डेलॉयट के पार्टनर देबाशीष मिश्रा ने ब्लूमबर्ग टीवी के हसलिंडा अमीन और रिशाद सलामत के साथ एक इंटरव्यू में कहा कि राज्य चुनावों के कारण, फ्यूल की रिटेल प्राइस (Fuel Price in India) में इजाफा देखने को नहीं मिला है। उन्हें उम्मीद है कि कंपनियां फ्यूल प्राइस की कीमत (Fuel Price) में (11-12 सेंट्स) कीमतों में 8-9 रुपए की बढ़ोतरी करेंगी।
बिजनेस डेस्क। देश के लोगों को फ्यूल प्राइस (Fuel Price in India) में इजाफे का इंतजार ज्यादा लंबा नहीं करना होगा। एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि असेंबली इलेक्शन (Assembly Election 2022) के बाद यानी 10 मार्च के फ्यूल कंपनियां 9 रुपए तक का इजाफा कर सकती हैं। डेलॉयट टौच तोहमात्सु इंडिया (Deloitte Touche Tohmatsu India) ने कहा है कि देश में फ्यूल प्राइस अगले महीने स्थानीय चुनाव समाप्त होने के बाद बढ़ेंगे। जिससे भारत सरकार और केंद्रीय बैंक पर महंगाई को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाने का दबाव बढ़ जाएगा। आपको बता दें कि देश में तीन महीने से ज्यादा समय बीत चुका है, और फ्यूल प्राइस में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला है।
9 रुपए तक का इजाफा
डेलॉयट के पार्टनर देबाशीष मिश्रा ने ब्लूमबर्ग टीवी के हसलिंडा अमीन और रिशाद सलामत के साथ एक इंटरव्यू में कहा कि राज्य चुनावों के कारण, फ्यूल की रिटेल प्राइस में इजाफा देखने को नहीं मिला है। उन्हें उम्मीद है कि कंपनियां फ्यूल प्राइस की कीमत में (11-12 सेंट्स) कीमतों में 8-9 रुपए की बढ़ोतरी करेंगी। यह प्रक्रिया 10 मार्च के बाद से शुरू हो सकती है।
इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल के दाम
इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमत में उछाल के बाद भी इंडियन ऑयल कॉर्प, भारत पेट्रोलियम कॉर्प और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्प ने फ्यूल प्राइस को पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों को देखते हुए तीन महीने से अधिक समय से गैसोलीन और डीजल की कीमतें स्थिर रखा हुआ है। यह तीनों कंपनियां घरेलू बाजार के 90 फीसदी से अधिक फ्यूल मार्केट को नियंत्रित करती हैं। मौजूदा समय में इंटरनेशनल मार्केट में ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम 90 डॉलर प्रति बैरल पर है। इसी क्रूड ऑयल का इस्तेमाल भारत सबसे ज्यादा करता है। जबकि डब्ल्यूटीआई के दाम भी 89-90 डॉलर के बीच में है।
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डिस्पोजेबल इनकम को करती है प्रभावित
मिश्रा ने कहा कि जब फ्यूल प्राइस में इजाफा होता है तो सरकार टैक्स में कटौती करके आम लोगों को राहत देने का प्रयास करती है। वहीं उन्होंने कहा कि तेल की कीमतों में इजाफा किसी भी देश में डिस्पोजेबल इनकम को प्रभावित करके सरकार के लिए एक समस्या पैदा करती है जहां प्राइवेट कंप्जंपशन जीडीपी का करीब 60 फीसदी है। केंद्रीय बैंक के लिए, उच्च तेल की कीमतों का मतलब महंगाई से होता है।
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भारत की जीडीपी को होगा नुकसान
मिश्रा ने कहा कि तेल की कीमत में हर 10 डॉलर की वृद्धि से भारत की आर्थिक वृद्धि 0.3 फीसदी से 0.35 फीसदी तक प्रभावित होगी। मिश्रा ने कहा, "अगर क्रूड ऑयल के दाम 100 से ज्यादा होते हैं, इंडियन मैक्रो इकोनॉमी के लिए वास्तव में बहुत सारी चुनौतियां होंगी। यह निश्चित रूप से देश चालू खाते के घाटे को बढ़ाएगा। यह रिटेल महंगाई में इजाफा करेगा और भारत को नुकसान पहुंचाएगा।