
RBI Monetary Policy August 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय अर्थव्यवस्था में भूचाल ला दिया है। अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए 25% टैरिफ के बीच भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की आगामी मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) की बैठक को लेकर चर्चाएं तेज हैं। बैंक ऑफ बड़ौदा की अर्थशास्त्री दीपन्विता मजूमदार सहित कई वरिष्ठ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि RBI इस बैठक में 'वेट एंड वॉच' (Wait and Watch) की नीति अपनाते हुए मुख्य ब्याज दर यानी रेपो रेट (Repo Rate) को 5.5% पर स्थिर बनाए रख सकता है।
दीपन्विता मजूमदार का मानना है कि RBI ने पहले ही रेपो रेट में पर्याप्त अग्रिम बढ़ोतरी कर दी है। वर्तमान वैश्विक आर्थिक स्थिति अनिश्चित है, ऐसे में डेटा-निर्भर और सतर्क रवैया ही सबसे उपयुक्त रहेगा।
अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि अगर अमेरिका को भारतीय निर्यात (Indian Export to US) में 10% की गिरावट आती है तो भारत के GDP पर लगभग 0.2% तक का नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यह भारत के लिए वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं (Global Supply Chains) में और अधिक एकीकृत होने का अवसर भी हो सकता है। यह खासकर दक्षिण-पूर्व एशिया और श्रम-प्रधान क्षेत्रों में हो सकता।
पिरामल ग्रुप के चीफ इकोनॉमिस्ट देबोप्रम चौधरी ने कहा कि इस बार RBI रेपो रेट को 5.5% पर बनाए रखेगा लेकिन अक्टूबर में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की जा सकती है। साथ ही RBI अगस्त बैठक में अपनी पॉलिसी स्टांस को ‘न्यूट्रल’ से बदलकर फिर से ‘एकॉमोडेटिव’ कर सकता है।
वहीं, बैंकिंग व मार्केट विशेषज्ञ अजय बग्गा ने एक अलग दृष्टिकोण रखते हुए कहा कि RBI के पास इस बार 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की पूरी गुंजाइश है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि अगस्त की बैठक में ही कटौती हो सकती है।
बग्गा ने आगे बताया कि अमेरिकी फेडरल रिज़र्व (US Fed) ने दरों को स्थिर रखा है लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में चेयर पॉवेल के सख्त रुख से सितंबर में कटौती की संभावना घटकर 41% रह गई है। जापान का केंद्रीय बैंक (Bank of Japan) भी फिलहाल दरें स्थिर रखे हुए है।