भारतीय स्टेट बैंक (SBI) अपनी सहयोगी यस बैंक में अपनी पूरी 26% हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रहा है। SBI ने मार्च 2020 में संकटग्रस्त बैंक को बचाने के लिए 49% हिस्सेदारी खरीदी थी।
भारत के प्रमुख निजी बैंकों में से एक, यस बैंक में अपनी अधिकांश हिस्सेदारी भारतीय स्टेट बैंक (SBI) बेच सकता है। SBI यह कदम ऐसे समय उठा रहा है जब जापानी बैंक सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉर्पोरेशन (SMBC) यस बैंक में हिस्सेदारी खरीदने की संभावना तलाश रहा है। जापानी बैंक के वैश्विक सीईओ अकिहिरो फुकुटोमी इस सिलसिले में भारत का दौरा कर सकते हैं। SBI के पास यस बैंक में 23.99% हिस्सेदारी है। अकिहिरो फुकुटोमी अपनी भारत यात्रा के दौरान RBI के अधिकारियों के अलावा SBI के अधिकारियों से भी मुलाकात करेंगे। सुमितोमो मित्सुई, जापान का दूसरा सबसे बड़ा बैंक है।
कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां पहले ही यस बैंक में हिस्सेदारी खरीदने में रुचि दिखा चुकी हैं। SMBC के अलावा, दुबई स्थित एमिरेट्स NBD भी यस बैंक का अधिग्रहण करने की दौड़ में है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, SMBC यस बैंक में 51% हिस्सेदारी 42,000 करोड़ रुपये में खरीदने की योजना बना रहा है। 2020 में, SBI ने यस बैंक को वित्तीय संकट से उबारने के लिए उसकी 49% हिस्सेदारी खरीदी थी। इसके बाद, SBI ने अपनी कुछ हिस्सेदारी बेच दी और अब उसके पास यस बैंक में 23.99% हिस्सेदारी बची है। इन शेयरों का मूल्य 18,000 करोड़ रुपये से अधिक है। RBI ने पहले ही SBI को यस बैंक में अपनी हिस्सेदारी बेचने की अनुमति दे दी है। यस बैंक का वर्तमान बाजार पूंजीकरण 76,531 करोड़ रुपये है। SBI के अलावा, ICICI बैंक, HDFC बैंक और 11 अन्य बैंकों के पास यस बैंक में 9.74% हिस्सेदारी है।
यस बैंक संकट
31 मार्च 2014 को बैंक का लोन बुक 55,633 करोड़ रुपये और डिपॉजिट 74,192 करोड़ रुपये था। इसके बाद, लोन बुक में लगभग चार गुना वृद्धि हुई और 30 सितंबर 2019 तक यह 2.25 लाख करोड़ रुपये हो गई। जमा वृद्धि की गति को बनाए रखने में विफलता और बैंक की संपत्ति की गुणवत्ता बिगड़ने के कारण RBI ने बैंक पर नजर रखना शुरू कर दिया। अप्रैल और सितंबर 2019 के बीच, यस बैंक का सकल एनपीए दोगुना होकर 17,134 करोड़ रुपये हो गया। बैंक की स्थिति बिगड़ने पर RBI ने मार्च 2020 में बैंक का अधिग्रहण कर लिया।