AGR Case: सुप्रीम कोर्ट ने टेलिकॉम कंपनियों को लगाई फटकार कहा, कोर्ट से सभी कंपनी के MD को भेज देंगे जेल

Published : Mar 18, 2020, 03:12 PM ISTUpdated : Mar 18, 2020, 03:19 PM IST
AGR Case: सुप्रीम कोर्ट ने टेलिकॉम कंपनियों को लगाई फटकार कहा, कोर्ट से सभी कंपनी के MD को भेज देंगे जेल

सार

उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल 24 अक्टूबर को शीर्ष अदालत में निर्धारित बकाया समेकित सकल राजस्व (एजीआर) का स्व-मूल्यांकन या फिर से आकलन करने के लिये केन्द्र और दूरसंचार कंपनियों को बुधवार को आड़े हाथ लिया

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल 24 अक्टूबर को शीर्ष अदालत में निर्धारित बकाया समेकित सकल राजस्व (एजीआर) का स्व-मूल्यांकन या फिर से आकलन करने के लिये केन्द्र और दूरसंचार कंपनियों को बुधवार को आड़े हाथ लिया।

न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने एजीआर के मुद्दे पर लगातार समाचार पत्रों में प्रकाशित हो रहे लेखों पर नाराजगी वयक्त की और कहा कि इन सभी दूरसंचार कंपनियों के प्रबंध निदेशकों को व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया जायेगा और भविष्य में समाचार पत्रों में ऐसे किसी भी लेख के लिये उन्हें न्यायालय की अवमानना का दोषी ठहराया जायेगा। जरूरत पड़ी तो हम सभी टेलीकॉम कंपनियों के एमडी को कोर्ट बुलाकर यहीं से जेल भेज सकते हैं।

केन्द्र के आवेदन पर विचार करने से इंकार 

पीठ ने दूरसंचार कंपनियों को एजीआर की बकाया राशि का भुगतान 20 साल में करने की अनुमति देने के लिये केन्द्र के आवेदन पर विचार करने से इंकार कर दिया। पीठ ने कहा कि इस आवेदन पर दो सप्ताह बाद विचार किया जायेगा।

पीठ ने सारे घटनाक्रम पर नाराजगी व्यक्त करते हुये कहा कि दूरसंचार कंपनियों द्वारा एजीआर के स्व-मूल्यांकन की अनुमति देकर हम न्यायालय के अधिकारों का अतिक्रमण करने की इजाजत नहीं दे सकते। पीठ ने कहा कि न्यायालय ने दूरसंचार कंपनियों की दलीलें विस्तार से सुनने के बाद एजीआर के बकाये के मुद्दे का निबटारा किया है और उस समय सरकार ने ब्याज और जुर्माने की राशि के लिये जोरदार दलीलें दी थीं।

सारी राशि का भुगतान करना होगा

पीठ ने कहा कि एजीआर की बकाया राशि का 20 साल में भुगतान के लिये केन्द्र का प्रस्ताव अनुचित है और दूरसंचार कंपनियों को शीर्ष अदालत के फैसले के अनुरूप बकाये की सारी राशि का भुगतान करना होगा। पीठ ने कहा कि दूरसंचार कंपनियों द्वारा किये गये स्व-मूल्यांकन को अनुमति देने का मतलब न्यायालय का इस छल में पक्षकार बनना है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि एजीआर बकाया राशि के मामले में हमारा फैसला अंतिम है और इसका पूरी तरह पालन करना होगा।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

(फाइल फोटो)

PREV

Recommended Stories

Silver ETF: चांदी खरीदने का सबसे स्मार्ट तरीका, बेचने में नहीं आएगी कोई समस्या!
8th Pay Commission Big Update: बंपर सैलरी हाइक, 20-35% तक की उम्मीद-जानें कब आएगा पैसा