आज पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 106वीं जयंती मनाई जा रही है। इस दिन को अंत्योदय दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य गरीबों और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों का उत्थान है। हर साल 25 सितंबर को यह दिन मनाया जाता है।
करियर डेस्क : आज गरीबों और दलितों की आवाज माने जाने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 106वीं जयंती (Pandit Deendayal Upadhyaya's 106th Birth Anniversary) है। उनकी जयंती पर हर साल अंत्योदय दिवस (Antyodaya Diwas) मनाया है। पं. दीनदयाल भारतीय जनसंघ के सह-संस्थापक और RSS के विचारक थे। आइए उनकी जयंती पर जानते हैं क्या है अंत्योदय दिवस और 10 पाइंट में पं. दीनदयाल उपाध्याय की पूरी लाइफ..
क्या है अंत्योदय दिवस
अंत्योदय दिवस को समझन से पहले समझना जरूरी है कि इस शब्द का क्या मतलब है। दरअसल, अंत्योदय का मतलब होता है उत्थान। गरीबों और आर्थिक रूप से कमजोर के उत्थान को लेकर इस शब्द को गढ़ा गया है। गरीब और पिछड़े लोगों के डेवलपमेंट पर फोकस करना इस दिन का उद्देश्य है। समाज में दीनदयाल उपाध्याय के योगदान को याद करते हुए हर साल यह दिन मनाया जाता है।
पहली बार कब मनाया गया अंत्योदय दिवस
25 सितंबर, 2015 को पहली बार अंत्योदय दिवस मनाया गया था। 25 सितंबर, 2014 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 98वीं जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने 'अंत्योदय दिवस' मनाने का ऐलान किया था। उसके एक साल बाद से हर साल आधिकारिक रूप से इस दिन को मनाया जाता है। भारत में अंत्योदय का नारा सबसे पहले पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने ही दिया था।
10 पाइंट में पं. दीनदयाल उपाध्याय की पूरी लाइफ
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