Goods and Services Tax: आप कोई कारोबार चला रहें हो या नौकरीपेशा या किसान। भारत में हर किसी को GST के रूप में टैक्स देना होता है। साबुन से लेकर चिप्स तक GST रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले अधिकतर सामानों पर लिया जाता है। आइए जानते हैं यह किस तरह का टैक्स है। इसे किस तरह सरकार लेती है।
GST (Goods and Services Tax) एक वैल्यू-ऐडेड टैक्स (VAT) है। यह घरेलू इस्तेमाल के लिए बेचे जाने वाले अधिकांश सामानों और सेवाओं पर लगाया जाता है। GST का भुगतान कंज्यूमर द्वारा किया जाता है। सामान या सेवा बेचने वाली कंपनी या कारोबारी इसे सरकार को भेजते हैं। जैसे अगर आप एक साबुन खरीदते हैं तो आप साबुन की कीमत के साथ GST भी देते हैं। GST के रूप में वसूले गए पैसे साबुन बनाने वाली कंपनी सरकार को भेजती है।
गरीब हो या अमीर GST सभी को देना होता है। गरीब या मध्यम आय को इससे राहत नहीं मिलती। आलोचकों का कहना है कि GST के चलते अमीर और गरीब के बीच की खाई और गहरी होती है। इन चिंताओं को दूर करने के लिए कुछ देशों ने अनाज और खाने पीने के सामानों व स्वास्थ्य सेवा जैसी आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी छूट या कम जीएसटी दरें शुरू की हैं। कुछ देशों ने कम आय वाले परिवारों पर जीएसटी के प्रभाव को कम करने में मदद करने के लिए जीएसटी क्रेडिट या छूट की सुविधा दी है।
GST इनडायरेक्ट फेडरल सेल्स टैक्स है। यह कुछ वस्तुओं और सेवाओं की लागत पर लगाया जाता है। व्यवसाय प्रोडक्ट की कीमत में जीएसटी जोड़ता है। प्रोडक्ट खरीदने वाला ग्राहक जीएसटी सहित बिक्री मूल्य का भुगतान करता है। जीएसटी का हिस्सा व्यवसाय या विक्रेता द्वारा एकत्र किया जाता है और सरकार को भेज दिया जाता है। इसे कुछ देशों में मूल्य वर्धित कर (VAT) भी कहा जाता है।
GST लगाने वाले अधिकांश देशों में सिंगल यूनिफाइड GST सिस्टम है। इसमें पूरे देश में एक ही टैक्स रेट लागू होता है। GST प्लेटफॉर्म वाले देश केंद्रीय करों (जैसे, बिक्री कर, उत्पाद शुल्क कर और सेवा कर) को राज्य-स्तरीय करों (जैसे, मनोरंजन कर, प्रवेश कर, स्थानांतरण कर, पाप कर और विलासिता कर) के साथ मिला देते हैं। उन्हें एक ही टैक्स के रूप में एकत्र करते हैं। करीब हर चीज पर एक ही दर से टैक्स लगाया जाता है।
फ्रांस GST लागू करने वाला पहला देश है। यहां यह टैक्स सिस्टम 1954 में लागू हुआ था। इसके बाद करीब 140 देशों ने GST को अपनाया। GST लागू करने वाले देशों में कनाडा, वियतनाम, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, यूनाइटेड किंगडम, स्पेन, इटली, नाइजीरिया, ब्राजील और भारत शामिल हैं।
कनाडा और ब्राजील जैसे कुछ देशों में दोहरी जीएसटी संरचना है। यूनिफाइड GST इकोनॉमी में केंद्र सरकार टैक्स वसूलती है और राज्यों के बीच पैसे बांटती है। दोहरी प्रणाली में स्थानीय बिक्री कर के अतिरिक्त फेडरल जीएसटी लागू किया जाता है। जैसे-कनाडा में केंद्र सरकार 5% टैक्स लगाती है और कुछ प्रांत प्रांतीय बिक्री कर (PST) भी लगाते हैं। यह 8% से 10% तक होता है।
GST को आम तौर पर प्रतिगामी कर (regressive tax) माना जाता है। यह अधिक आमदनी वाले परिवारों से कम आमदनी वाले परिवार की तुलना में कम टैक्स प्रतिशत लेता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जीएसटी आय या संपत्ति पर नहीं बल्कि वस्तुओं और सेवाओं के उपभोग पर समान रूप से लगाया जाता है।
निम्न आय वाले परिवार अपनी आय का बड़ा हिस्सा खाद्य पदार्थों और घरेलू सामान जैसे उपभोग्य सामग्रियों पर खर्च करते हैं। ये सभी जीएसटी के अधीन हैं। इसके चलते निम्न आय वाले परिवारों पर टैक्स का बोझ पड़ता है। इस वजह से GST लगाने वाले कुछ देशों ने संभावित एडजस्टमेंट पर विचार किया है, जो अधिक आमदनी वाले लोगों से ज्यादा टैक्स लेकर GST को प्रगतिशील बना सकते हैं।
भारत में 2017 में डुअल GST स्ट्रक्चर लागू हुआ था। यह दशकों में इंडिया के टैक्स स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव था। GST लगाने का उद्देश्य टैक्स पर टैक्स और दोहरा टैक्स लगाए जाने को खत्म करना था। यह मैन्युफैक्चरिंग लेवल से उपभोग स्तर तक लागू होता है।
