
NPS Withdrawal Rules 2025: पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) ने 16 दिसंबर को नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) को लेकर एक बड़ा और राहत भरा ऐलान किया है। ये बदलाव खासतौर पर नॉन-गवर्नमेंट सेक्टर के सब्सक्राइबर्स के लिए किए गए हैं, ताकि रिटायरमेंट के समय लोगों को अपने पैसों पर ज्यादा कंट्रोल, बेहतर लिक्विडिटी और ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी मिल सके। कॉमन स्कीम्स (CS) और मल्टीपल स्कीम फ्रेमवर्क (MSF) के तहत एग्जिट और विदड्रॉल नियमों को पहले से कहीं ज्यादा आसान बना दिया गया है। यह संशोधन उन लाखों प्राइवेट सेक्टर कर्मचारियों, सेल्फ-एम्प्लॉयड प्रोफेशनल्स और बिजनेस ओनर्स के लिए बेहद अहम है, जो NPS को अपने रिटायरमेंट प्लान का मजबूत आधार मानते हैं।
अब तक NPS के नॉन-गवर्नमेंट सब्सक्राइबर्स को रिटायरमेंट के समय अपने कॉर्पस का मैक्सिमम 60% ही एकमुश्त (लंपसम) निकालने की अनुमति थी, जबकि कम से कम 40% रकम से अनिवार्य रूप से एन्युटी खरीदनी पड़ती थी। लेकिन नए नियमों ने इस समीकरण को पूरी तरह बदल दिया है। संशोधित ढांचे के तहत, अगर किसी सब्सक्राइबर का कुल पेंशन कॉर्पस 12 लाख रुपए से ज्यादा है, तो अब केवल 20% राशि एन्युटी में लगानी होगी और 80% रकम लंपसम के तौर पर निकाली जा सकेगी। यह बदलाव रिटायरमेंट के बाद वित्तीय प्लानिंग को ज्यादा आसान और पर्सनल जरूरतों के हिसाब से ढालने वाला है।
PFRDA के नए नियमों में छोटे पेंशन बैलेंस रखने वालों के लिए भी खास राहत दी गई है। अगर किसी सब्सक्राइबर का कुल NPS कॉर्पस 8 लाख रुपये तक है, तो वह पूरी रकम बिना किसी शर्त के 100% लंपसम निकाल सकता है। वहीं, जिनका कॉर्पस 8 लाख से ज्यादा और 12 लाख रुपए तक है, उन्हें भी बड़ा फायदा मिलेगा। ऐसे मामलों में 6 लाख रुपये तक की राशि तुरंत लंपसम के रूप में निकाली जा सकती है, जबकि बची हुई रकम को कम से कम 6 साल की एन्युटी में लगाना होगा। इससे न तो पूरा पैसा लॉक होगा और न ही रिटायरमेंट इनकम पर दबाव पड़ेगा।
इस संशोधन का एक और बड़ा फैक्टर एंट्री और एग्जिट एज में बढ़ोतरी है। अब कोई भी नॉन-गवर्नमेंट सब्सक्राइबर 85 साल की उम्र एनपीएस में निवेश जारी रख सकता है, जब तक कि वह खुद एग्जिट का विकल्प न चुने। पहले यह सीमा काफी कम थी, जिससे देर से रिटायर होने या लंबे समय तक काम करने वालों को परेशानी होती थी। नॉर्मल एग्जिट अब 15 साल की सब्सक्रिप्शन पूरी होने के बाद या 60 साल की उम्र, सुपरएनुएशन या रिटायरमेंट, जो भी पहले हो, पर लिया जा सकता है।
नॉन-गवर्नमेंट NPS सब्सक्राइबर्स के लिए एक और बड़ी राहत यह है कि 5 साल का अनिवार्य लॉक-इन पीरियड हटा दिया गया है। इसका मतलब यह है कि अब जरूरत पड़ने पर लोग ज्यादा फ्लेक्सिबल तरीके से अपने पैसों की प्लानिंग कर सकेंगे। यह कदम NPS को अन्य रिटायरमेंट प्रोडक्ट्स के मुकाबले ज्यादा आकर्षक बनाता है। हालांकि, यह छूट सरकारी कर्मचारियों पर लागू नहीं होगी। उनके लिए पहले की तरह 5 साल का लॉक-इन अनिवार्य रहेगा।
सरकारी कर्मचारियों के लिए NPS के नियम अलग बने रहेंगे। 60 साल की उम्र में नॉर्मल एग्जिट पर, अगर कुल कॉर्पस 5 लाख रुपए से कम है, तो 100% रकम लंपसम निकाली जा सकती है। लेकिन अगर कॉर्पस 5 लाख रुपए से ज्यादा है, तो कम से कम 40% राशि एन्युटी में लगानी होगी और बाकी रकम एकमुश्त मिल सकती है।
अगर कोई सब्सक्राइबर NPS से समय से पहले बाहर निकलता है, तो सामान्य तौर पर कम से कम 80% कॉर्पस एन्युटी में लगाना होगा और अधिकतम 20% लंपसम मिलेगा। लेकिन अगर कुल पेंशन बैलेंस 5 लाख रुपए से कम है, तो पूरी राशि एकमुश्त निकाली जा सकती है। शारीरिक रूप से अक्षम या 75% से अधिक विकलांग सब्सक्राइबर्स के लिए भी एग्जिट का विकल्प उपलब्ध है। उन्हें किसी सरकारी डॉक्टर या सर्जन से मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाकर दिखाना पड़ेगा।
अगर एन्युटी खरीदने या लंपसम निकासी से पहले सब्सक्राइबर की मृत्यु हो जाती है, तो पूरी जमा पेंशन राशि नॉमिनी या कानूनी वारिस को दे दी जाएगी। नागरिकता त्याग (Renunciation of Citizenship) की स्थिति में सब्सक्राइबर अपना NPS अकाउंट बंद कर पूरी राशि लंपसम निकाल सकता है। अगर कोई सब्सक्राइबर लापता है और कानूनन मृत मान लिया जाता है, तो पहले 20% राशि अंतरिम राहत के तौर पर नॉमिनी को दी जाएगी और शेष रकम Bharatiya Sakshya Adhiniyam, 2023 के तहत प्रक्रिया पूरी होने के बाद जारी की जाएगी।