अगले 5 साल में और मजबूत होगी देश की अर्थव्यवस्था, कई स्तर पर सरकार कर रही काम

वर्ष 2019 भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं रहा। भारतीय बाजारों में बहुत ज्यादा ध्रुवीकरण देखा गया। हालांकि, 2020 में कुछ नई स्थितियां दिखाई पड़ रही हैं। इस साल खपत के बजाय बुनियादी ढांचे में विकास संभव है।

नई दिल्ली. वर्ष 2019 भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं रहा। भारतीय बाजारों में बहुत ज्यादा ध्रुवीकरण देखा गया। हालांकि, 2020 में कुछ नई स्थितियां दिखाई पड़ रही हैं। इस साल खपत के बजाय बुनियादी ढांचे में विकास संभव है। सरकार की नई योजनाओं से यह स्पष्ट हो गया है कि अब बुनियादी ढांचे और निवेश से जुड़े विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

इस वर्ष की पहली छमाही के लिए संचयी विकास 4.8 प्रतिशत रहने की भविष्यवाणी की गई है और कहा गया है कि बाद की दूसरी छमाही में इसमें सिर्फ मामूली सुधार संभव है। हालांकि, अर्थव्यवस्था में सुधार के अच्छे संकेत दिखाई देते हैं, लेकिन अभी अर्थव्यवस्था में वित्तपोषण, ऋण, ऋण प्रवाह और खर्च के लिए आमदनी की कमी की समस्याएं गहरी परेशानी पैदा करने वाली लगती हैं। मुद्रास्फीति सर्वकालिक कम पर है, जिससे अर्थव्यवस्था में और ज्यादा ठहराव की स्थिति बनेगी। इन सभी नकारात्मक कारकों के बावजूद कई सकारात्मकताएं हैं, जिनसे लगता है कि अर्थव्यवस्था में सुधार होगा।

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कमर्शियल रियल्टी और होम लोन 2019 में उच्चतम स्तर पर रही, वहीं खुदरा उधार में भी सुधार होने लगा है। हाल ही में सेंट्रल बैंक के एक अध्ययन में विनिर्माण कंपनियों द्वारा 2020 के लिए अचल संपत्तियों में निवेश में वृद्धि देखी गई। लगभग 1,500 कंपनियों ने वित्त वर्ष 2019 की समान अवधि में 18.9 प्रतिशत की तुलना में सितंबर 2019 में पहली छमाही में अचल संपत्तियों में अपने धन का लगभग 45.6 प्रतिशत लगाया।

इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास ने हाल में बहुत ध्यान आकर्षित किया है और सरकार ने इसमें भारी निवेश करने का फैसला किया है। पिछले महीने जारी की गई नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन में सभी सेक्टर्स से जुड़ी स्टडी में वर्ष 2025 तक सभी इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को भी रेखांकित किया गया है। इनमें से लगभग 42 फीसदी परियोजनाएं पहले से ही लागू हैं, लगभग 19 फीसदी विकास के चरण में हैं और 31 फीसदी पर अभी विचार चल रहा है। देश भर में कई अन्य विकास परियोजनाएं भी चल रही हैं। आइए, उन पर एक नजर डालें। 

1. हवाई अड्डों का निजीकरण - छह हवाई अड्डों का पहले ही निजीकरण हो चुका है, और छह जल्द ही किए जाने हैं। ज्यूरिख इंटरनेशनल एयरपोर्ट दिल्ली में एक नया हवाई अड्डा बनाने जा रहा है। मुंबई के लिए एक नया हवाई अड्डा बनने वाला है।

2. इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, अडानी गैस और एचपीसीएल ने ऑटोमोबाइल मालिकों को प्राकृतिक गैस वितरित करने के लिए कॉन्ट्रैक्ट हासिल किए हैं और घरों तक गैस पहुंचाई है। इसके लिए ये कंपनियां नीलामी के 10वें दौर में 55-60 फीसदी शहरों को कवर करने वाली हैं।

3. मुंबई-नागपुर सुपर एक्सप्रेसवे के लिए काम शुरू हो गया है और इसके लिए बैंकों से 28,000 करोड़ रुपए का पूरा फंड हासिल किया जा चुका है।

4. भारतीय रेलवे ने निजीकरण के लिए 15 मार्ग भी खोले हैं और निजी निवेश के लिए कोयला खनन क्षेत्र को भी पूरी तरह से मुक्त कर दिया गया है।

देखा जाए तो बैंकों ने हमेशा बुनियादी ढांचे के निर्माण से किनारा किया है, लेकिन जेआईसीए (जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी), एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक जैसे नए निवेशकों के साथ-साथ राष्ट्रीय निवेश और इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड (एनआईआईएफ) से अब सरकार को इस क्षेत्र में काम करने के लिए ताकत मिल  रही है। वैसे, अर्थव्यवस्था में अचानक उछाल की गारंटी नहीं दी जा सकती है, लेकिन अर्थव्यवस्था के लिए बिल्डिंग ब्लॉक निर्धारित कर दिए गए हैं। निश्चित रूप से उम्मीद की जा सकती है कि देश की अर्थव्यवस्था अगले पांच वर्षों में समृद्ध होगी।

कौन हैं अभिनव खरे

अभिनव खरे एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ हैं, वह डेली शो 'डीप डाइव विद अभिनव खरे' के होस्ट भी हैं। इस शो में वह अपने दर्शकों से सीधे रूबरू होते हैं। वह किताबें पढ़ने के शौकीन हैं। उनके पास किताबों और गैजेट्स का एक बड़ा कलेक्शन है। बहुत कम उम्र में दुनिया भर के 100 से भी ज्यादा शहरों की यात्रा कर चुके अभिनव टेक्नोलॉजी की गहरी समझ रखते है। वह टेक इंटरप्रेन्योर हैं लेकिन प्राचीन भारत की नीतियों, टेक्नोलॉजी, अर्थव्यवस्था और फिलॉसफी जैसे विषयों में चर्चा और शोध को लेकर उत्साहित रहते हैं। उन्हें प्राचीन भारत और उसकी नीतियों पर चर्चा करना पसंद है इसलिए वह एशियानेट पर भगवद् गीता के उपदेशों को लेकर एक सफल डेली शो कर चुके हैं।

मलयालम, अंग्रेजी, कन्नड़, तेलुगू, तमिल, बांग्ला और हिंदी भाषाओं में प्रासारित एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ अभिनव ने अपनी पढ़ाई विदेश में की हैं। उन्होंने स्विटजरलैंड के शहर ज्यूरिख सिटी की यूनिवर्सिटी ETH से मास्टर ऑफ साइंस में इंजीनियरिंग की है। इसके अलावा लंदन बिजनेस स्कूल से फाइनेंस में एमबीए (MBA) भी किया है।  

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