यूक्रेन पर आक्रमण (Russia attack on ukraine) के बाद से रूसी करेंसी रूबल (Russian currency crash) यूएस डॉलर के मुकाबले 117 पर आ गया है। इसमें 41 फीसदी की गिरावट आई है। यह गिरावट यूरोपीय यूनियन द्वारा रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों का नतीजा बताया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक युद्ध के चलते रूस को हर दिन 1.2 लाख करोड़ का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
मास्को। यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से रशिया (Russia attack on ukraine) आर्थिक रूप से कमजोर हो रहा है। पिछले कुछ दिनों में रूसी करेंसी रूबल (Russian currency crash) यूएस डॉलर के मुकाबले 117 पर आ गया है। यह 41 फीसदी की गिरावट बताई जा रही है। यह गिरावट यूरोपीय यूनियन द्वारा रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों का नतीजा बताया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक युद्ध के चलते रूस को हर दिन 1.2 लाख करोड़ का नुकसान उठाना पड़ रहा है। यह गिरावट 26 अगस्त 1998 को रूसी वित्तीय संकट के सबसे उच्च दौर से भी कहीं अधिक है।
बिगड़ते हालात देख लोगों को रूस पर भरोसा नहीं
रूसी करंसी के गिरते स्तर को देखते हुए बैंकों के बाहर बड़ी लाइनें लग रही हैं। दहशतजदा लोग अपने पैसे वापस लेना चाहते हैं। रूसी सेंट्रल बैंक ने लोगों को निर्बाध रूप से पैसा निकालने की सुविधा देने का आश्वासन दिया है, लेकिन लोगों को अब इस पर भरोसा नहीं हो रहा। जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्री स्टीव हैंक कहते हैं कि रूसी रूबल डॉलर के मुकाबले 117.62 आरयूबी पर कारोबार करते हुए नए सर्वकालिक निचले स्तर पर गिर गया है। 1 जनवरी, 2022 से रूबल में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 47.33 प्रतिशत तक गिरावट आई है। पूर्वी यूरोप में संघर्ष ने इसमें जबरदस्त वृद्धि की है। वर्तमान में रूस की मुद्रास्फीति 69.4 प्रतिशत पर है।
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यूक्रेन पर हमले के बाद लगे प्रतिबंध
यूरोपीय यूनियन ने यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। इसके तहत स्विफ्ट ग्लोबल पेमेंट सिस्टम से रूस को बाहर कर दिया गया है। इससे कुछ रूसी बैंक दुनियाभर में बैंकिंग प्रणाली को नहीं चला पाएंगी। रूसी आयात और निर्यात भी प्रभावित होगा। इससे वैश्विक पहचान बना चुकीं रूसी कंपनियां दहशत में हैं। शेयर मार्केट 40 प्रतिशत तक गिर गया है। लगातार गिरती अर्थव्यवस्था युद्ध के लिए भी रूस को कमजोर बना रही है। बताया जाता है कि युद्ध शुरू होने से पहले ही रूसी कंपनियों को नुकसान होना शुरू हो गया था। इस वजह से वहां का शेयर मार्केट गिरना जारी था। युद्ध के बाद इसमें और कमी आ गई है।
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