पायजामे का नाड़ा खोलते-खोलते बाथरुम में ऐसे मिली थी इस एक्टर को पहली फिल्म, जानें क्या है वो किस्सा

बॉलीवुड में करियर खत्म होता देख चंकी पांडे ने बांग्लादेशी सिनेमा की ओर रुख किया। स्थानीय भाषा न आने के बावजूद उन्होंने बांग्लादेश में स्टारडम हासिल किया।

मुंबई. फिल्मों में इन दिनों नेगेटिव रोल से दिल जीत रहे एक्टर चंकी पांडे  ने गुरुवार को अपना 57 वां बर्थ डे सेलिब्रेट किया। उनका जन्म 26 सितंबर, 1962 में मुंबई में हुआ था। 80 के दशक में उन्होंने कुछ हिट फिल्में दी थीं लेकिन लीड एक्टर के रूप में वो कभी नहीं उभर पाए। हालांकि, हिंदी फिल्मों में फ्लॉप रहने के बाद चंकी बांग्लादेशी सिनेमा में हिट रहे थे। लेकिन इस बात से बहुत कम लोग ही वाकिफ होंगे की उन्होंने अपनी पहली फिल्म बाथरूम में साइन की थी। 

ऐसे मिली थी पहली फिल्म 

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दरअसल, हाल ही में कपिल शर्मा के कॉमेडी शो में चंकी पांडे ने शिरकत की थी। इस दौरान उन्होंने बताया कि डायरेक्टर पहलाज निहलानी ने 1987 में धर्मेंद्र और शत्रुघ्न सिन्हा की फिल्म 'आग ही आग' में मौका दिया था। पहलाज से पहली मुलाकात का जिक्र करते हुए चंकी ने बताया था कि वो एक शादी में नाड़े वाला कुर्ता पहनकर गए हुए थे। इस दौरान उन्होंने निहलानी को बाथरुम में जाते हुए देखा तो वे भी उनके पीछे-पीछे चले गए। वहां एक्टर ने पायजामे का नाड़ा ना खुलने का बहाना बनाया और मदद के लिए जोर-जोर से चिल्लाने लगे थे। ऐसे में निहलानी ने उनकी मदद की थी। चंकी बताते हैं कि नाड़ा खोलते-खोलते दोनों के बीच बातचीत हुई और उन्हें ये फिल्म मिल गई। 

अक्षय को एक्टर ने सिखाया था डांस

चंकी पांडे और अक्षय कुमार ने साथ में कई फिल्में की हैं। चंकी और अक्षय एक ही डांस क्लास में थे और उन्होंने ही खिलाड़ी कुमार को डांस करना सिखाया था। लेकिन उन्हें अक्षय की तरह सफलता नहीं मिली। बहरहाल, चंकी ने 'पाप की दुनिया' (1988), 'खतरों के खिलाड़ी' (1988),' 'जहरीले' (1990) और 'आंखें' (1992) जैसी सुपरहिट फिल्मों से सिनेमा जगत में अपना सिक्का जमा लिया था। उन्होंने साल 1988 की सुपरहिट फिल्म 'तेजाब' में अनिल कपूर के दोस्त का किरदार निभाया, जिसके लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड(सपोर्टिंग एक्टर) भी मिला। लेकिन 90 के दशक में उनका करियर खत्म होने लगा था।

बांग्लादेश में स्टारडम किया हासिल 

बॉलीवुड में करियर खत्म होता देख चंकी पांडे ने बांग्लादेशी सिनेमा की ओर रुख किया। स्थानीय भाषा न आने के बावजूद उन्होंने बांग्लादेश में स्टारडम हासिल किया। चंकी ने बांग्लादेशी सिनेमा में 'स्वामी केनो असामी', 'बेश कोरेची प्रेम कोरेची', 'मेयेरा ए मानुष' जैसी सुपरहिट फिल्में दीं। हालांकि उन्होंने बॉलीवुड में फिर से वापसी की। हाल ही में, उन्होंने फिल्म 'प्रस्थानम' और 'साहो' में विलेन का रोल प्ले किया था और उनकी एक्टिंग की सराहना भी की गई थी।  

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