
Donald Trump Harvard Student Ban: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक फैसले ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों की चिंता बढ़ा दी है। ट्रंप प्रशासन ने Student and Exchange Visitor Program (SEVP) के तहत हार्वर्ड को विदेशी छात्रों को दाखिला देने की अनुमति वापस ले ली है। इस फैसले के बाद कई स्टूडेंट्स का करियर अधर में लटक गया है, खासतौर पर वो छात्र जो अमेरिका में पढ़ाई पूरी करने के बाद वहीं नौकरी करना चाहते थे।
कजाखिस्तान के छात्र सुल्तानअली नुर्मानुली, जिन्होंने हाल ही में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स की डिग्री हासिल की है। एनडी टीवी की खबर के अनुसार उन्होंने कहा, यह फैसला सजा जैसा लग रहा है। बाकी स्कूलों की कुछ गतिविधियों पर आपत्ति थी, लेकिन हार्वर्ड के प्रशासन के कुछ फैसलों के कारण यह बैन आया है। इसका असर हम जैसे छात्रों पर क्यों? उन्होंने आगे कहा, “मैं राजनीति से दूर रहा हूं। फिर भी मुझे इसकी सजा क्यों मिल रही है? स्टूडेंट वीजा पाना और यहां पढ़ाई करना एक सौभाग्य है, लेकिन यह कार्रवाई हमें हाशिए पर डाल रही है।”
सुल्तानअली का कहना है कि उन्होंने अमेरिका में रुककर OPT (Optional Practical Training) प्रोग्राम के तहत काम करने की योजना बनाई थी। इस प्रोग्राम से उन्हें बिना H1B वर्क वीजा के तीन साल तक अमेरिका में काम करने की अनुमति मिलती। लेकिन अगर इंटरनेशनल स्टूडेंट वीजा रद्द होता है, तो OPT की मंजूरी भी रद्द हो जाएगी।
उन्होंने बताया कि हार्वर्ड ने नए स्टूडेंट्स को पहले ही ईमेल भेजकर सतर्क कर दिया था कि वीजा में दिक्कत हो सकती है, इसलिए दूसरी यूनिवर्सिटी में भी आवेदन कर दें। उन्होंने कहा, जो छात्र अभी एडमिशन ले रहे हैं, उनके लिए हालात और भी मुश्किल हैं।
नुर्मानुली ने बताया कि शुरुआत में उन्हें कल्चर शॉक जरूर लगा, लेकिन हार्वर्ड का माहौल काफी ओपन और सपोर्टिव रहा। इंटरनेशनल स्टूडेंट्स की संख्या कम जरूर है, लेकिन माहौल बेहतर था।
ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में हार्वर्ड पर $2.2 बिलियन की फंडिंग रोक दी थी। इसके बाद हार्वर्ड को इंटरनेशनल स्टूडेंट्स को दाखिला देने से मना कर दिया गया। प्रशासन ने कुछ शर्तें रखीं जिन्हें हार्वर्ड ने मानने से इनकार कर दिया। फिर ट्रंप सरकार ने कड़ा कदम उठाया और यूनिवर्सिटी की अधिकारिता छीन ली।
इस कार्रवाई के बाद हार्वर्ड ने कहा, हम पूरी तरह से इस कदम को गैरकानूनी मानते हैं। इंटरनेशनल स्टूडेंट्स और स्कॉलर्स की मौजूदगी हमारे शैक्षणिक माहौल को समृद्ध बनाती है। यह कदम हमारे रिसर्च और एकेडमिक मिशन के खिलाफ है।