
NCERT Partition Horrors Modules 2025: आजादी के 78 साल बाद भी भारत का बंटवारा हमारे इतिहास का सबसे दर्दनाक अध्याय माना जाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए NCERT (नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग) ने कक्षा 6 से 8 और 9 से 12 के लिए दो नए स्पेशल मॉड्यूल जारी किए हैं। इन मॉड्यूल्स में बताया गया है कि किस तरह 1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे ने लाखों लोगों की जिंदगी बदल दी और हमें उस समय से क्या सीख लेनी चाहिए। दरअसल, केंद्र सरकार ने 14 अगस्त को Partition Horrors Remembrance Day (विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस) घोषित किया है। इसका मकसद है कि नई पीढ़ी और समाज दोनों यह समझें कि बंटवारे के कारण कितनी हिंसा, विस्थापन और दुख झेलने पड़े।
एनसीईआरटी के इन मॉड्यूल्स में साफ लिखा है कि भारत का बंटवारा किसी एक शख्स की वजह से नहीं हुआ था, बल्कि इसके लिए तीन पक्ष जिम्मेदार थे-
ब्रिटिश सरकार शुरू में भारत का बंटवारा नहीं चाहती थी। वे चाहते थे कि भारत को आजादी तो मिले, लेकिन "डोमिनियन स्टेटस" के रूप में। यानी ब्रिटिश राजा नाम के लिए भारत के प्रमुख रहते और असली सत्ता भारतीयों के पास होती। कांग्रेस ने इस प्लान को ठुकरा दिया। इसके बाद हालात ऐसे बने कि बंटवारा ही एकमात्र रास्ता माना गया।
सरदार पटेल पहले बंटवारे के खिलाफ थे, लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि गृहयुद्ध से अच्छा है कि बंटवारा हो जाए। महात्मा गांधी बंटवारे के खिलाफ थे, मगर आखिर में हालात को देखते हुए उन्होंने भी आपत्ति छोड़ दी। लॉर्ड माउंटबेटन ने माना कि उन्होंने जल्दबाजी की और सत्ता हस्तांतरण की तारीख जून 1948 से घटाकर अगस्त 1947 कर दी। नतीजा ये हुआ कि सीमाओं का बंटवारा अधूरा और जल्दबाजी में हुआ।
मॉड्यूल में ये भी बताया गया है कि बंटवारे के बाद हिंदू-मुस्लिम तनाव पूरी तरह खत्म नहीं हुआ। इसी समय कश्मीर का मुद्दा भी खड़ा हो गया, जो बाद में आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय दबाव की वजह से भारत के लिए बड़ी चुनौती बन गया।
NCERT के नए मॉड्यूल में बताया गया है कि कैसे 1947 से 1950 के बीच विभाजन ने भारत की एकता को झकझोर दिया। पंजाब और बंगाल की अर्थव्यवस्था तबाह हो गई। लाखों लोगों की जानें गईं और करोड़ों लोग बेघर हुए। जम्मू-कश्मीर की सामाजिक और आर्थिक हालत कमजोर हो गई।
बता दें कि NCERT के ये मॉड्यूल रेगुलर कोर्स का हिस्सा नहीं होते। इन्हें बच्चों को किसी विशेष मौके पर पढ़ाया जाता है। पोस्टर्स, चर्चाओं और डिबेट्स के जरिए छात्र इन्हें समझते हैं। हाल ही में "ऑपरेशन सिंदूर" को भी इसी तरह एक मॉड्यूल में शामिल किया गया था।
स्पेशल मॉड्यूल की शुरुआत पीएम नरेंद्र मोदी के संदेश से होती है। उन्होंने कहा था- "बंटवारे का दर्द कभी भुलाया नहीं जा सकता। लाखों परिवार उजड़ गए, कई लोगों ने जान गंवाई। उनकी याद में हम 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाएंगे।"
ये भी पढ़ें- CBSE ने जारी किए 2026 बोर्ड एग्जाम के सैंपल पेपर और मार्किंग स्कीम, यहां से करें डाउनलोड
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मॉड्यूल में सच्चाई अधूरी बताई गई है और सारी जिम्मेदारी कांग्रेस और जिन्ना पर डालना सही नहीं है। असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मुसलमानों पर गलत तरीके से दोष डाला जा रहा है। वहीं AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जिन्ना, आरएसएस और हिंदू महासभा तीनों बंटवारे के समर्थक थे, इसलिए जिम्मेदारी भी सबको लेनी चाहिए।
पिछले महीने कक्षा 8 के सिलेबस में मुगल काल की नई व्याख्या भी जोड़ी गई थी। इसमें मुगल शासकों के धार्मिक फैसलों और मंदिरों को तोड़ने की घटनाओं का उल्लेख है। एनसीईआरटी का कहना है कि इतिहास को छिपाया नहीं जा सकता, लेकिन उसकी गलतियों से सीख लेकर ही हम बेहतर भविष्य बना सकते हैं।
ये भी पढ़ें- CBSE का बड़ा फैसला: अब 2026 बोर्ड परीक्षा में APAAR ID होगी जरूरी, एग्जाम फीस में भी बदलाव