15 साल में शादी, 18 में बनी मां और 4 महीने बाद पति की मौत, रूला देगी भारत की पहली महिला इंजीनियर की कहानी

भारत में पहली बार साल 1968 में इंजीनियर्स डे मनाया गया था। तब से हर साल 15 सितंबर को यह दिन सेलीब्रेट किया जाता है। क्या आपको पता है कि देश की पहली महिला इंजीनियर कौन थीं और कैसे उन्होंने यह पहचान बनाई? आइए जानते हैं...

करियर डेस्क : देश के पहले इंजीनियर एम विश्वेश्वरैया (M Visvesvaraya) की जयंती पर आज नेशनल इंजीनियर्स डे (National Engineers Day 2022) मनाया जा रहा है। इस दिन सर विश्वेश्वरैया के योगदानों को याद करते हुए देश के तमाम इंजीनियर्स का सम्मान करने के साथ उनका आभार जताया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश की पहली महिला इंजीनियर (India's First Woman Engineer) कौन थीं?  अगर नहीं तो इस आर्टिकल में जानिए देश की पहली महिला इंजीनियर की कहानी, उनका योगदान और उनकी सफलता...

भारत की पहली महिला इंजीनियर
ए ललिता (A Lalitha) देश की पहली महिला इंजीनियर मानी जाती हैं। उनका पूरा नाम अय्योलासोमायाजुला ललिता था। ए ललिता का का जन्म चेन्नई में 27 अगस्त, 1919 को हुआ था। पिता पप्पू सुब्बा राव खुद भी एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर थे। सात भाई-बहनों में ए ललिता पांचवी नंबर पर थीं। जिस वक्त उन्होंने पढ़ाई करने की सोची, उस समय लड़कियों को केवल बेसिक शिक्षा तक ही पढ़ाया जाता था। ए ललिता ने किसी तरह 12वीं तक की पढ़ाई की और फिर 15 साल की उम्र में उनकी शादी कर दी गई।

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कठिनाई, संर्घष लेकिन हार नहीं मानी
शादी के वक्त ए ललिता की उम्र काफी कम थी। उन्होंने पढ़ाई की जिद की तब माता-पिता ने कहा कि शादी के बाद वे आगे की पढ़ाई कर सकती हैं। लेकिन जब ललिता 18 साल की हुई तब उनकी बेटी का जन्म हुआ। मां बनने के चार महीने में ही पति भी दुनिया छोड़कर चले गए। उस वक्त भारतीय समाज में किसी विधवा महिला के साथ का व्यवहार अच्छा नहीं ंहोता था। लेकिन ए ललिता ने अपना सफर खत्म न करते हुए खुद और बेटी दोनों के लिए बेहतर जीवन का दृढ़ निश्चय लिया।

इंजीनियरिंग की पढ़ाई
इसके बाद ललिता ने इंजीनियरिंग कॉलेज, गिंडी, मद्रास विश्वविद्यालय में से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। चार साल के कोर्स में जब उन्होंने एडमिशन  लिया, तब टेक्निकल ट्रेनिंग सिर्फ पुरूषों के लिए ही मानी जाती थी। उस वक्त उनके पिता ने बेटी का साथ दिया और बेटी को दाखिला दिलाने में कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. केसी चाको से बात कर बेटी को आगे बढ़ाने का काम किया। कॉलेज से डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने बिहार के जमालपुर में रेलवे वर्कशॉप में बतौर अपरेंटिस काम शुरू किया और फिर केंद्रीय मानक संगठन, शिमला में बतौर सहायक इंजीनियर नौकरी की। करीब दो साल बाद आर्थिक स्थिति ठीक न होने के चलते उन्हें कलकत्ता में एसोसिएटेड इलेक्ट्रिकल इंडस्ट्रीज में जाना पड़ा लेकिन तब तक उनकी पहचान एक बेहतर इंजीनियर के तौर पर बन चुकी थी।

ए ललिता का योगदान
ए ललिता जब कलकत्ता के AEI में थीं, तब उन्होंने भाखड़ा नांगल बांध जैसी भारत के सबसे बड़े बांध की परियोजनाओं पर काम किया। ट्रांसमिशन लाइनों को डिजाइन करने और दूसरी बार प्रोटेक्टिव गियर, सबस्टेशन लेआउट और कॉन्ट्रेक्ट संभालने का काम ए ललिता करती थीं। इस काम की बदौलत उनकी छवि इंटरनेशनल लेवल तक पहुंची और इंजीनियरिंग में उन्होंने अलग ही पहचान बनाई। 60 साल की उम्र में साल 1979 में उनका निधन हो गया।

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