भरपेट खाना भी नहीं मिल पाता था, किसान का बेटा ऐसे संघर्ष कर बना क्लास वन अफसर

भोपाल: यूपीएससी की ओर से हाल ही में जारी किए गए इंडियन इंजीनियरिंग सर्विसेस  एग्जाम के रिजल्ट  में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के पास एक छोटे से गांव में रहने वाले मनीष राजपूत ने ऑल इंडिया 7वीं रैंक हासिल की है। मैकेनिकल ब्रांच से इंजीनियरिंग करने वाले मनीष ने बताया कि उन्होंने कक्षा 10वीं के बाद ही सिविल सर्विसेस में जाने का फैसला कर लिया था। इंजीनियरिंग के दौरान तैयारी शुरू की और दूसरे प्रयास में एग्जाम पास कर लिया।

Shrikant Soni | Published : Nov 6, 2019 9:23 AM IST / Updated: Nov 06 2019, 03:54 PM IST

भोपाल: यूपीएससी की ओर से हाल ही में जारी किए गए इंडियन इंजीनियरिंग सर्विसेस  एग्जाम के रिजल्ट  में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के पास एक छोटे से गांव में रहने वाले मनीष राजपूत ने ऑल इंडिया 7वीं रैंक हासिल की है। मैकेनिकल ब्रांच से इंजीनियरिंग करने वाले मनीष ने बताया कि उन्होंने कक्षा 10वीं के बाद ही सिविल सर्विसेस में जाने का फैसला कर लिया था। इंजीनियरिंग के दौरान तैयारी शुरू की और दूसरे प्रयास में एग्जाम पास कर लिया।

 

परिवार में कोई 10वीं से ज्यादा नहीं पढ़ा 

मनीष राजपूत के परिवार में किसी ने 10वीं से ज्यादा पढाई नहीं की है। मनीष की कम्युनिटी में कोई भी आईईएस अभी तक नहीं है। मनीष ने  बताया कि खुशी इस बात की थी कि आर्थिक रूप से कमजोर होने बाद भी मेरे पिता ने कभी मुझ पर किसी प्रकार का दबाव नहीं डाला।    

पूरे विश्वास के साथ की तैयारी 

जब मैंने 10वीं पास की तो पिता ने कहा- बेटा तुम्हें बड़ा आदमी बनना है। बस उसी दिन मैंने यह ठान लिया था कि आईएएस बनना है। पढ़ाई में हमेशा से अच्छा रहा हूं इसलिए मेरा कॉन्फिडेंस लेवल अच्छा था। इसी आत्मविश्वास की वजह से मैंने कॉलेज में लगने वाले प्लेसमेंट कैंप में कभी हिस्सा नहीं लिया, सिर्फ अपनी तैयारी में जुटा रहा। 

 

दिल्ली में  बिस्किट खाकर दिन निकाले

मनीष राजपूत ने बताया कि वो 10 घंटे रोज पढ़ाई किया करता था। दिल्ली में 4 महीने तैयारी करने गया। दिल्ली में हॉस्टल में मेस में खाना खाने के लिए स्टूडेंट की भीड़ लग जाती थी तो मैं लाइन में नहीं लगता था क्योंकि समय बहुत लग जाता था। मैंने 2 से 3 दिन चावल खाकर निकाले। इतना ही  नहीं 2 से 3 महीने बिस्किट खाकर दिन निकाले और अपनी पढ़ाई पूरी की। इस वजह से 20 किलों तक वजन भी कम हो गया।  

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