बेहद गरीबी में बीता था कादर खान का बचपन, कभी मस्जिद पर भीख मांग कर करते थे गुजारा

कादर खान से पहले उनकी मां के तीन बेटे हुए थे, पर सभी की 8 साल की उम्र पूरी होते-होते मौत हो जाती थी। कादर के जन्म के बाद उनकी मां डर गई थीं, जिसके कारण उन्होंने भारत आने का फैसला किया और वो मुंबई आई गईं।

मुंबई. कॉमेडी से लेकर फिल्मों में विलेन का किरदार निभाने वाले कादर खान का मंगलवार को 82वां जन्मदिन है। उनका जन्म 11 दिसंबर, 1937 को अफगानिस्तान के काबुल में हुआ था। खान ने 31 दिसंबर 2018 को कनाडा के टोरंटो में अपनी अंतिम सांस ली। उन्होंने 1973 में आई "दाग" से एक्टिंग कॅरियर की शुरुआत की थी। कादर खान के करियर में सफलता के साथ-साथ मुसीबतें भी खूब रही हैं। वे कभी मस्जिद पर भीख मांग कर गुजारा किया करते थे। 

जब मां ने कही थी एक बात 

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कादर खान से पहले उनकी मां के तीन बेटे हुए थे, पर सभी की 8 साल की उम्र पूरी होते-होते मौत हो जाती थी। कादर के जन्म के बाद उनकी मां डर गई थीं, जिसके कारण उन्होंने भारत आने का फैसला किया और वो मुंबई आई गईं। कादर जब एक साल के थे तब उनके माता-पिता का तलाक हो गया था। इसके बाद वे डोंगरी जाकर एक मस्जिद पर भीख मांगते थे। दिन-भर में जो पैसे एक-दो रुपए मिलते उससे उनके घर में चूल्हा जलता था। कम उम्र में ही वे पहली बार काम पर जाने वाले थे तब उनकी मां ने उनसे कहा था कि ये तीन-चार पैसे कमाने से कुछ नहीं होगा। अभी वे सिर्फ पढ़ें बाकी मुसीबतें उनकी मां झेल लेंगी।

आखिरी घड़ी में कही थी ये बात 

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कादर खान निधन के कुछ देर पहले ही कोमा में चले गए थे। उन्होंने मौत से पांच दिन पहले खाना खाया था। ये खाना कादर खान की बहू साहिस्ता यानी सरफराज की पत्नी ने बनाया था। इसके बाद उन्होंने अस्पताल का खाना खाने से मना कर दिया था। साहिस्ता ने उन्हें समझाया कि उनके लिए खाना बहुत जरूरी है लेकिन कादर कुछ भी खाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे। कादर खान किसी भी बात का जवाब देने के लिए सिर्फ आंखों से इशारा कर रहे थे। यही एक्टर के आखिरी शब्द भी थे। उनके दोस्त ने कहा था, 'वो एक असली पठान थे। 5 दिन तक उन्होंने ना कुछ खाया और ना पानी पिया। बावजूद इसके वो 120 घंटे तक जिंदगी से जंग लड़ते रहे। ये हर किसी के बस की बात नहीं थी।'

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