उदाहरण के लिए नोटबुक बनाने वाला कोई निर्माता 10 रुपए में कच्चा माल खरीदता है, जिसपर 10 फीसदी टैक्स लिया जा रहा है। वह 9 रुपए के सामान के साथ 1 रुपए टैक्स देता है। नोटबुक बनाने में निर्माता मूल सामग्री में 5 रुपए का मूल्य जोड़ता है। इससे कुल कीमत 10 रुपए + 5 रुपए = 15 रुपए होती है। तैयार सामान पर 10% टैक्स लगता है तो यह 1.50 रुपए होगा। GST सिस्टम में पहले चुकाए गए टैक्स को इस अतिरिक्त टैक्स से घटाया जा सकता है।
इससे प्रभावी टैक्स रेट 1.50 रुपए- 1.00 रुपए = 0.50 रुपए हो जाती है। थोक विक्रेता 15 रुपए में नोटबुक खरीदता है। इसे खुदरा विक्रेता को 2.50 रुपए के मार्कअप मूल्य पर 17.50 रुपए में बेचता है तो नोटबुक की कुल कीमत पर 10% टैक्स 1.75 रुपए होगा। इसे थोक विक्रेता निर्माता से मूल लागत मूल्य पर कर के विरुद्ध लागू कर सकता है (यानी, 15 रुपए)। इस प्रकार, थोक विक्रेता की प्रभावी कर दर 1.75 रुपए - 1.50 रुपए = 0.25 रुपए होगी।
इसी तरह, अगर रिटेलर का मार्जिन 1.50 रुपए है तो उसकी प्रभावी टैक्स रेट (10% x 19 रुपये) - 1.75 रुपये = 0.15 रुपए होगी। निर्माता से रिटेलर तक कुल टैक्स 1 रुपए + 0.50 रुपए + 0.25 रुपए + 0.15 रुपए = 1.90 रुपए होगा।
0%- खाने के कुछ सामानों, किताबें, न्यूज पेपर, घरेलू सूती कपड़े और होटल सेवाओं पर।
0.25%- कटे हुए और सेमी-पॉलिश पत्थरों पर।
5%- चीनी, मसाले, चाय और कॉफी जैसे घरों में इस्तेमाल होने वाला सामानों पर।
12%- चिप्स, कुरकुरे जैसे प्रोसेस्ड फूड और कंप्यूटर पर।
18%- बाल में लगाने वाला तेल, तूथपेस्ट और साबुन जैसे सामान पर।
28%- रेफ्रिजरेटर, सिरेमिक टाइलें, सिगरेट, कार और मोटरसाइकिल जैसे लक्जरी प्रोडक्ट्स पर।
GST लगाने से पहले उत्पादन प्रक्रिया के हर चरण में वस्तुओं के मूल्य और मार्जिन पर टैक्स लिया जाता था। इससे कुल टैक्स राशि अधिक हो जाती थी। इससे अंतिम उपभोक्ता को ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते थे। भारत GST लंबे समय तक महंगाई पर लगाए रखने के लिए लागू किया गया था।
कई बार लोग GST और GSTT (Generation-Skipping Transfer Tax) के बीच कन्फ्यूज होते हैं। दोनों अलग-अलग तरह के टैक्स हैं। ये एक दूसरे से बिल्कुल भी संबंधित नहीं हैं। GST एक तरह का VAT टैक्स है। यह वस्तुओं या सेवाओं की खरीद पर लगाया जाता है। वहीं, GSTT एक फ्लैट 40% फेडरल टैक्स है। यह केंद्र सरकार द्वारा लिया जाता है। यह टैक्स किसी व्यक्ति की संपत्ति से उस लाभार्थी को विरासत के हस्तांतरण पर लगाया जाता है जो दाता से कम से कम 37½ वर्ष छोटा हो। GSTT धनी लोगों को युवा लाभार्थियों जैसे पोते-पोतियों को नामित करके संपत्ति कर से बचने से रोकता है।
GST भुगतान उपभोक्ता या वस्तुओं या सेवाओं के खरीदार को करना होता है। कुछ प्रोडक्ट जैसे कृषि या स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र GST से मुक्त हो सकते हैं।
GST की गणना किसी वस्तु या सेवा की कीमत को जीएसटी टैक्स रेट से गुणा करके की जाती है। उदाहरण के लिए, यदि जीएसटी 5% है तो 100 रुपए के कैंडी बार की कीमत 105 रुपए होगी।
GST टैक्स वसूल करने के सिस्टम को सरल बनाता है। यह अलग-अलग टैक्स को एक साथ लाकर सरल टैक्स सिस्टम बनाता है। इससे व्यवसायों के लिए टैक्स देना आसान होता है। टैक्स चोरी से जुड़े भ्रष्टाचार कम करता है।
VAT (Value-added tax) और GST (Goods and Services Tax) एक तरह के टैक्स हैं। इन्हें वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री पर लगाया जाता है। VAT और GST दोनों इनडायरेक्ट टैक्स है। इसका मतलब है कि लोग सीधे पैसा सरकार को नहीं देते। आप जो सामान खरीदते हैं उसपर टैक्स के रूप में दिया गया पैसा पहले बिजनेस द्वारा जुटाया जाता है फिर उसे सरकार को भेजा जाता है।
हालांकि VAT और GST में कुछ अंतर हैं। VAT का मुख्य रूप से यूरोपीय देशों में लगाया जाता है। इसे प्रोडक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन प्रोसेस के प्रत्येक चरण में एकत्र किया जाता है। दूसरी ओर GST दुनिया भर के देशों में लगाया जाता है। इसे उपभोक्ता को बिक्री के अंतिम बिंदु पर एकत्र किया जाता है।
VAT आम तौर पर GST की तुलना में वस्तुओं और सेवाओं की एक व्यापक श्रेणी पर लागू किया जाता है। वैट और जीएसटी की दरें बेची जाने वाली वस्तुओं या सेवाओं के प्रकार और देश के अनुसार अलग-अलग हो सकती हैं।