सब्जी बेची, रिक्शा चलाया..अब IIT, IIM वालों को नौकरी पर रखता है ये बिहारी लड़का

बिहार के दिलखुश कुमार ने 10वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी और सब्जी बेचने से लेकर रिक्शा चलाने तक कई काम किए। लेकिन आज उनकी Rodbez नाम की कैब सर्विस कंपनी है, जिसका टर्नओवर करोड़ों में है। 

बिजनेस डेस्क। आपने स्टार्टअप की कई कहानियां सुनी होंगी, जिनमें लोगों ने एक छोटे-से बिजनेस से करोड़ों की कंपनी खड़ी कर दी। हालांकि, इनमें ज्यादातर लोग बड़े शहरों से ही होते हैं। लेकिन आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे शख्स की जिसने छोटे शहर से निकलकर करोड़ों की कंपनी खड़ी कर दी। जी हां, हम बात कर रहे हैं बिहार के रहनेवाले दिलखुश कुमार की, जिन्होंने Rodbez नाम से एक कंपनी बनाई है।

दिल खुश कर देगी दिलखुश कुमार की कहानी

बिहार के सहरसा जिले के एक छोटे से गांव के रहने वाले दिलखुश कुमार ने सिर्फ 10वीं तक की पढ़ाई की। घर की माली हालत अच्छी नहीं थी, इसलिए पढ़ाई बीच में ही छोड़ उन्होंने कुछ काम-धंधा करने की सोची। दिलखुश के पिता बस ड्राइवर थे। 2008 में 16 साल की उम्र में ही दिलखुश की शादी हो गई, जिसके बाद जिम्मेदारियां काफी बढ़ गई थीं।

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दिलखुश ने जला दिए अपने सारे सर्टिफिकेट

दिलखुश के मुताबिक, मैं सिर्फ मैट्रिक पास था। जब जॉब के लिए इंटरव्यू देने गया तो वहां मुझसे आईफोन का लोगो पहचानने के लिए कहा गया, लेकिन मैं नहीं बता पाया जिसके बाद मुझे वो नौकरी नहीं मिली। वहां से लौटने के बाद दोस्तों-रिश्तेदारों ने नौकरी नहीं मिलने पर मेरा मजाक उड़ाया। इससे मैं इतना दुखी हुआ कि अपने सारे सर्टिफिकेट जला दिए और मन ही मन ठान लिया कि अब कोई नौकरी नहीं करूंगा।

सब्जी बेची-रिक्शा चलाया, लेकिन...

इसके बाद दिलखुश ने सब्जी बेचने का काम शुरू किया। दिनभर में उनकी कमाई 500 रुपए भी नहीं होती थी। कुछ दिन बाद उन्होंने रिक्शा चलाने का काम शुरू किया, लेकिन इससे भी खर्चा चलाना मुश्किल होता था। पिता रोडवेज में ड्राइवर थे, ऐसे में दिलखुश ने एक दिन पापा से कहा कि आप हमें भी ड्राइविंग सिखा दीजिए। पहले तो वो मना करते रहे लेकिन बाद में मेरी जिद के सामने मान गए। इसके बाद मैं गांव में ही 3500 रुपए महीना की ड्राइवर की नौकरी करने लगा। मेरा एक बच्चा है, उसके स्कूल की फीस और पत्नी के खर्चे बढ़ रहे थे, जिसकी वजह से इतने पैसों में गुजारा करना मुश्किल हो रहा था। इसके बाद मैं ज्यादा पैसे कमाने के लिए पटना आ गया और वहां एक साल तक ड्राइविंग की नौकरी की।

पिता के दिखाए वीडियो ने दी प्रेरणा

दिलखुश के मुताबिक, एक बार उसके पिता यूट्यूब पर वीडियो देखकर टाइम पास कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने मुझे साथ में बैठाया और एक वीडियो दिखाया, जिसमें कोडिंग के बारे में सिखाया जा रहा था। मेरे दोस्त अकसर बात करते थे कि कोडिंग सीखेंगे और अपना मोबाइल ऐप बनाएंगे।

दिलखुश ने कैसे खड़ी राइड कंपनी

दिलखुश के मुताबिक, पिता के दिखाए उस वीडियो को देखने के बाद मैंने कोडिंग सीखी और अपना मोबाइल ऐप बनाया। चूंकि मुझे ड्राइविंग पहले से आती थी, इसलिए पिता ने CAB सर्विस शुरू करने का आइडिया दिया। पापा रोडवेज में काम करते थे और बिहार में उसे रोडबेज कहकर बुलाते हैं, इसलिए मुझे अपनी कंपनी का नाम Rodbez रखने का आइडिया भी उन्हीं से मिला।

सबसे पहले सहरसा में शुरू की कैब सर्विस

दिलखुश ने 2022 में सबसे पहले सहरसा में अपनी कंपनी की सर्विस शुरू की। आज उसके पास 20 से ज्यादा टैक्सियां हैं। दिलखुश के बिजनेस के बारे में जानकर मशहूर टीवी शो शार्क टैंक की टीम ने उन्हें बुलाया। शो में दिलखुश ने बताया कि उनकी कंपनी सर्विस कैसे देती है। शार्क टैंक के जजेस को दिलखुश का आइडिया इतना पसंद आया कि उन्होंने Rodbez कैब सर्विस में 20 लाख इन्वेस्ट करने की बात कही। साथ ही 30 लाख रुपये 5% ब्याज पर दो साल के लिए दिलखुश को बतौर लोन दे दिए। इस इन्वेस्टमेंट के साथ ही Rodbez की मार्केट वैल्यू बढ़कर 4 करोड़ हो चुकी है। बता दें कि दिलखुश की टीम में करीब 20 लोग हैं। आज के समय में वो IIT, IIM से पासआउट लोगों को नौकरी पर रखते हैं।

क्या है Rodbez?

Rodbez एक ऑनलाइन राइड बुक करने वाली कंपनी है, जो उबर, ओला की तरह काम करती है। हालांकि, इसकी पहुंच बड़े शहरों के बजाय छोटे शहरों में है। रोडबेज वन-वे टैक्सी, टैक्सी पूलिंग और कारपूल सर्विसेज पर बेस्ड प्लेटफ़ॉर्म है। इसका मकसद वन साइड ट्रैवलिंग पर वापसी के किराए का भुगतान करने की जरूरत को खत्म करना है। ये ज्यादातर उन ग्राहकों को जोड़ता है, जो एक ही डेस्टिनेशन के लिए यात्रा करते हैं।

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