ITR: इनकम टैक्स भरते समय गलती से भी न करें ये 6 Mistake, वरना पड़ जाएंगे लेने के देने

Published : Jun 02, 2025, 06:30 PM ISTUpdated : Jun 02, 2025, 06:32 PM IST
ITR filing common mistakes

सार

ITR फाइलिंग की डेडलाइन बढ़कर 15 सितंबर हो गई है। गलत फॉर्म, बजट में बदलावों को नजरअंदाज करना, AIS वेरिफिकेशन न करना जैसी गलतियां भारी पड़ सकती हैं। सही जानकारी के साथ आईटीआर फाइल करें।

Common Mistakes during ITR Filing: बजट 2024 में हुए बड़े बदलावों के बाद वित्त वर्ष 2024-25 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने के लिए आयकर विभाग ने 45 दिनों का एक्सट्रा टाइम दिया है। इस बार 15 सितंबर 2025 तक आईटीआर फाइल किया जा सकता है, पहले इसकी लास्ट तारीख 31 जुलाई थी। बता दें कि ITR भरते समय अब भी लोग कई गलतियां करते हैं, जैसे- गलत कैपिटल गेन्स की जानकारी, हाउस रेंट अलाउंस (HRA) फ्रॉड के अलावा और भी कई तरह की गलतियां भारी पड़ सकती हैं। ऐसे में रिटर्न भरते समय होनेवाली कुछ गलतियों को लेकर सतर्क रहना बेहद जरूरी है। जानते हैं इनके बारे में।

1. गलत ITR फॉर्म चुनना या रिटर्न को स्किप करना

गलत ITR फॉर्म चुनना सबसे आम गलतियों में से एक है। अलग-अलग इनकम सोर्सेस और टैक्सपेयर कैटेगरी के लिए एक स्पेसिफिक ITR फॉर्म की जरूरत होती है। इस साल, ITR-1 फॉर्म का इस्तेमाल अब वे लोग भी कर सकते हैं, जो इक्विटी से 1.25 लाख रुपये तक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) डिक्लेयर करते हैं। हालांकि, हर किसी को ये फॉर्म दाखिल करने से छूट नहीं है। टीडीएस रिफंड का दावा करने वाले या कैपिटल लॉस को कैरीफॉरवर्ड की मंशा रखने वाले लोगों को जीरो नेट टैक्स के साथ ही ITR फाइल करना होगा।

2. बजट 2024 में Tax में हुए बदलावों को इग्नोर करना

बजट 2024 ने ITR फॉर्म और टैक्स रूल्स में बड़े बदलाव किए, खासकर कैपिटल गेन्स के मामले में। 23 जुलाई 2024 के बाद लॉन्गटर्म गेन्स के लिए इंडेक्सेशन बेनिफिट हटा दिए गए हैं और LTCG दर को 12.5% प्रतिशत पर स्टैंडर्डाइज्ड किया गया है। वहीं, शॉर्टटर्म कैपिटल गेन्स (STCG) पर अब 15 से बढ़कर 20% टैक्स लगाया जाता है। न्यू टैक्स रिजीम अब डिफ़ॉल्ट हो गई है और जो लोग ओल्ड टैक्स रिजीम का इस्तेमाल करना चाहते हैं, उन्हें आईटीआर जमा करने से पहले फॉर्म 10-IEEA दाखिल करके स्पष्ट रूप से इससे बाहर निकलना होगा।

3. फॉर्म 26AS और AIS का मिलान न करना

टैक्सपेयर्स को अपने एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) और फॉर्म 26AS को बैंक और एम्प्लॉयर रिकॉर्ड से क्रॉस-चेक करना चाहिए। AIS में डिविडेंड और सिक्युरिटीज ट्रेड से लेकर क्रेडिट कार्ड खर्च और विदेशी खर्च तक सब कुछ शामिल है। तमाम तरह की दिक्कतों से बचने, डुप्लिकेट क्लेम्स को रोकने, रिटर्न और रिफंड की फास्ट प्रॉसेस की सुविधा और टैक्स नोटिस से बचने के लिए ITR के साथ दोनों का मिलान जरूरी है।

4. सभी तरह की इनकम डिक्लेयर न करना

कई टैक्सपेयर्स क्रिप्टो इनकम, फ्रीलांस रेवेन्यू या कैपिटल गेन्स जैसी इनकम को छोड़ देते हैं जो एनुअल इनकम स्टेटमेंट में दिखाई नहीं देती हैं। लोग सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड या ₹50,000 से कम की किराये की इनकम को भी नहीं बताते हैं, खासकर तब जब कोई टीडीएस नहीं काटा जाता है। गलत इनकम दिखाना या कम दिखाने पर कुल टैक्सेबल इनकम का 50 से 200% तक जुर्माना लग सकता है। अगर जानबूझकर ऐसा किया जाए तो मुकदमा भी चलाया जा सकता है।

5. एग्जम्पटेड इनकम को न दिखाना

भले ही पीपीएफ ब्याज, ईपीएफ मैच्योरिटी या खेती-किसानी से होने वाली आय को टैक्स से छूट प्राप्त है, फिर भी उन्हें आईटीआर में डिस्कलोज करना चाहिए। ऐसी इनकम को ITR में न दिखाने पर आपका रिटर्न गलत हो सकता है।

6. फर्जी HRA क्लेम्स

पिछले साल टैक्स ऑफिसर्स ने ऐसे कई मामलों का पर्दाफाश किया, जहां कर्मचारियों ने बढ़े हुए HRA का दावा करने के लिए एक ही PAN का इस्तेमाल किया। कर्मचारियों को रेंट एग्रीमेंट्स, रसीदें और मकान मालिक का PAN (अगर किराया हर साल ₹1 लाख से अधिक है) देना होगा। गलत डॉक्यूमेंट्स पर गलत रिपोर्ट की गई रकम का 200% तक जुर्माना लगाया जा सकता है।

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