आखिर क्यों रतन टाटा को अपनी ही कंपनी में काम करना लगता था समय की बर्बादी?

रतन टाटा ने बताया की जब उन्होंने 1991 टाटा इंडस्ट्रीज के चेयरमैन के रूप में अपना काम संभाला तो टाटा संस में कई लोगों ने जेआरडी टाटा के इस फैसले की आलोचना की और उन पर भाई-भतीजावाद को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया था

Asianet News Hindi | Published : Feb 20, 2020 3:20 PM IST

मुंबई: रतन टाटा आजकल काफी सुर्खियों में रहते हैं हर हफ्ते उनसे जुड़ी कोई बात या फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो जाती है। हाल ही में रतन टाटा ने खुलासा किया कि जब उन्होंने जेआरडी (Jehangir Ratanji Dadabhoy Tata) के बाद टाटा समूह के चेयरमैन के रूप में पद संभाला था, तब उन्हें काफी आलोचना का सामना करना पड़ा। 

रतन टाटा ने बताया की जब उन्होंने 1991 टाटा इंडस्ट्रीज के चेयरमैन के रूप में अपना काम संभाला तो टाटा संस में कई लोगों ने जेआरडी टाटा के इस फैसले की आलोचना की और उन पर भाई-भतीजावाद को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया था।

जेआरडी टाटा पर किए गए व्यक्तिगत हमले

ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे के साथ एक इंटरव्यू में, रतन टाटा ने कहा, "कंपनी में उस पद के लिए बहुत दावेदार थे, इस वजह से काफी सारी समस्याएं थी, उनमें से अधिकतर लोगों को यह लग रहा था जेआरडी टाटा ने गलत फैसला लिया है। मैं पहले भी इससे स्थिति से गुजर चूका हूं, इसलिए मैंने वही किया जो मुझे करना चाहिए था - मैने इस मुद्दे पर मौन बनाए रखा और खुद को साबित करने पर फोकस किया।” रतन टाटा ने बताया कि ''अगर आप उस समय का कोई भी अखबार उठाएंगे तो आपको मालूम होगा की उस समय जेआरडी टाटा पर कितने व्यक्तिगत हमले किए गए थे। और उन पर भाई-भतीजावाद को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया था।''

टाटा मोटर्स में काम करना लगता था समय की बर्बादी

उन्होंने यह भी कहा कि जब वह अपनी दादी के साथ समय बिताने के लिए भारत आए, तो उन्होंने जल्द ही जमशेदपुर में टाटा मोटर्स में इंटर्नशिप शुरू कर दी, जो शुरू में उन्हें समय की बर्बादी लगती थी। उन्होंने कहा कि “मुझे कई सारे डिपार्टमेंट में भेजा गया था, लेकिन किसी ने भी मुझे यह नहीं बताया था कि मुझे क्या करना है! मुझे लगता है, मुझे एक परिवार के सदस्य के रूप में देखा जा रहा था, इसलिए किसी ने मुझे कुछ नहीं कहा - लेकिन मैं 6 महीने तक खुद को कंपनी के लिए उपयोगी बनाने के लिए कोशिश करता रहा।''

जो हमें सेवा देते है हम उनकी सेवा करते हैं

रतन टाटा कहतें है कि ''टाटा स्टील में शिफ्ट होने के बाद ही मुझे स्पेशल काम मिला और मेरी नौकरी दिलचस्प हो गई।'' यह वो समय था कि रतन टाटा ने एक और सबक सीखा - जब उन्होंने जमीनी स्तर पर काम किया और अपने आसपास काम करने वालों की दुर्दशा को समझा। "वर्षों बाद, जब हमें टाटा स्टील में  38,000 लोगों को नौकरी से निकलना पड़ा तो हमने यह सुनिश्चित किया कि उनके सारी सैलरी का पेमेंट सही से किया गया है - यह हमारे डीएनए का एक जरूरी हिस्सा है की ''जो हमें सेवा देते है हम उनकी सेवा करते हैं।" 

रतन टाटा ने जेआरडी टाटा के बारे में बात करके और एक घटना को याद करते हुए इंटरव्यू को खत्म किया, जहां उन्होंने कहा की वो अपने मेंटर ( गुरु) जेआरडी टाटा का पद लेने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा, "मैं उनके लिए भाग्यशाली था। वह मेरे सबसे बड़े गुरु थे। वह मेरे लिए पिता और भाई की तरह थे और इससे ज्यादा मैं उनके बारे में कुछ नहीं कह सकता।"
 

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