
Sridhar Vembu Success Story: आज जब स्वदेशी मैसेजिंग ऐप Arattai हर जगह चर्चा में है, तो इसके पीछे खड़े नाम को जानना जरूरी हो जाता है। यह ऐप किसी विदेशी कंपनी ने नहीं, बल्कि भारत की Zoho Corporation ने बनाया है। Zoho की पहचान सिर्फ एक चैटिंग ऐप तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कंपनी बिजनेस और ऑफिस टूल्स की दुनिया में माइक्रोसॉफ्ट जैसे दिग्गज को टक्कर दे रही है। Zoho के संस्थापक श्रीधर वेम्बू ने साबित किया है कि अगर जुनून और सही सोच हो, तो गांव से भी दुनिया का बड़ा कारोबार खड़ा किया जा सकता है। बीते हफ्ते केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर एक वीडियो शेयर किया था। उस वीडियो में उन्होंने बताया कि अब वह डॉक्यूमेंट, स्प्रेडशीट और प्रेजेंटेशन बनाने जैसे कामों के लिए स्वदेशी सॉफ्टवेयर Zoho का इस्तेमाल करेंगे। आमतौर पर लोग इन कामों के लिए Microsoft Office यूज करते हैं, लेकिन मंत्री जी ने साफ कहा कि वह अब Zoho पर ही शिफ्ट हो रहे हैं।
श्रीधर वेम्बू का जन्म 1968 में तमिलनाडु के तंजावुर जिले के एक साधारण परिवार में हुआ। वे शुरू से ही पढ़ाई में तेज थे। 1989 में उन्होंने आईआईटी मद्रास से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। इसके बाद अमेरिका के प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से मास्टर्स और पीएचडी की पढ़ाई पूरी की।
पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्होंने अमेरिका की Qualcomm कंपनी में इंजीनियर के तौर पर काम किया। लेकिन दिल में हमेशा कुछ अपना करने का सपना था। 1996 में उन्होंने अपने भाइयों और साथी टोनी थॉमस के साथ मिलकर AdventNet नाम की कंपनी शुरू की। यही कंपनी आगे चलकर 2009 में Zoho Corporation बनी।
श्रीधर वेम्बू की सोच अलग थी। जहां ज्यादातर टेक कंपनियां बड़े शहरों या विदेशों से ऑपरेट करती हैं, वहीं उन्होंने कंपनी का बड़ा हिस्सा ग्रामीण तमिलनाडु में शिफ्ट कर दिया। उनका मानना है कि दुनिया का बेस्ट सॉफ्टवेयर गांव से भी बनाया जा सकता है। यही कारण है कि Zoho के कई ऑफिस आज गांवों से संचालित होते हैं।
Zoho कंपनी के पास बिजनेस और ऑफिस के लिए ढेरों टूल्स मौजूद हैं, जो कामकाज में बिल्कुल Microsoft के प्रोडक्ट्स की तरह इस्तेमाल किए जा सकते हैं। इसमें अलग-अलग जरूरतों के हिसाब से टूल्स दिए गए हैं। वहीं हाल ही में लॉन्च हुआ Arattai ऐप व्हाट्सऐप का भारतीय विकल्प माना जा रहा है। कुछ ही दिनों में यह ऐप ऐप स्टोर पर नंबर-1 रैंक पर पहुंच गया। कंपनी का दावा है कि यह ऐप पूरी तरह प्राइवेसी-फोकस्ड है और यूजर्स का डेटा कभी मॉनिटाइज नहीं किया जाएगा। Zoho टूल्स में शामिल हैं-
वेम्बू ने सिर्फ कंपनी खड़ी नहीं की, बल्कि टैलेंट को तैयार करने की दिशा में भी कदम बढ़ाए। उन्होंने Zoho Schools of Learning की शुरुआत की, जहां ग्रामीण युवाओं को ट्रेनिंग देकर उन्हें कंपनी में नौकरी दी जाती है। आज Zoho के वर्कफोर्स का बड़ा हिस्सा इन्हीं युवाओं से बना है।
Zoho को बिना किसी बाहरी निवेश (बूटस्ट्रैप्ड मॉडल) के खड़ा करना उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है। 2021 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया। 2024 तक उनकी नेटवर्थ करीब 5.8 बिलियन डॉलर आंकी गई, जिससे वे भारत के टॉप 40 अमीरों में शामिल हो गए।
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श्रीधर वेम्बू हमेशा रूरल एंटरप्रेन्योरशिप, एजुकेशन रिफॉर्म और टेक्नोलॉजी के डीसेंट्रलाइजेशन की बात करते हैं। उनका मानना है कि बड़े शहरों या विदेशी निवेश के बिना भी भारत में ग्लोबल लेवल की कंपनियां खड़ी की जा सकती हैं। आज Zoho सिर्फ एक कंपनी नहीं, बल्कि भारत की उस सोच का प्रतीक है जो यह दिखाती है कि देसी टैलेंट और गांव से निकली ऊर्जा भी माइक्रोसॉफ्ट जैसे दिग्गजों को चुनौती दे सकती है।
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