ये हैं वर्ल्ड की 10 सबसे कमजोर करेंसी, जानें क्या है इनकी कीमत?

क्या आप जानते हैं दुनिया की सबसे कम मूल्य वाली मुद्राएँ कौन सी हैं? इस लेख में हम आपको ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिंग, स्विस फ्रैंक, अमेरिकी डॉलर जैसी मजबूत मुद्राओं के साथ-साथ, मूल्यह्रास का सामना कर रही मुद्राओं से परिचित कराएंगे।

डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत कितनी है, यह तो आप जानते ही होंगे। दुनिया की सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली मुद्राओं से तो आप परिचित होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सबसे कम मूल्य वाली मुद्राएँ कौन सी हैं? इस लेख में हम आपको ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिंग, स्विस फ्रैंक, अमेरिकी डॉलर जैसी मजबूत मुद्राओं के साथ-साथ, मूल्यह्रास का सामना कर रही मुद्राओं से परिचित कराएंगे. 

मुद्रा  INR मूल्यUSD मूल्य
ईरानी रियाल501.7342105
वियतनामी डोंग 297.7224980
सिएरा लियोनियन लियोन267.3922,439.37
लाओ/लाओशियन किप26322071.02
इंडोनेशियाई रुपिया185.6615581.10
उज़्बेकिस्तानी सोम150.2412608
गिनीयन फ्रैंक102.418594.47
पराग्वेयन ग्वारानी89.887542.86
कम्बोडियन रियाल48.624080.58
युगांडा शिलिंग44.223710.65 

ईरानी रियाल के मूल्यह्रास के पीछे देश की राजनीतिक अस्थिरता, ईरान-इराक युद्ध और परमाणु कार्यक्रम जैसे कई कारण हैं। वहीं, वियतनाम एक केंद्रीकृत अर्थव्यवस्था के तहत काम करता है, और बाजार अर्थव्यवस्था स्थापित करने के प्रयास जारी हैं, लेकिन फिलहाल वियतनामी डोंग का मूल्य काफी कम है।

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1952 में अपनी स्थापना के बाद से ही लाओ मुद्रा का मूल्य लगातार गिरता रहा है। अफ्रीकी देश सिएरा लियोन गंभीर गरीबी का सामना कर रहा है। पश्चिमी अफ्रीका में भ्रष्टाचार और युद्धों का इतिहास रहा है, जिसमें गृहयुद्ध भी शामिल है। इससे देश की मुद्रा और अर्थव्यवस्था दोनों को नुकसान पहुँचा है।

पिछले सात वर्षों से इंडोनेशियाई रुपिया में गिरावट देखी जा रही है। विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट इसका एक कारण है। उज्बेकिस्तान की अर्थव्यवस्था बेहद कमजोर है, जिसके परिणामस्वरूप इसकी मुद्रा का मूल्य गिर रहा है। गिनी की आधिकारिक मुद्रा, गिनीयन फ्रैंक, का मूल्य साल दर साल कम होता जा रहा है। इसके पीछे व्यापक भ्रष्टाचार और राजनीतिक अस्थिरता प्रमुख कारण हैं। 

उच्च मुद्रास्फीति, भ्रष्टाचार, उच्च बेरोजगारी और बढ़ती गरीबी के कारण पराग्वेयन ग्वारानी का मूल्य में भारी गिरावट आई है। वहीं, कमजोर कम्बोडियन रियाल के पीछे मुख्य कारण देश का उच्च डॉलरीकरण है। देश में प्रचलन में 90% पैसा अमेरिकी डॉलर है। वर्तमान में, युगांडा शिलिंग दुनिया की सबसे सस्ती मुद्राओं में से एक है। युगांडा की अर्थव्यवस्था अप्रवासी कानूनों जैसी नीतियों के कारण चरमरा गई है, जिससे इसकी मुद्रा का मूल्य कम हो गया है। 

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