Success Story: एजुकेशन लोन चुकाने 6 साल नौकरी फिर 4 साल तैयारी, कुछ यूं है UPSC Topper सतिंदर कौर की कहानी

 Asianetnews Hindi संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी (Success Journey) पर एक सीरीज चला रहा है। इसी कड़ी में हमने सतिंदर कौर  से बातचीत की।

Asianet News Hindi | Published : Nov 17, 2021 12:26 PM IST / Updated: Feb 05 2022, 03:19 PM IST

करियर डेस्क. लुधियाना के दुगरी की रहने वाली सतिंदर कौर (Satinder Kaur) महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं। उन्होंने सिविल सर्विस (civil service exam) ज्वाइन करने का लक्ष्य पूरा करने के लिए लंबा सफर तय किया। बीसीएम शास्त्री नगर से 12वीं तक शिक्षा ग्रहण की और लुधियाना कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन से बीटेक किया। दिल्ली से एमबीए करने के बाद उन्होंने वर्ष 2011 में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) परीक्षा दी। उस साल उनका प्रीलिम्स ही नहीं निकला। वह आगे फिर परीक्षा की तैयारी करना चाहती थी लेकिन पढ़ाई के लिए गया स्टडी लोन भी चुकाना था तो उन्होंने उसके बाद वर्ष 2017 तक एडवटराइजिंग की विभिन्न कम्पनियों में नौकरी की। पीएससी 2020 परीक्षा में उनकी 563वीं रैक आयी है। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) के नतीजे 24 सितंबर, 2021 को जारी किए गए। फाइनल रिजल्ट (Final Result) में कुल 761 कैंडिडेट्स को चुना गया। Asianetnews Hindi संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी (Success Journey) पर एक सीरीज चला रहा है। इसी कड़ी में हमने सतिंदर कौर  से बातचीत की। आइए जानते हैं कैसी है उनकी सक्सेज जर्नी। 

चौथे अटेम्पट में मिली सफलता
सतिंदर कौर कहती हैं कि एमबीए की पढ़ाई के लिए एजुकेशन लोन लिया गया था। उस समय नई-नई नौकरी लगी थी और पिता के द्वारा लिया गया लोन चुकाना ज्यादा जरूरी थी। इसलिए एडवरटाइजिंग से जुड़ी विभिन्न कम्पनियों में नौकरी की। वर्ष 2015 में शादी हो गई। पति ने पूरा सपोर्ट किया तो वर्ष 2017 में नौकरी छोड़कर यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू की दी। वर्ष 2018 में प्रीलिम्स क्लियर नहीं हो सका। वर्ष 2019 में इंटरव्यू तक गईं थी। लेकिन अंतिम नतीजों में उन्हें निराशा मिली पर उन्होंने हार नहीं मानी और वर्ष 2020 की परीक्षा में एक बार फिर अपना भाग्य आजमाया। यह उनका चौथा अटेम्पट था। 36 वर्षीय सतिंदर कौर का कहना है कि अभी यह तय नहीं है कि उन्हें किस कैटगेरी में सेवा का मौका मिलेगा लेकिन वह आईएफएस के लिए एक बार फिर परीक्षा में बैठेंगी।

शुरूआती दिनों में थी बहुत चुनौतियां
सतिंदर बताती हैं कि शुरूआती दिनों में बहुत चुनौतियां थी। पैसे की किल्लत थी, गाइडेंस नहीं था। वह बचपन से ही यही सुनकर बड़ी हुई थी कि महिलाओं के लिए बैंक और टीचर की नौकरी अच्छी होती है। उन्हें लड़कियों के लिए पहले से तय करियर के इस बैरियर से निकलना था। उन्हें ऐसी नौकरी चाहिए थी, जो उनके इलाके में लड़कियों के लिए सोची भी नहीं जाती थी। उनका कहना है कि जैसे-जैसे वह बड़ी हुईं तो पता चला कि सिविल सर्विस ज्वाइन करने के लिए यूपीएससी परीक्षा देनी होती है और इसके लिए तैयारी करनी होती है। शादी के बाद उन्होंने अपने पति से अपना सपना शेयर किया कि उन्हें सिविल सर्विस में जाना है तो उन्होंने सपोर्ट किया।

परीक्षा आपकी इंटेलीजेंस, नॉलेज सब करती है टेस्ट
उनका कहना है कि इस जर्नी से पता चलता है कि आप इस दुनिया में कहां हैं। इस परीक्षा ने सिखाया कि आपकी कोई लिमिट नहीं है। यह परीक्षा आपके इंटेलीजेंस, नॉलेज, लग्न सबको टेस्ट करता है। सेल्फ अवेयरनेस तो आती ही है। साथ ही आपकी ताकत अच्छे से निखर कर सामने आती है। इसलिए इस परीक्षा को देश में सबसे अलग माना जाता है। यदि आप सोचते हैं कि मुझे यह करना है तो आप यह कर सकते हैं।

