Sarojini Naidu Birth Anniversary : नाइटिंगेल ऑफ इंडिया से लाइफ के 5 लेसन, ईमानदार रहें, पैशन न छोड़ें, सोच प्रोग्रेसिव रखें

सरोजिनी नायडू बचपन से ही काफी इंटेलिजेंट होनहार छात्रा थीं। हिंदी के अलावा उर्दू, तेलगू, इंग्लिश, बांग्ला और फारसी उन्हें आती थी। छोटी उम्र से ही उन्हें कविताएं लिखने का शौक था। लिटरेचर उन्हें काफी पसंद था।

Satyam Bhardwaj | Published : Feb 13, 2023 5:16 AM IST / Updated: Feb 13 2023, 10:48 AM IST

करियर डेस्क : 'यदि आप दूसरों से ज्यादा पावरफुल हैं, तो आपको दूसरों की हेल्प करनी चाहिए।'.. ये शब्द हैं 'नाइटिंगेल ऑफ इंडिया' यानी सरोजिनी नायडू (Sarojini Naidu) की..सशक्त आवाज, दमदार भाषण और कविता सुनाने के अपने अंदाज से हर किसी के दिल में जगह बनाने वाली 'भारत कोकिला' सरोजनी नायडू की आज 143वीं जयंती (Sarojini Naidu Jayanti 2023) है। वह एक बेहतरीन कवियत्री, उत्तर प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल और महिला अधिकारों की हमेशा ही आवाज उठाने वाली थीं। 13 फरवरी,ष 2014 को उनकी जयंती पर राष्ट्रीय महिला दिवस (National Women's Day) मनाने की शुरुआत हुई थी। सरोजनी नायडू से प्रभावित होकर महात्मा गांधी ने उन्हें 'नाइटिंगेल ऑफ इंडिया' का खिताब दिया था। आज उनकी जयंती पर उनकी लाइफ के चैप्टर से सीखें सक्सेसफुल बनने के टिप्स ..

अपनी आवाज खुद बनें

सरोजनी नायडू का जन्म 13 फरवरी, 1879 को हैदराबाद में हुआ था। बचपन से ही वे काफी इंटिलिजेंट थीं। पढ़ाई-लिखाई में इतनी तेज थीं कि हर कोई उनसे जल्दी ही प्रभावित हो जाता था। छोटी सी उम्र में ही उन्होंने कविताएं लिखनी शुरू कर दी थीं। महिलाओं के लिए उन्होंने हमेशा आवाज उठाई और उन्हें प्रेरित किया कि कैसे वे खुद की आवाज बन सकती हैं। सरोजनी नायडू ने कहा था कि अगर पुरुष देश की शान है तो महिला उस देश की नींव है।

अपनी बात रखने में संकोच न करें, लक्ष्य पर फोकस रहें

सरोजनी नायडू जब 12 साल की थीं, तभी उन्होंने 12वीं की परीक्षा अच्छे अंकों से पास कर ली थी। वह हमेशा ही अपने लक्ष्य पर फोकस रहती थीं। अपनी बात बेबाकी और बिना संकोच के कहती थीं। छोटी सी उम्र में ही जब वे स्कूल-कॉलेज में थीं तो पढ़ाई करते-करते कविताएं भी लिखती रहती थीं। उनका पहला कविता संग्रह 'गोल्डन थ्रैशोल्ड' लाइफ के लेसन को सिखाता है। उनमें देशप्रेम कूट-कूटकर भरा था। उन्होंने अपने विचार में एक बार कहा था कि 'देश का बलिदान, महानता और प्रेम उसके आदर्शों पर निहित करता है।'

दूसरों की रिस्पेक्ट के साथ खुद की रिस्पेक्ट भी करें

देश की आजादी में सरोजिनी नायडू के महत्वपूर्ण योगदान हैं। उनके काम और योगदान को देखते हुए ही उनके सम्मान में आज के दिन 'राष्ट्रीय महिला दिवस' मनाया जाता है। टनाइटेंगल ऑफ इंडिया' ने हमेशा ही कहा कि दूसरों की रिस्पेक्ट के साथ खुद की रिस्पेक्ट भी करना जरूरी है। उन्होंने आत्म सम्मान को लेकर कहा था कि 'आत्म सम्मान इंसान का सबसे बड़ा गहना होता है।'

सोच प्रोग्रेसिव रखें

सरोजिनी नायडू का मानना था कि जब तक आपकी विचार में प्रगति वाली सोच नहीं आएगी, तब तक विकास संभाव नहीं है। यही वजह है कि उन्होंने महिला सशक्तिकरण पर बढ़-चढ़कर वकालत की। महिलाओं के अधिकारों के लिए देश भर में घूमकर उन्हें जागरूक किया। आजादी में आगे लाने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा था कि 'किसी भी देश की स्थिति वहां की महिलाओं की स्थिति से पता चलती है।'

काम के प्रति ईमानदार रहें, पैशन को न छोड़ें

सरोजनी नायडू का मन जिस काम में लगता था, वे उसे पूरी ईमानदारी से करती थीं, बिना किसी चीज की परवाह किए। यही कारण था कि उन्होंने कविताएं लिखनी कभी बंद नहीं की। ईमानदारी से अपना दायित्व निभाती रहीं। इसका उदाहरण भी साल 1928 में तब देखने को मिला था, जब देश में प्लेग महामारी फैल गई थी। उस वक्त सरोजनी नायडू ने बिना अपनी परवाह किए लोगों के बीच जाकर उन्हें जागरूक किया और उनकी खूब मदद की। उनका समर्पण, जुनून उन्हें हर किसी की नजरों में और भी ऊंचा बना दिया। उसी वक्त ब्रिटिश सरकार ने उन्हें 'कैसर-ए-हिंद' की उपाधि दी थी। 2 मार्,च 1949 में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया था। उनके प्रेरणादायक विचार में से एक है, 'श्रम करते हैं हम कि समुद्र हो तुम्हारी जागृति का क्षण, हो चुका जागरण अब देखो, निकला दिन कितना उज्ज्वल।'

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