
Deepinder Goyal Inspiring Life Story: IDFC फर्स्ट प्राइवेट बैंकिंग और हुरुन इंडिया की हाल में ही आई टॉप 200 सेल्फ मेड एंटरप्रेन्योर ऑफ द मिलेनिया 2025 रिपोर्ट में जोमैटो की पेरेंट कंपनी इटरनल के फाउंडर दीपिंदर गोयल देश के सबसे बड़े सेल्फ मेड एंटरप्रेन्योर बने हैं। उनकी कंपनी की वैल्यूएशन 27% सालाना ग्रोथ के साथ 3.2 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गई है। जोमैटो बनाने वाले दीपिंदर गोयल की कहानी किसी चमकदार स्टार्टअप फेयरी टेल जैसी नहीं है। न बड़े शहर का बैकग्राउंड, न नामी स्कूल-कॉलेज की चमक, फिर भी आज वो इस मुकाम पर पहुंच गए हैं। पढ़िए उनके सक्सेस की अनसुनी कहानी...
दीपिंदर गोयल स्कूल में एवरेज से भी कमजोर स्टूडेंट हुआ करते थे। 1983 में पंजाब के छोटे से शहर मुक्तसर में जन्मे दीपिंदर को लेकर किसी को नहीं लगता था कि वह कुछ बड़ा कर पाएगा। हालात इतने खराब थे कि 5वीं क्लास में वह फेल हो गए थे। उनके पिता को प्रिंसिपल से रिक्वेस्ट करनी पड़ी, ताकि उन्हें कुछ नंबर देकर अगली क्लास में प्रमोट किया जा सके। 8वीं क्लास की पहली तिमाही परीक्षा में दीपिंदर फिर बिना तैयारी के पहुंचे। शायद फेल होने वाले थे, लेकिन परीक्षा कक्ष में मौजूद एक टीचर ने मदद कर दी। नतीजा वह क्लास के टॉप 3 में आ गए लेकिन अगली बार कोई मदद नहीं मिली। मजबूरी में दीपिंदर ने एक रात पढ़ाई की और फिर भी क्लास में 5वीं पोजिशन हासिल किया। यहीं से उन्होंने समझ लिया कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं।
टॉपर बनने के बाद अगला स्टेप IIT था। चंडीगढ़ के कोचिंग सेंटर में पहुंचे दीपिंदर खुद को सबसे कमजोर मानने लगे। आसपास के बच्चे सालों से तैयारी कर रहे थे। उन्हें लगने लगा कि वह JEE कभी क्लियर नहीं कर पाएंगे। लेकिन किस्मत ने फिर करवट ली। बोर्ड परीक्षा के बाद JEE में दो महीने बचे थे। दीपिंदर ने अपने फेवरेट सब्जेक्ट फिजिक्स की किताब उठाई और पूरी किताब सॉल्व कर डाली। जब उन्होंने दोस्तों को बताया, तो किसी ने यकीन नहीं किया। लेकिन परीक्षा में उन्होंने वो कर दिखाया, जो कई लोग दो साल में करते हैं। उन्होंने दो महीने की तैयारी में ही JEE क्रैक कर लिया।
दीपिंदर को IIT दिल्ली में एडमिशन मिला, लेकिन कॉलेज पहुंचकर डिप्रेशन में चले गए। यहां मुकाबला देश के बेस्ट दिमागों से था। तभी उन्होंने एक फैसला लिया कि उन्हें मुकाबला नहीं करना, उन्हें कुछ बनाना है। दीपिंदर कहते हैं, उन्होंने स्टार्टअप इसलिए शुरू किया क्योंकि, वे रैट रेस का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे। तुलना उन्हें नकारात्मक लगती थी। उनका फोकस सिर्फ एक था,अपना रास्ता खुद बनाना।
बहुत कम लोग जानते हैं कि दीपिंदर हकलाते हैं। इसी वजह से वह पब्लिक स्पीकिंग और स्टेज से दूर रहते हैं। वह मानते हैं कि बोलने में उन्हें बहुत एनर्जी लगती है, इसलिए वह कम बोलते हैं और ज्यादा काम करते हैं। लोग उन्हें घमंडी समझते रहे, लेकिन दीपिंदर ने उन्हें खामोशी से काम करके जवाब दिया।
दीपिंदर का सफर साल 2008 में शुरू हुआ, जब उन्होंने एक छोटा सा स्टार्टअप शुरू किया। यह रेस्टोरेंट के मेन्यू ऑनलाइन अपलोड करने का आइडिया था। मकसद सिर्फ इतना था कि लोगों को खाना ढूंढने में आसानी हो। उसी छोटे से आइडिया ने आगे चलकर जोमैटो (Zomato) का रूप लिया, जो आज भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों में फूड डिस्कवरी का बड़ा नाम है। आज दीपिंदर सिर्फ जोमैटो के फाउंडर नहीं हैं। वह भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूत करने में भी बड़ा रोल निभा रहे हैं। अब तक वे कई स्टार्टअप्स में निवेश कर चुके हैं।
मार्च 2023 तक दीपिंदर, अर्बन कंपनी (Urban Company) के बोर्ड में थे, लेकिन अगस्त 2022 में जोमैटो ने ब्लिंकिट के 568 मिलियन डॉलर के अधिग्रहण के बाद उन्होंने होम सर्विस सेगमेंट में कदम रखा और अर्बन कंपनी से बाहर निकलने का फैसला लिया। उनका फोकस पूरी तरह नए विजन पर था।
कोरोना महामारी के दौरान जब लाखों लोग संकट में थे, तब दीपिंदर ने एक ऐसा कदम उठाया, जिसने उन्हें सिर्फ बिजनेसमैन नहीं, बल्कि संवेदनशील लीडर के रूप में पहचान दिलाई। उन्होंने जोमैटो फ्यूचर फाउंडेशन (Zomato Future Foundation) को 700 करोड़ रुपए के शेयर दान किए, ताकि डिलीवरी पार्टनर्स के बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाया जा सके। इसके बाद उन्होंने 'रेस्ट पॉइंट्स' (Rest Points) बनाने की घोषणा की, जो ऐसी जगहें थी, जहां गिग वर्कर्स आराम कर सकें। खास बात यह है कि ये सुविधाएं सिर्फ जोमैटो के लिए नहीं, बल्कि सभी कंपनियों के वर्कर्स के लिए होंगी।