Teacher’s Day 2022: डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की वो बातें, जिन्होंने बनाया 'महान'

सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक स्कॉलर, फिलॉसफर थे। उनका कहना था कि शिक्षा के माध्यम से मानव मस्तिष्क का सदुपयोग बड़ी ही अच्छी तरीके से किया जा सकता है। यही कारण था कि वे अपने छात्रों के मानसिक विकास पर भी विशेष तौर पर ध्यान दिया करते थे।

करियर डेस्क : 5 सितंबर को देशभर में शिक्षक दिवस (Teachers day 2022) मनाया जाएगा। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Sarvepalli Radhakrishnan) के जन्मदिन पर हर साल यह दिन मनाया जाता है। वह पूर्व राष्ट्रपति, दार्शनिक और महान शिक्षक थे। डॉ. राधाकृष्णन ने भारतीय संस्कृति, परंपरा और दर्शनशास्त्र का गहन अध्ययन किया। वह इतने सरल स्वभाव के थे कि छात्र उनके आसानी से जुड़ जाते थे। आइए जानते हैं राधाकृष्णनन की कौन-सी बात ने उन्हें महान बनाया..

बचपन से किताबें पढ़ने का शौक
डॉ. राधाकृष्णन को बचपन से ही किताबें पढॉने का शौक था। उनका जन्म 5 सितंबर, 1888 को तमिलनाडु के तिरुतनी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। राधाकृष्णन का बचपन तिरूतनी और तिरूपति जैसे धार्मिक स्थलों पर बीता। उनकी स्कूलिंग क्रिश्चियन मिशनरी संस्था लुथर्न मिशन स्कूल में हुई और आगे की पढ़ाई मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से की।  स्कूल के दिनों में ही राधाकृष्णन को कई ग्रंथों के कई अंश याद हो गए थे। राधाकृष्णन कम उम्र से ही स्वामी विवेकानंद और वीर सावरकर को फॉलो करते थे। 1902 में फर्स्ट डिवीजन में मैट्रिक पास की और उन्हें स्कॉलरशिप भी मिली. डॉ. राधाकृष्णन ने 1916 में दर्शन शास्त्र में एमए. किया और मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में सहायक प्राध्यापक का पद संभाला।

Latest Videos

जीवन के 40 साल बतौर शिक्षक
राधाकृष्णन एक महान शिक्षक तो थे ही, बेहतरीन वक्ता और हिन्दू विचारक भी थे। जीवन के 40 साल से ज्यादा उन्होंने बतौर शिक्षक बनकर कई छात्रों को भविष्य को संवारा। डॉ राधाकृष्णन भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति (1962- 1967) थे। मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज से शिक्षक के तौर पर करियर शुरू करने के बाद बाद में वे मैसूर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर नियुक्त हुए और उसके बाद कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाया। 1939 से लेकर 1948 तक वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के कुलपति भी रहे।

इस बात ने बनाया डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को महान
40 साल तक कई छात्रों का जीवन रोशन करने वाले राधाकृष्णन कहा करते थे कि 'शिक्षक वह नहीं जो छात्रों के दिमाग में जबरन बातें डालने का प्रयास करे। शिक्षक तो वह है जो छात्र को हर परिस्थिति के लिए तैयार करे उसे जीवन में आगे बढ़ने की शिक्षा दे।' राधाकृष्णन जिस समर्पण, जोश और अलग तरीके से बच्चों को पढ़ाते थे, वह काफी इंस्पायरिंग था। बच्चे उनके खुद को अच्छी तरह से जुड़ा पाते थे। उनकी यही बातें, राधाकृष्णन को महान बनाती हैं।

इसे भी पढ़ें
Teachers' Day: पिता की ख्वाहिश राधाकृष्णन न सीखें इंग्लिश, बने पुजारी, बेटे ने पकड़ी अलग राह, जानें रोचक बातें

Teacher's Day: पहली बार कब मनाया गया था शिक्षक दिवस, जानें इतिहास से लेकर महत्व तक

Share this article
click me!

Latest Videos

Pushpa 2 Reel Vs Real: अल्लू अर्जुन से फिर पूछताछ, क्या चाहती है सरकार? । Allu Arjun
LIVE 🔴: रविशंकर प्रसाद ने भाजपा मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया | Baba Saheb |
LIVE🔴: केसी वेणुगोपाल, जयराम रमेश और पवन खेड़ा द्वारा प्रेस वार्ता
LIVE 🔴: कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में पीएम मोदी का भाषण
'सोना सस्ता लहसुन अभी भी महंगा' सब्जी का भाव जान राहुल हैरान । Rahul Gandhi Kalkaji Sabzi Market