हाल में UPSC ने प्रीलिम्स के नतीजे घोषित कर दिए हैं तो मेन्स परीक्षा की तैयारी के लिए कैंडिडेट्स ऐसे कैंडिडेट्स से प्रेरणा लें। एक ऐसा कैंडिडेट जिसने पहली बार में अफसर बनने की ठान ली। ये हैं गोरखपुर के धीरज कुमार सिंह ने साल 2019 की यूपीएससी सीएसई परीक्षा में 64वीं रैंक के साथ टॉप किया है।
करियर डेस्क. IAS Success Story Of 2019 UPSC Topper Dheeraj Kumar Singh: दोस्तों, आपने सिविल सेवा में आने वाले बहुत से गरीब और तमाम अभावों से गुजरने वाले कैंडिडेट्स की कहानियां सुनी होंगी। पर क्या आपने कभी सुना है कि बंदा 5 लाख की अपनी शानदार नौकरी छोड़कर एक एग्जाम की तैयारी में लग जाए। पर हम आज आपको ऐसे ही एक शख्स से मिलवाने जा रहे हैं जिसने अफसर बनने के लिए 5 लाख महीने कमाई का जॉब छोड़ दिया। परिवार के विरोध के बावजूद पढ़ने चला गया। हाल में UPSC ने प्रीलिम्स के नतीजे घोषित कर दिए हैं तो मेन्स परीक्षा की तैयारी के लिए कैंडिडेट्स ऐसे कैंडिडेट्स से प्रेरणा लें। एक ऐसा कैंडिडेट जिसने पहली बार में अफसर बनने की ठान ली। ये हैं गोरखपुर के धीरज कुमार सिंह ने साल 2019 की यूपीएससी सीएसई परीक्षा में 64वीं रैंक के साथ टॉप किया है। यह धीरज का पहला प्रयास था और उनके मुताबिक आखिरी भी।
आइए जानते हैं कि आखिर कैसे धीरज के दिमाग में अफसर बनने का आया और किस स्ट्रेटजी से पहली बार में सफलता हासिल की?
दरअसल, धीरज ने मेडिकल में अच्छा-खासा करियर बना लिया था कि वो यूपीएससी का एग्जाम एक ही बार देंगे। अगर सफल न हुए तो वापसी कर लेंगे। धीरज पहले ही तय करके आए थे कि अगर पहले अटेम्पट में सफल नहीं हुए तो अपने पुराने कैरियर यानी मेडिकल में जाएंगे। अपने इस सफर के दौरान धीरज ने बहुत से उतार-चढ़ाव देखे पर कभी हार नहीं मानी। और आखिरकार पहली कोशिश में ही धीरज को सफलता मिली।
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मिडिल क्लास फैमिली से डॉक्टर फिर अफसर निकला बेटा
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश के रहने वाले धीरज बहुत ही साधारण बैकग्राउंड के हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई गांव के ही एक सिम्पल हिंदी मीडियम स्कूल से हुई। कक्षा बारहवीं तक वे यहीं पढ़े। इसके बाद धीरज ने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस और एमडी किया। धीरज शुरू से ही पढ़ने में अच्छे थे और चाहे एमबीबीएस सीट हो या उससे भी कठिन एमडी सीट, धीरज ने दोनों एंट्रेंस न केवल पास किए बल्कि अच्छे नंबरों से डिग्री भी पूरी की। धीरज एक लोअर मिडिल क्लास फैमिली से आते हैं और उनके परिवार में माता-पिता के अलावा एक भाई और हैं।
खड़ूस अधिकारी को देख मन बनाया मैं अफसर बनूंगा
धीरज की माता जी बीमार रहती थीं और उनके पिता दूसरे शहर में नौकरी करते थे। इस कारण धीरज को अक्सर बनारस से अपने गांव का सफर करना पड़ता था। कई बार तो हर हफ्ते उन्हें घर आना होता था और पढ़ाई बहुत प्रभावित होती थी। धीरज ने पिता के हायर ऑफिसर्स से मिलकर उनका ट्रांसफर होम टाउन करने की बात कही पर वे अफसर काफी रूड थे। उन्होंने धीरज की कोई सहायता नहीं की। उस समय उन्हें लगा कि एक डॉक्टर होकर जब उनकी बात नहीं सुनी जा रही तो आम लोगों का क्या होता होगा। अंडर प्रिविलेज्ड लोगों की स्थिति के बारे में सोचकर धीरज ने तय किया कि वे आईएएस बनेंगे और ऐसे लोगों की मदद करेंगे जिनकी कोई नहीं सुनता। बस यहीं से धीरज आईएएस बनने की सोचने लगे।
