जयपुर: बच्चों को बेहतरीन शिक्षा दिलाने की हर माता-पिता की ख्वाहिश होती है। लेकिन पहली कक्षा में बेटी का दाखिला कराने वाले एक पिता द्वारा शेयर की गई फीस संरचना देखकर हर कोई हैरान है। एक साल की कुल फीस 4.27 लाख रुपये! 20 लाख रुपये सालाना कमाई वाले भी इतनी फीस कैसे भर सकते हैं, यह सवाल उन्होंने उठाया।
'अच्छी शिक्षा आजकल एक लग्जरी है। मध्यम वर्ग के लिए यह अब किफायती नहीं है'- इस टिप्पणी के साथ ऋषभ जैन नाम के एक व्यक्ति ने जयपुर के एक स्कूल की पहली कक्षा की फीस संरचना शेयर की। उनकी बेटी का अगले साल पहली कक्षा में दाखिला होना है। यह शहर के एक स्कूल की फीस है। जैन ने लिखा कि अन्य स्कूलों में भी यही हाल है।
रजिस्ट्रेशन शुल्क- 2,000, प्रवेश शुल्क- 40,000; सावधानी जमा (वापसी योग्य)- 5000, वार्षिक स्कूल फीस- 2,52,000, बस शुल्क- 1,08,000, किताबें और यूनिफॉर्म- 20,000, कुल मिलाकर सालाना फीस 4,27,000 रुपये। जैन ने लिखा कि कमाई का 50% सरकार आयकर, जीएसटी, पेट्रोल पर वैट, रोड टैक्स, टोल टैक्स, प्रोफेशनल टैक्स, पूंजीगत लाभ, भूमि पंजीकरण शुल्क आदि के रूप में ले लेती है। स्वास्थ्य बीमा, पीएफ, एनपीएस में भी पैसा जाता है। सरकारी योजनाओं का लाभ आपको नहीं मिलता। अमीरों की तरह मुफ्त सुविधाएं या कर्ज माफी नहीं मिलती। बाकी बचे 10 लाख रुपये में खाना, कपड़ा, किराया, ईएमआई आदि का खर्च निकालकर थोड़ी बहुत बचत कर सकते हैं। या फिर अपने दो बच्चों की स्कूल फीस भर सकते हैं। जैन ने लिखा कि आप तय करें कि आपको क्या करना है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर किया गया यह पोस्ट अब तक डेढ़ मिलियन से ज्यादा लोगों ने देख लिया है। कई लोगों ने इस पर प्रतिक्रिया दी है। कुछ लोगों ने स्कूल फीस को लेकर पिता की चिंता का समर्थन किया, जबकि कुछ ने आलोचना भी की। एक यूजर ने लिखा कि विडंबना यह है कि भारत में स्कूलों को गैर-लाभकारी संस्थाओं के रूप में ही चलाया जा सकता है क्योंकि सरकार जमीन और अन्य सुविधाएं सब्सिडी दरों पर देती है। फिर भी माता-पिता ऐसे स्कूलों में अपने बच्चों का दाखिला स्टेटस सिंबल के तौर पर कराते हैं। इसलिए उनमें से ज्यादातर लोग इस अनुचित फीस संरचना को स्वीकार कर लेते हैं। एक अन्य यूजर ने लिखा कि 12 साल की शिक्षा पर एक करोड़ से ज्यादा खर्च करने की नौबत आ गई है। मध्यम वर्ग के लिए इतनी ज्यादा फीस वहन करना मुश्किल है। कुछ लोगों ने इसे एक गंभीर समस्या बताया।
एक अन्य कमेंट में कहा गया है कि समस्या लक्जरी स्कूल चुनने की है, वरना फीस 10,000 रुपये प्रति माह से ज्यादा नहीं होती। एक यूजर ने लिखा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कभी भी लग्जरी नहीं होनी चाहिए। यह एक मौलिक अधिकार है। एक अन्य यूजर ने कमेंट किया कि ज्यादा फीस का मतलब हमेशा अच्छी शिक्षा नहीं होता।