दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्रों ने 4 साल के अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम का किया विरोध, वापस लेने के नारे के साथ निकाला मार्च

Published : Jan 20, 2023, 02:39 PM IST
NEP

सार

ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन ने अपने एक बयान में दावा किया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के सैकड़ों छात्र चार साल के अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इस प्रोग्राम का विरोध करते हुए छात्रों ने मार्च भी निकाला है।

एजुकेशन डेस्क। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (New National Education Policy) के तहत चार साल के अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम (Four Year Under Graduate Programme) का ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (All India Student Association) विरोध कर रहा है। एसोसिएशन की ओर से जारी एक बयान में दावा किया गया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के सैकड़ों छात्रों ने गुरुवार को चार साल के अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम को वापस लेने की मांग को लेकर मार्च निकाला। 

इसमें कहा गया है कि ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन की ओर से बुलाए गए मार्च के दौरान छात्रों ने एफवाईयूपी यानी चार साल के अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम को वापस लेने और एईसी आप्शन में अंग्रेजी को शामिल करने, कोर्स को कमजोर नहीं करने तथाा फीस बढ़ोतरी पर रोक लगाने की मांग की।

छात्रों ने मार्च के दौरान किए कई मांग

बयान के मुताबिक, चार साल के अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम के खिलाफ आल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन के आह्वान पर दिल्ली यूनिवर्सिटी के फर्स्ट ईयर के सैकड़ों छात्र नॉर्थ कैंपस में जमा हुए। बता दें कि दिल्ली यूनिवर्सिटी में FYUP यानी फोर ईयर अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत लागू किया गया है। नए कोर्स के इंफ्रास्ट्रक्चर में प्रत्येक पाठ्यक्रम के लिए क्रेडिट स्कोर पेश किया गया है और छात्रों के पास रिसर्च के साथ या बिना रिसर्च के या तो तीन साल का ऑनर्स कोर्स या चार साल का ऑनर्स कोर्स करने का विकल्प होगा।

दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर भी शामिल हुए मार्च में

दिल्ली प्रदेश के आल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष अभिज्ञान ने दावा किया कि चार साल के अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम की विफलता केवल कार्यान्वयन यानी इंप्लीमेंटेशन लेवल पर ही नहीं बल्कि, सिद्धांत के स्तर पर भी भ्रष्टाचार से जुड़ी है। सरकार हमें बता रही है कि शिक्षा अब लोगों के लिए नहीं है बल्कि, मुनाफे के लिए है। डीयू के प्रोफेसर एन. सचिन भी इस मार्च में शामिल थे। उन्होंने सार्वजनिक शिक्षा की स्थिति पर बात करते हुए दावा किया कि एफवाईयूपी के खिलाफ यह लड़ाई देश में शिक्षा की प्रकृति और भावना को लेकर एक निर्णायक लड़ाई साबित होगी। 

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