गूगल में PhD इंटर्नशिप का मौका! जानिए आवेदन कैसे करें और क्या हैं योग्यताएं?

Google Internship 2025: गूगल PhD छात्रों को सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग इंटर्नशिप का मौका दे रहा है। 12-14 हफ्तों की इस इंटर्नशिप के लिए 28 फरवरी 2025 तक आवेदन करें।

Google Internship 2025: अगर आप एक पीएचडी स्टूडेंट हैं जो सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट या किसी संबंधित टेक्निकल फील्ड में पढ़ाई कर रहे हैं, तो गूगल की सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग इंटर्नशिप आपके लिए एक शानदार अवसर है! गूगल ने अमेरिका में पढ़ाई कर रहे पीएचडी छात्रों के लिए विंटर इंटर्नशिप ऑफर की है। आप 28 फरवरी, 2025 तक इस इंटर्नशिप के लिए आवेदन कर सकते हैं। तो, क्या आप तैयार हैं इस सुनहरे अवसर के लिए? अगर हां, तो देर मत कीजिए और गूगल की वेबसाइट पर जाकर आवेदन कीजिए!

12 से 14 सप्ताह तक चलती है गूगल की यह इंटर्नशिप

यह इंटर्नशिप 12 से 14 सप्ताह तक चलती है और इसमें आपको न केवल पर्सनल डेवलपमेंट का अवसर मिलेगा, बल्कि प्रोफेशनल स्किल डेवलप करने, कंपनी लीडर्स से चर्चा करने और कम्युनिटी से जुड़ने का भी मौका मिलेगा। इस दौरान आप चैलेंजिंग टेक्निकल प्रोजेक्ट्स पर काम करेंगे, स्केलेबल सॉफ्टवेयर सिस्टम डेवलप करेंगे और विभिन्न छोटे-छोटे प्रोजेक्ट्स पर सहयोग करेंगे।

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गूगल सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग इंटर्नशिप के लिए जरूरी योग्यताएं

शैक्षणिक योग्यता: उम्मीदवार को सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट या किसी संबंधित टेक्निकल फील्ड में पीएचडी करने वाला होना चाहिए।

एक्सपीरिएंस: उम्मीदवार को सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट का अनुभव और C/C++, जावा या पायथन में से किसी एक भाषा में दक्षता होनी चाहिए।

डेटा स्ट्रक्चर और एल्गोरिदम: उम्मीदवार को डेटा स्ट्रक्चर या एल्गोरिदम का अनुभव होना चाहिए, जो कि एजुकेशनल, प्रोफेशनल या पर्सनल प्रोजेक्ट्स के माध्यम से प्राप्त किया गया हो।

इंटर्नशिप को लेकर गूगल का ऑफिशियल नोटिस

गूगल के ऑफिशियल नोटिस में कहा गया है: "एक वर्सेटाइल टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य के रूप में, आप गूगल की जरूरतों के लिए एक विशिष्ट प्रोजेक्ट पर काम करेंगे। हमें हमारे इंजीनियरों की आवश्यकता है जो समस्याओं का समाधान करने में उत्साही और वर्सेटाइल हों। आप अपने इंटर्नशिप के दौरान सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन्स को डिजाइन, टेस्ट और मेंटेन करेंगे।

गूगल सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग इंटर्नशिप के दौरान जिम्मेदारियां

सहयोग: सहकर्मियों, प्रबंधकों और टीमों के साथ मिलकर एक प्रोडक्टिव और इनोवेटिव वर्क एनवायरनमेंट का निर्माण करना।

ऑटोमेटेड टास्क: दोहराए जाने वाले कार्यों को स्वचालित करने के लिए स्क्रिप्ट डेवलप करना।

एनालिसिस: सूचना का विश्लेषण करना और परिणामों का आकलन करके समस्याओं के प्रभावी समाधान पहचानना।

प्रॉब्लम सॉल्विंग: रीयल वर्ल्ड की चुनौतियों का सामना करने के लिए कंप्यूटर साइंस के नॉलेज का उपयोग करना।

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