सफलता के पीछे पति का साथ
सतिंदर कौर कहती हैं कि ऐसी धारणा है कि शादी के बाद लड़कियों की लाइफ कठिन हो जाती है लेकिन इस मामले में उनका व्यक्तिगत अनुभव अलग है। उनकी शादी के बाद उनके पति ने उन्हें बहुत सपोर्ट किया। वर्ष 2017 से जब उन्होंने परीक्षा की तैयारी शुरू की तो उनके पति ही घर से जुड़ी जिम्मेदारियों को निभाते थे। उनके पति ने चार साल तक घर की पूरी जिम्मेदारी संभाली। उनका कहना है कि एक लड़की शादी के पहले अपने मां-बाप से जो अपेक्षा करती है। उनके पति ने शादी के बाद उससे अधिक उनके लिए किया। उनकी सफलता के पीछे उनके पति का ही साथ है।

प्रीलिम्स में फेल होने के बाद सोचा, नौकरी छोड़कर लिया बड़ा रिस्क
सतिंदर कौर का कहना है कि जब वर्ष 2018 में वह यूपीएससी परीक्षा की प्रीलिम्स में फेल हो गईं तो वह असमंजस में थी। सोचा कि वह यह क्या कर रही हैं। नौकरी में 51 हजार कमाती थी। अब उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी का निर्णय लेकर बड़ा रिस्क लिया है। प्राइवेट सेक्टर में नौकरी के बीच यदि ज्यादा अंतर आ जाता है तो नौकरी मिलनी मुश्किल हो जाती है। वर्ष 2017 में जब उन्होंने नौकरी छोड़ी थी, उस समय और अब वर्ष 2021 के बीच समय काफी बदल गया है। नयी नयी तकनीक बाजार में आ चुकी है। जब उनके पास नौकरी के लिए फोन आता था तो वह बताती थीं कि उन्होंने चार साल तक कोई जाब नहीं की है, फिर उनके पास नौकरी के लिए दोबारा फोन नहीं आता था।

स्वास्थ्य चुनौतियों का भी करना पड़ा सामना
सतिंदर कहती हैं कि कई बार ऐसा होता है कि आपकी परफार्मेंस सही नहीं हो पाती है, तब आपको लगता है कि आपकी तैयारी सही तरीके से नहीं हो पायी और परीक्षा नजदीक है। उस समय महसूस होता है कि परीक्षा के लिए आपने अपनी बनी बनायी जिंदगी दांव पर लगा दी। उन्हें लगता था कि उनमें ऐसा क्या खास है कि लाखों अभ्यर्थियों में से उन्हें चयनित किया जाएगा। परीक्षा की तैयारी के दौरान उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का भी सामना करना पड़ा। आंखों में दिक्कत हुई।

यह चीजें उन्हें करती थी मोटिवेट
उनका कहना है कि वर्ष 2011 में उन्होंने परीक्षा की तैयारी शुरू की पर उनका प्रीलिम्स क्लियर नहीं हो सका तो जब वह निराश होती थीं तो सोचती थी कि लोगों को दोबारा मौका नहीं मिलता। कितनी लड़कियां परीक्षा की तैयारी करना चाहती होंगी पर उनके पास सपोर्ट नहीं है, किताबें नहीं है लेकिन उनके साथ पति का विश्वास है, रिर्सोसेज हैं। उन्हें सिर्फ पढ़ाई करनी है। यह चीजें उन्हें मोटिवेट करती थीं। उनके पति उनसे कहते थे कि जब तुम्हें कोई नहीं बोल रहा है कि तो पढ़ाई क्यों छोड़ रही हो। उनके पिताजी और मां कहते थे कि तुम सोचो की इस क्षेत्र में तुम क्यों आयी थी। उनका कहना है कि तभी वह चार साल तक परीक्षा की तैयारी कर पाईं।

इन्हें देती हैं सफलता श्रेय
सतिंदर अपनी सफलता का श्रेय अपने पति ध्रुव शर्मा और अपने माता-पिता को देती हैं। उनके टीचर ऋषिकेश का भी उनकी तैयारी में अहम योगदान है। दुर्भाग्यवश उनकी कोरोना के दौरान मृत्यु हो गयी। उनके पास तैयारी करने वाले छात्रों ने भी उनका मनोबल बढ़ाया। इन सब चीजों ने उनके लिए एक सपोर्ट सिस्टम की तरह काम किया।


कठिनाइयों से डरना नहीं
सतिंदर कौर कहती हैं कि युवाओं को वह चाहे किसी भी क्षेत्र में हो मेहनत करते रहना चाहिए। यदि आपने सिविल सर्विस ज्वाइन करने का सपना देखा है और परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो अपना सपना याद रखिए और उसे पूरा करने के लिए अपना दो सौ प्रतिशत योगदान दीजिए। एक बार असफलता मिले तो यह नहीं लगना चाहिए कि यह परीक्षा हमारे लिए नहीं है। हर कंपिटीशन में कठिनाइयां आती हैं। उससे डरकर तैयारी छोड़नी नहीं है।

हर टॉपर की स्ट्रेटजी के पीछे मत भागिए
उनका कहना है कि यह जरूरी नहीं है कि आप कोचिंग करके ही यह परीक्षा पास कर सकते हैं। आजकल सारी चीजें आनलाइन फ्री उपलब्ध हैं। हर टॉपर की स्ट्रेटजी के पीछे मत भागिए। हर आदमी की ताकत और कमजोरी अलग होती है। आप सबकी सुनिए उसमें से सिर्फ उसी स्ट्रेटजी का हिस्सा चुनिए जो आपके लिए बेहतर हो। ब्लाइंडली स्ट्रेटजी फॉलो मत करिए।

 

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