भारत को क्यों कहते हैं मां? जानिए दिल छू लेने वाली कहानी

Published : May 12, 2025, 03:33 PM ISTUpdated : May 12, 2025, 03:34 PM IST

Why India is called Bharat Mata: भारत को ‘मां’ क्यों कहते हैं, कैसे हुई इसकी शुरुआत। जानिए भारत माता की जय' और 'जय हिंद' जैसे नारों का इतिहास जानें। 1857 की क्रांति से लेकर आजादी तक, इन नारों का सफर और इनके असली रचनाकारों की कहानी।

PREV
19
भारत को ‘मां’ कहने की परंपरा कब और कैसे शुरू हुई

भारत को ‘मां’ कहने की परंपरा कब और कैसे शुरू हुई? "भारत माता की जय" और "जय हिंद" जैसे नारों के पीछे छुपी है वो क्रांतिकारी कहानी, जो शायद आपने कभी नहीं सुनी होगी। जानिए कैसे भावनाओं से भरे इन शब्दों ने आजादी की लड़ाई में हर दिल में जोश भर दिया।

29
भारत सिर्फ एक देश नहीं, एक भावना है

हर हिंदुस्तानी के दिल में बसता है एक ऐसा रिश्ता, जो मां और बच्चे से भी गहरा है वो रिश्ता है ‘भारत माता’ से। भारत को माँ कहने की परंपरा सिर्फ शब्दों में नहीं, बल्कि हर भारतीय की आत्मा में रची-बसी है।

39
भारत माता" शब्द सिर्फ एक कल्पना नहीं

‘भारत माता’ शब्द पहली बार एक सांस्कृतिक प्रतीक के तौर पर उभरा, जिसमें देश को एक देवी के रूप में दर्शाया गया। यह विचार उस भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाता है, जो नागरिकों और देश के बीच होता है।

49
कहां से शुरू हुआ "भारत माता की जय" का नारा?

कई लोगों को लगता है कि ये नारा स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ही सामने आया, लेकिन इसकी जड़ें 1857 की क्रांति से जुड़ी हैं। माना जाता है कि क्रांतिकारी अज़ीमुल्ला खान ने पहली बार "मादर-ए-वतन, भारत माता की जय" की बात की थी।

59
कौन थे अजीमुल्ला खान?

1857 की क्रांति के नायक अजीमुल्ला खान ने अपनी कलम से क्रांति की आग जलाई थी। उनका गीत “हम हैं इसके मालिक, हिंदुस्तान हमारा” हर देशभक्त के दिल में जोश भरता था। अंग्रेजों की नौकरी छोड़ वो नाना साहब पेशवा से जुड़े और विद्रोह की मशाल बने।

69
क्या किरण चंद्र बंद्योपाध्याय ने दिया था पहला उल्लेख?

कुछ रिपोर्ट्स कहती हैं कि "भारत माता की जय" शब्द को पहली बार 1873 में बंगाल के लेखक किरण चंद्र बंद्योपाध्याय ने अपनी नाटक “भारत जननी” में प्रयोग किया। तब से ये नारा जन-जन की आवाज बन गया।

79
जब नेताजी के साथ जुड़े ‘जय हिंद’ के असली जनक

‘जय हिंद’ नारा भले ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ा हो, लेकिन इसकी रचना हैदराबाद के ज़ैन-उल-अबिद हसन ने की थी। जर्मनी में नेताजी से मुलाकात के बाद उन्होंने 'आजाद हिंद फौज' जॉइन की और यह शक्तिशाली नारा दिया।

89
क्यों दिया गया ‘जय हिंद’ नारा?

INA के लिए एक धर्मनिरपेक्ष और छोटा अभिवादन चाहिए था। पहले सुझाव आया “हिंदुस्तान की जय” का, लेकिन अबिद हसन ने उसे छोटा करके "जय हिंद" बना दिया – जो आज हर भारतीय की पहचान बन चुका है।

99
नारे बदलते रहे, लेकिन भावना वही रही

चाहे "वंदे मातरम्" हो, "भारत माता की जय" या “जय हिंद” हर नारा सिर्फ आवाज नहीं, बल्कि देशभक्ति की भावना का स्वरूप है। ये वो अल्फाज हैं जो हर पीढ़ी में गर्व और प्रेरणा का संचार करते हैं।

AT
About the Author

Anita Tanvi

अनीता तन्वी। मीडिया जगत में 15 साल से ज्यादा का अनुभव। मौजूदा समय में ये एशियानेट न्यूज हिंदी के साथ जुड़कर एजुकेशन सेगमेंट संभाल रही हैं। इन्होंने जुलाई 2010 में मीडिया इंडस्ट्री में कदम रखा और अपने करियर की शुरुआत प्रभात खबर से की। पहले 6 सालों में, प्रभात खबर, न्यूज विंग और दैनिक भास्कर जैसे प्रमुख प्रिंट मीडिया संस्थानों में राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, ह्यूमन एंगल और फीचर रिपोर्टिंग पर काम किया। इसके बाद, डिजिटल मीडिया की दिशा में कदम बढ़ाया। इन्हें प्रभात खबर.कॉम में एजुकेशन-जॉब/करियर सेक्शन के साथ-साथ, लाइफस्टाइल, हेल्थ और रीलिजन सेक्शन को भी लीड करने का अनुभव है। इसके अलावा, फोकस और हमारा टीवी चैनलों में इंटरव्यू और न्यूज एंकर के तौर पर भी काम किया है।Read More...
Read more Photos on

Recommended Stories