भारत-पाकिस्तान विभाजन पर स्कूल स्टूडेंट्स के लिए NCERT का नया मॉड्यूल: कांग्रेस, जिन्ना और माउंटबेटन को बताया जिम्मेदार

Published : Aug 16, 2025, 06:58 PM IST
NCERT Partition Horrors Modules 2025

सार

NCERT New Modules Partition Tragedy: NCERT ने मिडिल से सेकेंडरी क्लास तक के स्टूडेंट्स के लिए नया इतिहास मॉड्यूल तैयार किया है, जिसमें 1947 के भारत-पाकिस्तान विभाजन की त्रासदी पढ़ाया जाएगा। इसमें बंटवारे के जिम्मदार लोगों के बारे में भी बताया गया है।

NCERT Partition Horrors Modules 2025: आजादी के 78 साल बाद भी भारत का बंटवारा हमारे इतिहास का सबसे दर्दनाक अध्याय माना जाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए NCERT (नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग) ने कक्षा 6 से 8 और 9 से 12 के लिए दो नए स्पेशल मॉड्यूल जारी किए हैं। इन मॉड्यूल्स में बताया गया है कि किस तरह 1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे ने लाखों लोगों की जिंदगी बदल दी और हमें उस समय से क्या सीख लेनी चाहिए। दरअसल, केंद्र सरकार ने 14 अगस्त को Partition Horrors Remembrance Day (विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस) घोषित किया है। इसका मकसद है कि नई पीढ़ी और समाज दोनों यह समझें कि बंटवारे के कारण कितनी हिंसा, विस्थापन और दुख झेलने पड़े।

NCERT के नए मॉड्यूल में किसे बताया गया बंटवारे का जिम्मेदार?

एनसीईआरटी के इन मॉड्यूल्स में साफ लिखा है कि भारत का बंटवारा किसी एक शख्स की वजह से नहीं हुआ था, बल्कि इसके लिए तीन पक्ष जिम्मेदार थे-

  • बंटवारे की मांग रखने वाले मोहम्मद अली जिन्ना।
  • इस मांग को स्वीकार करने वाली कांग्रेस पार्टी।
  • इसे लागू करने वाले लॉर्ड माउंटबेटन।

भारत की आजादी और बंटवारे को लेकर क्या चाहती थी ब्रिटिश सरकार?

ब्रिटिश सरकार शुरू में भारत का बंटवारा नहीं चाहती थी। वे चाहते थे कि भारत को आजादी तो मिले, लेकिन "डोमिनियन स्टेटस" के रूप में। यानी ब्रिटिश राजा नाम के लिए भारत के प्रमुख रहते और असली सत्ता भारतीयों के पास होती। कांग्रेस ने इस प्लान को ठुकरा दिया। इसके बाद हालात ऐसे बने कि बंटवारा ही एकमात्र रास्ता माना गया।

तात्कालिन नेताओं की सोच और बंटवारे का नतीजा

सरदार पटेल पहले बंटवारे के खिलाफ थे, लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि गृहयुद्ध से अच्छा है कि बंटवारा हो जाए। महात्मा गांधी बंटवारे के खिलाफ थे, मगर आखिर में हालात को देखते हुए उन्होंने भी आपत्ति छोड़ दी। लॉर्ड माउंटबेटन ने माना कि उन्होंने जल्दबाजी की और सत्ता हस्तांतरण की तारीख जून 1948 से घटाकर अगस्त 1947 कर दी। नतीजा ये हुआ कि सीमाओं का बंटवारा अधूरा और जल्दबाजी में हुआ।

मॉड्यूल में कश्मीर और आतंकवाद का भी जिक्र

मॉड्यूल में ये भी बताया गया है कि बंटवारे के बाद हिंदू-मुस्लिम तनाव पूरी तरह खत्म नहीं हुआ। इसी समय कश्मीर का मुद्दा भी खड़ा हो गया, जो बाद में आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय दबाव की वजह से भारत के लिए बड़ी चुनौती बन गया।

NCERT के नए मॉड्यूल की खास बातें

NCERT के नए मॉड्यूल में बताया गया है कि कैसे 1947 से 1950 के बीच विभाजन ने भारत की एकता को झकझोर दिया। पंजाब और बंगाल की अर्थव्यवस्था तबाह हो गई। लाखों लोगों की जानें गईं और करोड़ों लोग बेघर हुए। जम्मू-कश्मीर की सामाजिक और आर्थिक हालत कमजोर हो गई।

NCERT का स्पेशल मॉड्यूल रेगुलर किताबों में क्यों नहीं होता शामिल?

बता दें कि NCERT के ये मॉड्यूल रेगुलर कोर्स का हिस्सा नहीं होते। इन्हें बच्चों को किसी विशेष मौके पर पढ़ाया जाता है। पोस्टर्स, चर्चाओं और डिबेट्स के जरिए छात्र इन्हें समझते हैं। हाल ही में "ऑपरेशन सिंदूर" को भी इसी तरह एक मॉड्यूल में शामिल किया गया था।

स्पेशल मॉड्यूल में पीएम मोदी का संदेश

स्पेशल मॉड्यूल की शुरुआत पीएम नरेंद्र मोदी के संदेश से होती है। उन्होंने कहा था- "बंटवारे का दर्द कभी भुलाया नहीं जा सकता। लाखों परिवार उजड़ गए, कई लोगों ने जान गंवाई। उनकी याद में हम 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाएंगे।"

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NCERT के नए मॉड्यूल पर राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मॉड्यूल में सच्चाई अधूरी बताई गई है और सारी जिम्मेदारी कांग्रेस और जिन्ना पर डालना सही नहीं है। असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मुसलमानों पर गलत तरीके से दोष डाला जा रहा है। वहीं AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जिन्ना, आरएसएस और हिंदू महासभा तीनों बंटवारे के समर्थक थे, इसलिए जिम्मेदारी भी सबको लेनी चाहिए।

हाल ही में कक्षा 8 के सिलेबस में जोड़ी गई मुगल काल की नई व्याख्या

पिछले महीने कक्षा 8 के सिलेबस में मुगल काल की नई व्याख्या भी जोड़ी गई थी। इसमें मुगल शासकों के धार्मिक फैसलों और मंदिरों को तोड़ने की घटनाओं का उल्लेख है। एनसीईआरटी का कहना है कि इतिहास को छिपाया नहीं जा सकता, लेकिन उसकी गलतियों से सीख लेकर ही हम बेहतर भविष्य बना सकते हैं।

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Anita Tanvi

अनीता तन्वी। मीडिया जगत में 15 साल से ज्यादा का अनुभव। मौजूदा समय में ये एशियानेट न्यूज हिंदी के साथ जुड़कर एजुकेशन सेगमेंट संभाल रही हैं। इन्होंने जुलाई 2010 में मीडिया इंडस्ट्री में कदम रखा और अपने करियर की शुरुआत प्रभात खबर से की। पहले 6 सालों में, प्रभात खबर, न्यूज विंग और दैनिक भास्कर जैसे प्रमुख प्रिंट मीडिया संस्थानों में राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, ह्यूमन एंगल और फीचर रिपोर्टिंग पर काम किया। इसके बाद, डिजिटल मीडिया की दिशा में कदम बढ़ाया। इन्हें प्रभात खबर.कॉम में एजुकेशन-जॉब/करियर सेक्शन के साथ-साथ, लाइफस्टाइल, हेल्थ और रीलिजन सेक्शन को भी लीड करने का अनुभव है। इसके अलावा, फोकस और हमारा टीवी चैनलों में इंटरव्यू और न्यूज एंकर के तौर पर भी काम किया है।Read More...
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