2027 तक इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में पैदा होंगी 1.2 करोड़ नौकरियां

भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में 2027 तक 1.2 करोड़ नौकरियां पैदा होने का अनुमान है। इसमें 30 लाख प्रत्यक्ष और 90 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार शामिल हैं। इंजीनियरों, आईटीआई पेशेवरों और AI विशेषज्ञों को बड़ी संख्या में नौकरियां मिलने की उम्मीद है।

नई दिल्ली। भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है। शनिवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार 2027 तक इस क्षेत्र में 1.2 करोड़ नौकरियां पैदा होने का अनुमान है। 30 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और 90 लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से काम मिलेगा।

आने वाले दो साल में करीब 10 लाख इंजीनियरों, 20 लाख आईटीआई -प्रमाणित पेशेवरों और AI, ML और डेटा विज्ञान जैसे क्षेत्रों में 2 लाख विशेषज्ञों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलने की संभावना है। वहीं, गैर-तकनीकी भूमिकाओं से 90 लाख अप्रत्यक्ष नौकरियों का सृजन होने की उम्मीद है। यह जानकारी टीमलीज डिग्री अप्रेंटिसशिप की रिपोर्ट में दी गई है। इससे पता चला है कि भारत के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र की कितनी क्षमता हो सकती है।

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इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में मैन्युफैक्चरिंग आउटपुट 500 बिलियन डॉलर करने का है लक्ष्य

दरअसल, 2030 तक इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में मैन्युफैक्चरिंग आउटपुट 500 बिलियन डॉलर (42.69 लाख करोड़ रुपए) तक ले जाने का लक्ष्य है। इसे पाने के लिए इस क्षेत्र को अगले पांच वर्षों में पांच गुना वृद्धि करनी होगी। इससे 400 बिलियन डॉलर (34.15 लाख करोड़ रुपए) का उत्पादन अंतर पाटा जा सकेगा। वर्तमान में घरेलू उत्पादन 101 बिलियन डॉलर (8.62 लाख करोड़ रुपए) है। इसमें मोबाइल फोन का योगदान 43 प्रतिशत है। इसके बाद उपभोक्ता और औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स का योगदान 12-12 प्रतिशत तथा इलेक्ट्रॉनिक घटकों का योगदान 11 प्रतिशत है।

ऑटो इलेक्ट्रॉनिक्स (8 प्रतिशत), एलईडी लाइटिंग (3 प्रतिशत), वियरेबल्स और हियरेबल्स (1 प्रतिशत) और पीसीबीए (1 प्रतिशत) जैसे उभरते हुए सेगमेंट में भी वृद्धि होने की संभावना है। टीमलीज डिग्री अप्रेंटिसशिप के मुख्य रणनीति अधिकारी सुमित कुमार ने कहा, “भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र तेजी से वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स हब के रूप में खुद को स्थापित कर रहा है। यह वैश्विक विनिर्माण में 3.3 प्रतिशत और वित्त वर्ष 23 में भारत के कुल व्यापारिक निर्यात में 5.3 प्रतिशत का योगदान देता है।”

उन्होंने कहा, "जैसे-जैसे अवसर और रोजगार सृजन बढ़ता है, एक बहुआयामी दृष्टिकोण आवश्यक हो जाता है। इससे भविष्य के लिए वर्कफोर्स तैयार करने के लिए ट्रेनिंग, पुनर्कौशल और कौशल उन्नयन पर विशेष ध्यान दिया जाता है।"

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