DeFI को डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस कहते हैं। इसमें यूजर कई सुविधा पा सकते हैं। यह पुरानी फाइनांस सुविधा का नया स्वरूप है। इसके इस्तेमाल में कैसी सावधानियां बरतनी चाहिए, हम आपको बता रहे हैं।
बिजनेस डेस्कः DeFI एक डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस सुविधा है। यह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर बेस्ड होती है। इसमें यूजर्स को कई सुविधाएं मिलती है। इसमें क्रिप्टोकरेंसी में उधार लेने और उधार देने की सुविधा है। सदियों पुरानी सेंट्रलाइज्ड फाइनेंस सुविधा का एक नया ऑप्शन DeFI है। इसे बैंकिंग सिस्टम की तौर पर समझा जा सकता है। जो DeFI के बारे में नहीं जानते हैं उनके लिए, सेंट्रलाइज्ड फाइनेंस को बैंकिंग सिस्टम से समझा जा सकता है। बैंकिंग सिस्टम लोगों को अपनी ही संपत्ति पर स्वामित्व और नियंत्रण से प्रतिबंधित रखता है। लेकिन क्रिप्टो करेंसी पर डेफी आपको आपकी संपत्ति का पूरा हक देता है। मतलब बिना किसी लिमिट और बिना किसी दखल के आप पैसे निकालने, उधार लेने और पैसे जमा करने का काम कर सकते हैं।
DeFi का क्या है महत्व
कैसे होते हैं साइबर हमले
DeFi में हमेशा एक ओपन सोर्स कोड मौजूद रहता है। इसके प्रोटोकॉल हमेशा पढ़ सकते हैं। लेकिन इसमें बदलाव हो सकते हैं। लेकिन साइबर क्रिमिनल इसका फायदा उठा लेते हैं। कोड में खामियों का फायदा उठाकर फ्रॉड कर लेते हैं। DeFI की सुरक्षा में हुई खामियों को नहीं जांचा जा सकता है। इससे हैकर्स आसानी से निशाना बना सकते हैं।
दो तरह के होते हैं साइबर हमले
DeFi की सुरक्षा कैसे होती है?
DeFi के इस्तेमाल से पहले जांच लें कि प्रोटोकॉल पूरी तरह से टेस्टेड है या नहीं। किसी फेमस ऑडिटेड एजेंसी की तफ से वह ऑडिट की गयी है या नहीं। अपना क्रिप्टो वॉलेट पासकोड किसी के साथ साझा नहीं करना चाहिए। यूजर्स को हमेशा बड़े घाटे से बचने के लिए ऐसी जगह पैसा नहीं निवेश करना चाहिए, जो एक दिन में अचानाक बड़े रिटर्न देते हैं। ऐसी जगह निवेश के ज्यादा खतरे होते हैं। यूजर्स को संभावित हनीपोट्स से दूर रहने की सलाह दी जाती है। यूजर्स को किसी भी स्कैम एडवर्टाइज से दूर रहना चाहिए। यूजर्स को हमेशा अपनी तरह से जांच करनी चाहिए। जांचा परखा गया प्रोटोकॉल ही बेहतर होता है। हमेशा बेसिक सिक्योरिटी चेकिंग करनी चाहिए।
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