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जब बेटे के फैसले पर नाराज हो गए मां-बाप
धीरज एमबीबीएस के बाद ही इस क्षेत्र में आना चाहते थे पर उनके माता-पिता को डर लगता था कि एक बनी-बनाई फील्ड छोड़कर धीरज एक ऐसे क्षेत्र में जाने की बात कर रहे हैं जहां सफलता की कोई गारंटी नहीं है। उन्होंने धीरज को यह रिस्क नहीं लेने दिया। आखिरकार धीरज ने मां-बाप की तसल्ली के लिए एमडी भी पूरा किया। इसके बाद वे यूपीएससी की तैयारी के लिए बंगलुरू चले गए। जहां उन्होंने शांत माहौल में यूपीएससी की तैयारी की।
ठान लिया पहली बार में IAS बनूंगा
टोटल साइंस बैकग्राउंड से आने वाले धीरज के लिए यह फैसला आसान नहीं था। उन्होंने स्कूल के अलावा कभी ह्यूमैनिटीज के विषय नहीं पढ़े थे और अब दिन-रात उन्हीं को पढ़ना था। संघर्ष बहुत थे पर धीरज भी धुन के पक्के थे। उस पर उनकी एक और जिद की पहली बार में ही परीक्षा पास करेंगे। अगर पहले प्रयास में सफल नहीं हुए तो वापस मेडिकल की फील्ड में लौट जाएंगे। धीरज ने अपने इस फैसले के कारण तैयारी में कहीं किसी प्रकार की कमी नहीं छोड़ी और अपनी जान लगा दी। करीब डेढ़ साल तक वे दिन के दस से बारह घंटे केवल पढ़ाई करते थे।
बहुत कुछ लगा था दांव पर
एमडी की डिग्री पूरी करने के बाद धीरज को महीने के पांच लाख तक कमाने का अवसर मिला पर वे अपने सपने को लेकर प्रतिबद्ध थे, जबकि धीरज की आर्थिक स्थिति कभी भी बहुत अच्छी नहीं थी। लेकिन वे मन में कोई मलाल नहीं रखना चाहते थे। इसलिए यूपीएससी की तैयारी के लिए आगे बढ़े। कोचिंग के नोट्स से लेकर, टॉपर्स के इंटरव्यू तक उन्होंने कोई हिस्सा नहीं छोड़ा जो तैयारी के लिए जरूरी था। पिछले साल के पेपर देखे, टॉपर्स के आंसर्स देखे और जहां जिस चीज की जरूरत थी सब किया और हर जगह अपना बेस्ट दिया। नतीजा यह हुआ कि वाकई धीरज पहले प्रयास में साल 2019 में 64वीं रैंक के साथ यूपीएससी-सीएसई परीक्षा पास कर गए।
UPSC कैंडिडेट्स को धीरज के जरूरी टिप्स
धीरज दूसरे कैंडिडेट्स को यही सलाह देते हैं कि आप किस बैकग्राउंड से आए हैं या आपने किस मीडियम से पढ़ाई की है, ये सब बातें बिलकुल भी मायने नहीं रखती। अगर आप सच्चे दिल से कड़ी मेहनत करेंगे और निरंतर करेंगे तो सफल जरूर होंगे। इस क्षेत्र में आने के पीछे आपका मोटिवेशन तगड़ा होना चाहिए ताकि रास्ते में कितनी भी कठिनाइयां आएं पर आप अपने लक्ष्य से न भटकें। उतार-चढ़ाव हर किसी की जर्नी का हिस्सा होते हैं, बस ध्यान रहे कि लो मोमेंट्स से बाहर निकलना आना चाहिए। अपनी स्ट्रेंथ और वीकनेस आइडेंटिफाई करें और उसी हिसाब से एक्ट करें। जो समस्याएं आएं उनका डटकर सामना करें और अपने ट्रैक से न हटें. यूपीएससी सिलेबस से स्टिक रहें और उसी अनुरूप तैयारी करें।
आखिर में मोटिवेशन, हार्डवर्क, एक सही रूटीन और सच्ची मेहनत से आप भी यूपीएससी परीक्षा में सफलता पा सकते हैं। तो देर किस बात की तैयारी में लग जाइए और इस बार UPSC पार की तर्ज पर अपना सपना साकार कीजिए।