
Delhi Red Fort Interesting Facts: दिल्ली के लाल किले के पास हाल ही में हुआ धमाका राजधानी को हिलाकर रख देने वाला था। शुरुआती जांच में सुसाइड अटैक का एंगल सामने आने से सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। दिल्ली पुलिस, जम्मू-कश्मीर पुलिस और अन्य एजेंसियां मिलकर इस मामले की गहराई से जांच कर रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस हमले के पीछे आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का हाथ हो सकता है। इस घटना ने एक बार फिर याद दिला दिया कि यह किला सिर्फ ईंट और पत्थरों का ढांचा नहीं, बल्कि भारतीय इतिहास का प्रतीक है, जिसने सदियों से आक्रमण, क्रांतियों और आजादी की आवाजों को देखा है। आज हम आपको बताते हैं इसी ऐतिहासिक लाल किले से जुड़े 10 ऐसे दिलचस्प फैक्ट्स, जो शायद आप नहीं जानते।
लाल किला हमेशा से लाल नहीं था। जब इसे मुगल सम्राट शाहजहां ने बनवाया, तब यह सफेद संगमरमर और चूने से बना हुआ था। लेकिन जब पत्थर समय के साथ खराब होने लगे, तो अंग्रेजों ने इसे लाल रंग से रंगवा दिया। तभी से इसका नाम लाल किला पड़ा।
लाल किले का असली नाम किला-ए-मुबारक था, जिसका अर्थ है शुभ किला। शाहजहां इसे अपने शाही निवास के रूप में इस्तेमाल करते थे। बाद में जब इसका लाल रंग प्रमुख रूप से दिखने लगा, तो यह ‘लाल किला’ कहलाने लगा।
इस विशाल किले का निर्माण 1638 में शुरू हुआ और करीब 10 साल बाद 1648 में पूरा हुआ। इसे बनवाने में करीब 1 करोड़ रुपये खर्च हुए, जो उस दौर की बेहद बड़ी रकम थी।
लाल किले की दीवारें सुरक्षा की दृष्टि से बेहद मजबूत बनाई गई थीं। यमुना नदी की ओर दीवारें 18 मीटर ऊंची हैं, जबकि शहर की ओर यह 33 मीटर तक ऊंची हैं। पूरे किले की परिधि लगभग 2.5 किलोमीटर लंबी है।
लाल किले के दीवान-ए-खास में कभी शाहजहां का शाही सिंहासन रखा गया था, जिसमें कोहिनूर हीरा जड़ा हुआ था। अंग्रेजों ने भारत पर कब्जे के बाद इसे लूट लिया और इंग्लैंड ले गए।
11 मार्च 1783 को सिख योद्धाओं ने लाल किले पर कब्जा कर मुगलों से इसे मुक्त कराया था। यह घटना इतिहास के उन पलों में से एक है जब किले ने सत्ता परिवर्तन को अपनी आंखों से देखा।
शाहजहां ने लाल किले के चारों ओर एक नया शहर बसाया था, जिसे ‘शाहजहांनाबाद’ कहा गया। आज यही क्षेत्र ‘पुरानी दिल्ली’ के नाम से जाना जाता है।
ब्रिटिश शासन के दौरान किले के कई खूबसूरत महल और बाजार, जैसे कि मेना बाजार, तोड़ दिए गए। यहां के तुर्की मखमल और चीन की रेशम से सजे महलों को नष्ट कर दिया गया। बावजूद इसके, लाल किला आज भी अपनी भव्यता और ऐतिहासिकता को संजोए हुए है।
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15 अगस्त 1947 को जब भारत आजाद हुआ, तब देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहराया था। तभी से हर साल स्वतंत्रता दिवस पर यह परंपरा निभाई जाती है।
लाल किले को साल 2007 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया गया। आज यह न सिर्फ दिल्ली की पहचान है, बल्कि भारत की संस्कृति, शौर्य और स्वतंत्रता का प्रतीक बन चुका है।
आज जब लाल किला फिर से खबरों में है, तो यह याद रखना जरूरी है कि यह किला केवल पत्थरों का ढांचा नहीं, बल्कि हमारी विरासत, हमारी पहचान और हमारी आजादी की कहानी है। सदियों से यह भारत के गौरव का प्रतीक रहा है और आने वाले समय में भी रहेगा।
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