उंगलियों से एक-एक अक्षर समझ की UPSC की पढ़ाई, कड़ी मेहनत से IAS बनकर ही माना ये दृष्टिहीन लड़का

राकेश शर्मा (IAS Rakesh Sharma) बताते हैं कि बहुत कोशिशों के बावजूद उन्हें सामान्य बच्चों के स्कूल में एडमिशन नहीं मिला था। ब्रेल लिपी (दृष्टिहीन बच्चों के लिए शिक्षा पद्धति) में उन्हें कई बार UPSC का स्टडी मैटिरियल भी नहीं मिल पाता था लेकिन हजार मुश्किलों के बावजूद उन्होंने परीक्षा पास कर अफसर की कुर्सा हासिल की।

करियर डेस्क. IAS Success Story of UPSC Topper Rakesh Sharma in hindi: यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा UPSC Civil Services Exam) पास करने वाले यूं भी योद्धा कहे जाते हैं। देश की सबसे प्रतिष्ठित और कठिन परीक्षा को पास करने लोगों को कड़ी मेहनत करनी होती है। फिर जाकर वो अफसर बन पाते हैं। पर कई बार कुछ योद्धाओं की कहानी उतनी आसान नहीं होती वो कुछ बड़ा नहीं करते बल्कि इतिहास रच देते हैं। ऐसे ही एक एक शख्स के संघर्ष की कहानी आपको भीतर तक झकझोर देगी। इस कहानी से देश का हर स्टूडेंट प्रभावित होगा। खासतौर पर यूपीएससी की तैयारी करने वाले छात्रों को ये कहानी जरूर पढ़नी चाहिए।

ये कहानी है एक दृष्टिहीन शख्स की जिसने आंखों की रोशनी के बिना देश का बड़ा अधिकारी बनने का सपना देखा। IAS अफसर राकेश शर्मा (IAS Rakesh Sharma) जिन्होंने अपने जैसे और लोगों की मदद करने के उद्देश्य से इस फील्ड में आने का फैसला किया। 

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राकेश मूल रूप से हरियाणा के छोटे से गांव सांवड़ के रहने वाले हैं लेकिन वो लगभग 13 साल नोएडा के सेक्टर 23 में रहे हैं।। राकेश शर्मा का बचपन बेहद मुश्किलों में गुजरा है। वे एक सामान्य इंसान की जिंदगी जीने को भी तरसते रहे हैं। दृष्टिहीन होने का दुख और परिवार में गरीबी उनके लिए मुश्किलें लाती रही।

दवाई के रिएक्शन से चली गई रौशनी

बचपन में ही राकेश शर्मा की आंखों की रौशनी चली गई थी। वो दो साल के थे जब दवाई के रिएक्शन होने की वजह से उन्हें दिखना बंद हो गया। काफी इलाज के बावजूद कोई फायदा नहीं हुआ। राकेश का विजन पूरी तरह चला गया और वे बिलकुल भी देख नहीं सकते। पर उन्होंने हमेशा अपनी पढ़ाई जारी रखी। 

सामान्य स्कूल में कभी नहीं मिला एडमिशन

राकेश बताते हैं कि बहुत कोशिशों के बावजूद उन्हें सामान्य बच्चों के स्कूल में एडमिशन नहीं मिला था। मजबूरन उन्हें स्पेशल स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी करनी पड़ी। बारहवीं तक सब ऐसा ही चला। उन्होंने अपनी पढ़ाई ब्रेल लिपी (दृष्टिहीन बच्चों के लिए शिक्षा पद्धति) से पूरी की। इस सिस्टम में बच्चे हाथों की उंगलियों से अक्षरों को समझ पढ़ाई करते हैं। 

दुनिया के सभी रंगों से अनजान जीवन जिया

राकेश स्पेशल स्कूल जाते थे और पढ़ाई में काफी अच्छे भी थे। उन्हें चलने फिरने तक के लिए सहारे की जरूरत पड़ती थी। दुनिया में मौजूद रंगों से वो अनजान थे। उनकी जिंदगी में सिर्फ अंधेरा था। 

रिश्तेदारों ने बोझकर आश्रम में छोड़ने को कहा 

दिव्यांग बच्चों को समाज बोझ मानता है इसलिए राकेश को भी रिश्तेदारों ने बोझ से ज्यादा कुछ नहीं समझा। आए दिन उनके रिश्तेदार मां-बाप को सलाह देते कि एक दृष्टिहीन अपंग बच्चा आपके बोझ बना रहेगा इसे किसी अनाथ आश्रम में छोड़ आओ। वहीं ऐसे बच्चों की सही जगह है। पर राकेश के मां-बाप ने समाज की एक न सुनी। उन्होंने अपने बेटे को समान्य बच्चे की तरह पाला और पढ़ाया।
 
दिल्ली यूनिवर्सिटी में आकर बदल गई जिंदगी

पढ़ाई में होशियार राकेश ने सोशल वर्क से ग्रेजुएशन किया है। राकेश को डीयू में एडमिशन मिला तो उनके जीवन में काफी बदलाव आए। यहां से उनका काफिडेंस लेवल काफी ऊपर बढ़ गया। वे कहते हैं कि डीयू में होने वाली एक्टिविटीज और वहां के शिक्षकों के प्रोत्साहन उनके अंदर कुछ और बड़ा करने की इच्छा जागी। .राकेश ने सरकारी नौकरी के बारे में खूब सुना था। फिर ये भी सुना कि देश में बड़े-बड़े अधिकारी भी होते हैं। तो उन्होंने भी अधिकारी बनने का सपना देखा। 

सिविल सर्वेंट बनने का लक्ष्य तय किया 

उन्हें अहसास हुआ कि वो सिविल सर्वेंट बनने के बाद समाज के लिए काफी कुछ अच्छा कर सकते हैं। यहीं से उन्होंने यूपीएससी परीक्षा (UPSC EXAM) पास करने का लक्ष्य बना लिया। इसके लिए प्लानिंग और स्ट्रेटेजी बनाई जिसके बाद टारगेट को पार कर लिया। राकेश बताते हैं कि कई बार उन्हें UPSC का स्टडी मैटिरियल भी नहीं मिल पाता था, लेकिन वो एक-एक चीज जुटाते थे और Audio सुनकर नोट्स बनाते थे। Hfj 10 महीने कोचिंग ली और हजार मुश्किलों के बावजूद उन्होंने पहले ही प्रयास में ही साल 2018 में यूपीएससी परीक्षा को पास किया। 

पहले बार में UPSC पार

सिविल सर्विस की परीक्षा में 608 रैंक हासिल करने वाले राकेश के घर वो लोग भी बधाई देने पहुंचे जो उन्हें बोझ बताते रहे। IAS अफसर बन राकेश दृष्टिहीन लोगों के लिए बेहतर समाज बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि, यूपीएससी को क्रैक करने के बाद वो देश और समाज के विकास में योगदान देना चाहते हैं। 

राकेश ने दूसरे छात्रों को सफलता के मंत्र दिए। उन्होंने कहा- अगर आप मोटिवेट हैं तो किसी भी मुश्किल परीक्षा को पास कर सकते हैं। मेरे मां और पिता हर वक्त मेरे साथ थे, ताकी मैं अपने लक्ष्य को प्राप्त कर संकू।

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