आम तौर पर यह माना जाता है कि पति और बच्चों के साथ घर की देखभाल करते हुए औरतें करियर में आगे नहीं बढ़ सकती हैं। लेकिन 33 साल की उमा माहेश्वरी ने यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल कर इसे गलत साबित कर दिया है।
करियर डेस्क। आम तौर पर यह माना जाता है कि पति और बच्चों के साथ घर की देखभाल करते हुए औरतें करियर में आगे नहीं बढ़ सकती हैं। लेकिन 33 साल की उमा माहेश्वरी ने यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल कर इसे गलत साबित कर दिया है। तमिलनाडु के तिरुनेवेली की रहने वाली उमा पहले कॉरपोरेट कंपनी में काम करती थीं। इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद उन्होंने एमबीए किया। कॉलेज में उमा को बेस्ट स्टूडेंट का अवॉर्ड मिला। इसके साथ ही उन्हें तीन ब्ल्यू चिप निर्माता कंपनियों से जॉब के ऑफर भी मिले। पहली बार यूपीएससी की परीक्षा उन्होंने साल 2011 में दी। इसके लिए उनके प्रोफेसर अबू बकर ने उन्हें काफी प्रेरित किया।
कॉरपोरेट सेक्टर में शुरू किया करियर
यूपीएससी एग्जाम में पहली बार सफलता नहीं मिलने पर बड़ी उम्मीद के साथ उमा ने कॉरपोरेट सेक्टर में नौकरी शुरू की। उमा का कहना है कि जब तक उनके पिता जीवित थे, जिंदगी उनके लिए फूलों के सेज की तरह थी। लेकिन उनकी मृत्यु के बाद संघर्ष का दौर शुरू हुआ। जल्दी ही उनकी मां की भी डेथ हो गई। इससे उमा को बहुत शॉक लगा। इस दौरान उमा कई बड़ी कंपनियों के साथ काम करती रहीं। लेकिन इसके साथ यूपीएससी एग्जाम की तैयारी करना उन्होंने नहीं छोड़ा। लेकिन कई बार कोशिश करने के बावजूद वे प्रिलिम्स तक क्लियर नहीं कर पाईं।
छठे प्रयास में मिली सफलता
उमा के लिए नौकरी करने के साथ पति, बच्ची और घर की देखभाल की जिम्मेदारी संभालते हुए यूपीएससी एग्जाम की तैयारी करना आसान नहीं था। साल 2017 में उमा ने कॉरपोरेट कंपनी की अपनी जॉब छोड़ कर तैयारी पर ही पूरी तरह फोकस करने का फैसला किया। यह कोई आसान निर्णय नहीं था। उनके सभी परिचितों और रिश्तेदारों ने यही सलाह दी कि वे नौकरी करते हुए यूपीएससी एग्जाम की तैयारी करती रहें। लेकिन उमा इस बात को समझ रही थीं कि नौकरी करते हुए तैयारी कर पाना संभव नहीं होगा। इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़ने का फैसला किया और छठे प्रयास में उन्हें यूपीएससी एग्जाम में सफलता मिल गई।
कैसे की तैयारी
उमा का कहना था कि नौकरी छोड़ने के बाद तैयारी के लिए उन्हें पूरा वक्त मिला। उन्होंने बताया कि वह सुबह 5 बजे जाग जाती थीं और 7 बजे तक पढ़ाई करती थीं। इसके बाद वह अपनी बेटी को स्कूल जाने के लिए तैयार करती थीं और 3 घंटे का समय घर के कामों में लगाती थीं। 10 बजे से वह फिर पढ़ाई करने बैठ जाती थीं। जब बेटी स्कूल से लौटती थी, तब वे उसके साथ समय देती थीं। बाद में जब उसके हसबैंड जॉब से लौटते थे, तब वे बेटी को संभालते थे। इसके बाद वह फिर पढ़ाई शुरू कर देती थीं। उमा ने बताया कि प्रिलिम्स क्लियर करने के बाद मेन एग्जाम के लिए उन्होंने रात 10 बजे से सुबह 3 बजे तक पढ़ाई करनी शुरू की। उन्होंने कहा कि इस दौरान उन्हें अपने पति और घरवालों का पूरा सहयोग मिला। 2018 में अपने लास्ट अटेम्पट में उमा को यूपीएससी एग्जाम में सफलता मिल गई। अब वे पोस्टिंग का इंतजार कर रही हैं।
इंडियन कॉरपोरेट लॉ सर्विस ज्वाइन करना चाहती हैं उमा
उमा माहेश्वरी इंडियन कॉरपोरेट लॉ सर्विस का कैडर ज्वाइन करना चाहती हैं। उनका कहना है कि कॉरपोरेट सेक्टर में उन्हें काम करने का अच्छा अनुभव है, इसलिए इस कैडर में वह बढ़िया कर सकती हैं। इस कैडर के अफसरों को कॉरपोरेट गवर्नेंस के क्षेत्र में काम करना होता है। साल 2008 तक इंडियन कॉरपोरेट लॉ सर्विस में अफसरों को दूसरे विभागों से लिया जाता था, लेकिन बाद में यूपीएससी के जरिए ही रिक्रूटमेंट शुरू हो गया। उमा अपना आदर्श एप्पल के संस्थापक स्टीब जॉब्स को मानती हैं। उनका कहना है कि स्टीब जॉब्स के जीवन से उन्हें बहुत प्रेरणा मिली है।