
बिजनेस डेस्क। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने बैंकों की सेहत में सुधार पर चर्चा करते हुए कहा कि नॉन परफॉर्मिंग असेट्स यानी एनपीए (Bank NPA) में कमी देखने को मिली है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार पिछली सरकारों में जमा हुए कुल एनपीए में से 5 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा वापस ला चुकी है। एनपीए कम करने के काफी प्रयास हुए हैं ताकि बैंकों को एक बार फिर से खड़ा किया जा सके। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर उन्होंने और क्या जानकारी दी।
जो सरकार वापस लाई 5 लाख करोड़ से ज्यादा
अशोका होटल में सेमिनार को संबोधित करते हुए बैंक एनपीए के मुद्दे पर बात करते हुए कहा कि जब कोई बैंक का कर्ज लेकर भाग जाता है तो उसकी खूब चर्चा होती है। लेकिन जब एक साहसी सरकार उन्हें वापस लाती है, तो कोई इस पर चर्चा नहीं करता है। पिछली सरकार के शासन के दौरान हुए लाखों-करोड़ों रुपये में से 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक की वसूली की गई है।
2014 से पहले कर लिया था रोडमैप तैयार
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमने 2014 से पहले सभी मुद्दों के समाधान के लिए रोडमैप तैयार किया। हमने एनपीए के मुद्दे को उठाया और बैंकों को रीकैपेटिलाइज किया। बैंकों की ताकत बढ़ाने के साथ आईबीसी जैसे सुधार लाए, कानूनों में सुधार किया, ऋण वसूली न्यायाधिकरण को मजबूत किया: पी 'निर्बाध क्रेडिट प्रवाह और आर्थिक विकास के लिए सिनर्जी बनाएं'।
2018 से लगातार कम हो रहा है बैंक एनपीए
अगर बात बैंक एनपीए रिकॉर्ड की करें तो www.statista.com की 17 अगस्त 2021 को एक रिपोर्ट आई थी । जिसमें बताया गया था कि वित्तीय वर्ष 2021 में पीएसयू बैंकों पर 6.17 लाख करोड़ रुपए एनपीए का बोझ है। वैसे 2018 के मुकाबले यह बोझ काफी कम हुआ है। 2018 में बैंक एनपीए का आंकड़ा करीब 9 लाख करोड़ रुपए का था। जोकि फाइनेंशियल ईयर 2019 में 7.4 लाख करोड़ रुपए पर आ गया। वित्त वर्ष 2020 में एनपीए की वैल्यू 6.78 लाख करोड़ रुपए रह गई थी।
चार साल में बैंक एनपीए की स्थिति
| वित्त वर्ष | बैंक एनपीए (लाख करोड़ रुपए में) |
| 2018 | 8.96 |
| 2019 | 7.4 |
| 2020 | 6.78 |
| 2021 | 6.17 |
और भी कहीं बातें
उससे पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार ने बीते 6-7 वर्षों में बैंकिंग सेक्टर में जो सुधार किए, बैंकिंग सेक्टर का हर तरह से सपोर्ट किया, उस वजह से आज देश का बैंकिंग सेक्टर बहुत मज़बूत स्थिति में है। उन्होंने कहा कि हम IBC जैसे रिफॉर्म्स लाए, अनेक क़ानूनों में सुधार किए, ऋण वसूली न्यायाधिकरण को सशक्त किया। कोरोना काल में देश में एक समर्पित स्ट्रेस्ड एसेट मैनेजमेंट वर्टिकल का गठन भी किया गया। इसके अलावा उन्होंने कहा कि आज भारत के बैंकों की ताकत इतनी बढ़ चुकी है कि वो देश की इकॉनॉमी को नई ऊर्जा देने में, एक तेज़ी से आगे में, भारत को आत्मनिर्भर बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
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