success story:हादसे में पैरेंट्स को खोया, पिता के सपने के लिए उठाई मुश्किलें, अब ISRO में बना साइंटिस्ट

पवन के पिता का सपना था कि वे एक ऐसा व्यक्ति बने जो राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे। अपने पिता के इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने दृढ़ संकल्प के साथ पढ़ाई की और  विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए वो आज इस स्थान तक पहुंचे हैं।  

Asianet News Hindi | Published : Aug 23, 2021 10:08 AM IST

करियर डेस्क. कहते हैं जिनके हौंसले बुलंद होते हैं उनके सपनों को पूरा होने से कोई नहीं रोक सकता है। तेलंगाना के रहने वाले 22 वर्षीय पवन साईं तेजा की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, 22 वर्षीय पवन साईं तेजा, आईआईटी, दिल्ली से इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में एक वैज्ञानिक के रूप में काम कर रहे हैं। 

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पवन के पिता का सपना था कि वे एक ऐसा व्यक्ति बने जो राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे। अपने पिता के इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने दृढ़ संकल्प के साथ पढ़ाई की और  विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए वो आज इस स्थान तक पहुंचे हैं।  

पवन साईं तेजा ने बताया कि मेरे पिता चाहते थे कि मैं राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दूं। उनके दिवंगत पिता ने उन्हें पूर्व भारतीय राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की आत्मकथा "विंग्स ऑफ फायर" दी थी। उन्होंने बताया कि आज भी उनकी प्ररेणा मुझे अपनी पढ़ाई और कामों के रूप में मिल रही है। पवन साईं तेजा जब 10वीं क्लास में थे तब उन्होंने अपने माता-पिता दोनों को एक अग्नि दुर्घटना में खो दिया था। कई मुश्किलों के बाद भी उन्होंने अपनी महत्वाकांक्षाओं को नहीं रोका।

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करीबी रिश्तेदारों की मदद से, उन्होंने JEE (Advanced) की परीक्षा अच्छे नंबरों से पास की। आईआईटी-दिल्ली में एक सीट पाने के लिए उन्होंने येलंदु स्थित एक निजी स्कूल और हैदराबाद के एक निजी संस्थान में अपनी इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की। इस साल, उन्होंने अपनी मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री में 82 प्रतिशत अंक प्राप्त किए।

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कैंपस प्लेसमेंट अभियान में, उन्हें इसरो के बेंगलुरु स्थित मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (HSFC) में वैज्ञानिक / इंजीनियर पद के लिए भी चुना गया है। साईं तेजा ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था कि इसरो जैसे प्रतिष्ठित संगठन के साथ काम करने का अवसर "बहुत गर्व की बात है। युवा वैज्ञानिक इसरो के Human Space Flight Centre (HSFC) में शामिल होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, जो कि गगनयान परियोजना का केंद्र है।  

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