरी की एक्चुअल खरीद रेट नहीं पता है तो ऐसे में 1 अप्रैल 2001 का फेयर मार्केट वैल्यू (FMV) लिया जा सकता है, लेकिन सिर्फ तब, जब 2001 से पहले मिली हो। नहीं तो आप ज्वैलर एसोसिएशन के डेटा और वैल्यूअर सर्टिफिकेट से पता कर सकते हैं।
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ज्वैलरी खरीदने को लेकर नया नियम क्या है?
23 जुलाई 2024 से बड़ा बदलाव हुआ है। अब गोल्ड ज्वैलरी पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) की ड्यूरेशन घटाकर 24 महीने कर दी गई है, जो पहले 36 महीने थी। यानी 2 साल से ज्यादा पुरानी ज्वैलरी बेचने पर LTCG लगेगा।
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गोल्ड ज्वैलरी बेचने पर कितना टैक्स लगता है?
अगर आप विरासत में मिली सोने की ज्वैलरी बेचते हैं, तो उस पर कैपिटल गेन टैक्स लागू होता है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि आपने उसे कितने समय तक होल्ड किया है। अगर ज्वेलरी को बेचने से पहले आपने उसे 24 महीने से कम समय तक रखा है, तो उस पर होने वाला मुनाफा शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाएगा और यह आपकी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्सेबल होगा। अगर आपने ज्वैलरी को 24 महीने या उससे ज्यादा समय तक होल्ड किया है, तो मुनाफा लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) की कैटेगरी में आएगा और इस पर बिना इंडेक्सेशन बेनिफिट के 12.5% टैक्स लगेगा।
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विरासत में मिले सोने के गहने बेचने से पहले क्या जानना जरूरी है?
विरासत में मिली संपत्ति टैक्स फ्री हो सकती है, लेकिन बेचना टैक्सेबल है।
होल्डिंग पीरियड की गिनती हमेशा ओरिजिनल मालिक से होती है।
दस्तावेज नहीं हैं, तो भी वैल्यूएशन कराकर टैक्स क्लियर किया जा सकता है।