Tata Sons के शेयरधारकों ने अध्यक्ष के रूप में चंद्रशेखरन की Reappointment को दी मंजूरी

सूत्रों ने कहा कि टाटा संस की 66 फीसदी इक्विटी शेयर पूंजी परोपकारी ट्रस्टों - टाटा ट्रस्ट्स के पास है, यह प्रस्ताव पारित हो गया। वहीं टाटा संस में 18.4 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री के शापूरजी पल्लोनजी (एसपी) परिवार ने चंद्रशेखरन की पुनर्नियुक्ति और जेपी मॉर्गन इंडिया के चेयरमैन लियो पुरी की नियुक्ति के प्रस्ताव पर मतदान से परहेज किया।

बिजनेस डेस्क। टाटा संस के शेयरधारकों ने अगले पांच साल के कार्यकाल के लिए एन चंद्रशेखरन की फिर से नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। कंपनी के सबसे बड़े शेयरधारक शापूरजी पल्लोनजी परिवार ने मतदान से परहेज किया। फरवरी में, टाटा संस के बोर्ड ने पिछले पांच वर्षों की समीक्षा की और इसके कार्यकारी अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन की दोबारा नियुक्ति पर विचार किया। नियुक्ति शेयरधारकों की मंजूरी के अधीन थी। उनकी पुनर्नियुक्ति का समर्थन टाटा ट्रस्ट्स के अध्यक्ष रतन टाटा ने किया, जो टाटा संस के मैज्योरिटी आॅनर  हैं।

शेखरन के पक्ष में गया वोट
आज हुई शेयरधारकों की बैठक में, चंद्रशेखरन की दूसरे कार्यकाल के लिए पुनर्नियुक्ति के प्रस्ताव को 50 फीसदी से अधिक मतों की आवश्यकता थी क्योंकि यह एक सामान्य प्रस्ताव था। टाटा ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। सूत्रों ने कहा कि टाटा संस की 66 फीसदी इक्विटी शेयर पूंजी परोपकारी ट्रस्टों - टाटा ट्रस्ट्स के पास है, यह प्रस्ताव पारित हो गया। हालांकि, उन्होंने कहा, टाटा संस में 18.4 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री के शापूरजी पल्लोनजी (एसपी) परिवार ने चंद्रशेखरन की पुनर्नियुक्ति और जेपी मॉर्गन इंडिया के चेयरमैन लियो पुरी की नियुक्ति के प्रस्ताव पर मतदान से परहेज किया।  मिस्त्री के परिवार ने टाटा संस के नाॅन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के रूप में विजय सिंह की नियुक्ति के प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया।

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2016 में हुए थे बोर्ड में शामिल
एन चंद्रशेखरन ने 2017 में टाटा संस की बागडोर संभाली थी, जब समूह को अपने पूर्ववर्ती साइरस मिस्त्री को बोर्ड द्वारा बाहर किए जाने के बाद नेतृत्व संकट और विश्वास की कमी का सामना करना पड़ा था। उस समय तक, टाटा के एक भरोसेमंद लेफ्टिनेंट चंद्रा ने टीसीएस, समूह के क्राउन ज्वेल और कैश काउ का नेतृत्व किया था। चंद्रा के कार्यकाल का एक बड़ा हिस्सा मिस्त्री के साथ कानूनी लड़ाई लड़ने में बीता। वह अक्टूबर 2016 में टाटा संस के बोर्ड में शामिल हुए, जनवरी 2017 में उन्हें अध्यक्ष नामित किया गया और फरवरी 2017 में उन्होंने आधिकारिक पदभार ग्रहण किया। वह टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा पावर और टीसीएस जैसी ऑपरेटिंग कंपनियों के बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं।

इस कारोबार को दे रहे हैं नया रूप
पिछले साल केंद्र सरकार से एयर इंडिया लिमिटेड का सफलतापूर्वक अधिग्रहण करने के बाद समूह अपने विमानन कारोबार को भी नया रूप दे रहा है। चंद्रा के तहत, टाटा ने घाटे को कम करने के प्रयास में टाटा टेलीसर्विसेज के मोबाइल फोन कारोबार को भारती एयरटेल को बेच दिया। मई 2018 में, समूह ने अब तक का सबसे बड़ा अधिग्रहण किया जब टाटा स्टील ने दिवाला प्रक्रिया के तहत 35,200 करोड़ रुपए का भुगतान करके भूषण स्टील का अधिग्रहण किया।

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