UPPSC-J Topper हर्षिता सिंह कौन हैं जिन्होंने पहले ही प्रयास में पाई सफलता, मिली 6वीं रैंक, यह यूनिक स्ट्रैटजी है सफलता का राज

एलएलबी की डिग्री पूरी होने के बाद, हर्षिता को दिल्ली की सबसे बड़ी लॉ फर्मों में से एक से बड़े पैकेज के साथ बेहतरीन ऑफर मिला। 27 लाख रुपये का वार्षिक पैकेज ऑफर किया गया। जाॅब शुरू की लेकिन आम लोगों के लिए कुछ करने की चाह थी जो पूरी नहीं हो पा रही थी।

लखनऊ: यूपी की हर्षिता सिंह अपने पहले ही प्रयास में यूपीपीएससी-जे (UPPSC-J) की प्रतियोगी परीक्षा में अच्छी रैंक के साथ सफल हुईं। इन्हें 6वीं रैंक मिली है। नौकरी के साथ-साथ यूपीपीएससी की प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करना कोई आसान काम नहीं था, लेकिन हर्षिता ने अपनी मेहनत और लगन से ऐसा कर दिखाया। निश्चित रूप से हर सफल प्रतियोगी की तरह हर्षिता ने भी इस परीक्षा की तैयारी के लिए एक स्टडी प्लान और बेहतरीन स्ट्रैटजी बनाई और अपनी ईमानदार कोशिश से सफलता हासिल करने में कामयाब रही।

कौन हैं हर्षिता सिंह?

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हर्षिता गोमतीनगर की रहने वाली हैं। इन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा लोरेटो कॉन्वेंट स्कूल, लखनऊ से पूरी की। उसके बाद नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से बीए और एलएलबी की डिग्री भी हासिल की। हर्षिता अपने यूनिवर्सिटी में भी टॉपर स्टूडेंट थी। उसने 8 गोल्ड मेडल प्राप्त किए और उसके पास 68 योग्यता प्रमाणपत्र भी हैं। हर्षिता की मां, नीलम एक हाउसवाइफ होने के साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं, उन्हें अपनी मां से बहुत सपोर्ट मिलता है, हर्षिता के पिता, विनोद भाकुनी 2006 में सीएसआईआर में एक वरिष्ठ वैज्ञानिक थे, उन्हें तत्कालीन प्रधान मंत्री द्वारा शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। कुछ साल पहले उनका निधन हो गया. उनका एक भाई अभ्युदय है, जो एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और वर्तमान में यूएसए में काम करते हैं।

27 लाख के जॉब पैकेज से नहीं मिली खुशी, मन में थी कुछ और करने की चाह

एलएलबी की डिग्री पूरी होने के बाद, हर्षिता को दिल्ली की सबसे बड़ी लॉ फर्मों में से एक से बड़े पैकेज के साथ एक बेहतरीन ऑफर मिला, उन्हें 27 लाख रुपये का वार्षिक पैकेज ऑफर किया गया, जिसे उन्होंने खुशी-खुशी स्वीकार भी कर लिया। हर्षिता ने तब अपना मन बदला जब अपना काम करते हुए उन्हें उन सीमाओं का सामना करना पड़ा जो जिसे न चाहते हुए भी वह नौकरी करते हुए पार नहीं कर सकती थीं। उन्होंने आम लोगों की मदद करने के लिए कानून की पढ़ाई की थी, लेकिन एक निजी लॉ फर्म के लिए काम करते हुए वह नहीं कर पाई जो वह चाहती थीं। हर्षिता के अनुसार वह महीने में 2 लाख से ज्यादा कमाती थीं, लेकिन वह दिल से असहज थीं। वह अपने एयर कंडीशनर ऑफिस में बैठकर जमीनी हकीकत का अध्ययन नहीं कर सकती थी, यह वह नहीं था जिसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की थी, फिर, उन्होंने न्यायपालिका की परीक्षा में बैठने का फैसला किया। उन्होंने फरवरी में एमपी ज्यूडिशियरी के लिए परीक्षा दी और इसमें 27वीं रैंक हासिल की। लेकिन लखनऊ की निवासी होने के कारण वह यूपी में न्यायपालिका का पद हासिल करना चाहती थीं। इसलिए, वह यूपीपीएससी-1 परीक्षा में शामिल हुईं और अपने पहले ही प्रयास में इसे पास कर लिया।

यूपीपीएससी इंटरव्यू में पूछे गये ये क्वेश्चनंस

सवाल- अगर मेरी जमीन पर अवैध कब्जा हो जाए और मैं आपके पास आऊं तो एक मजिस्ट्रेट के तौर पर आप क्या करेंगी?

हर्षिता के उत्तर- इन्जंक्शन से राहत दूंगी, जो कि कोड ऑफ सिविल प्रोसीजर में होता है। अपराधी को दोषी ठहराकर पीड़ित को न्याय देने की जरूरत है। हर्षिता के अनुसार साक्षात्कारकर्ताओं ने उनके जवाब की सराहना की और उनकी प्रशंसा की। बाकी के प्रश्न कानून से संबंधित थे।

तैयारी के लिए बनाई अपनी यूनिक स्ट्रैटजी

हर्षिता शुरू से ही अपनी रणनीतियों के बारे में बहुत स्पष्ट थी। वह कोचिंग सेंटरों में दाखिला नहीं लेना चाहती थी और इसलिए उसने अपनी खुद की स्टडी स्ट्रैटजी डेवलप की। वह कहती हैं कि वह दिन के 8 से 10 घंटे अपनी पढ़ाई को देती थीं। उन्होंने अपने पढ़ाई के समय के साथ कोई समझौता नहीं किया। हर दिन एक घंटा लेखन अभ्यास करती थी क्योंकि मेंस के मार्क्स बहुत अहम होते हैं। परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए करेंट अफेयर्स का अध्ययन करना सबसे महत्वपूर्ण है। वह अपनी सफलता का क्रेडिट अपनी मां को देते हुए कहती हैं कि अपनी मां से मिले सहयोग के कारण ही अपने सपनों को साकार करने में सफल रही।

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