गायकी ही नहीं इन चीजों में भी महारथी थी Lata Mangeshkar, जानें उनकी जिंदगी से जुड़ी अनकहीं बातें

लता मंगेशकर का बचपन पिता के प्यार से महरूम रहा।   बचपन में ही उनके सिर से पिता का साया उठ गया था और पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनके ऊपर पर आ गई थी।

मुंबई. भारत की स्वर सम्राज्ञी लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) अब हमारे बीच नहीं रही। लेकिन वो हमारे दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगी। 'भारत रत्न' लता मंगेशकर ने अपना पूरा जीवन संगीत को संर्पित कर दिया। 60 साल से ज्यादा सिंगिंग क्षेत्र में उन्होंने 20 से अधिक भाषाओं में गाने गए। 30 हजार से ज्यादा गीतों को उन्होंने अपने सुर से सजाया। लता दीदी ने हिंदी के अलावा उन्होंने बंगाली, मराठी, पंजाबी, गुजराती, तमिल और मलयालम भाषाओं में भी गाने गाए हैं। 

लता मंगेशकर का बचपन पिता के प्यार से महरूम रहा।   बचपन में ही उनके सिर से पिता का साया उठ गया था और पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनके ऊपर पर आ गई थी। लता मंगेशकर के पिता जी पण्डित दीनानाथ मंगेशकर  संगीत और थियेटर से जुड़े हुए थे। उनकी संगीत की प्रारंभिक शिक्षा घर में ही हुई। लता को 5 साल की उम्र से ही संगीत की शिक्षा देनी शुरू कर दी थी।

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छोटी उम्र में पिता का उठ गया था साया 

इसी बीच साल 1942 में उनके पिता का निधन हो गया। जब उनके पिता का निधन हुआ तब वो महज 13 साल की थीं। लता अपनी तीन बहनों मीना, आशा, उषा और एक भाई हृदयनाथ में सबसे बड़ी थी। ऐसे में परिवार में सबसे बड़ी होने के कारण परिवार की जिम्मेदारी उन पर आ गई थी।

बाल कलाकार के रूप में लता ने शुरू किया था काम

परिवार की जिम्मेदारी कंधे पर आने पर उन्होंने एक बाल कलाकार के रूप में काम किया। साल 1942 से 1948 के बीच हिन्दी और मराठी की लगभग 8 फिल्मों में काम किया। लेकिन लता को संगीत में रूची थी ना कि अभिनय में। जिसके बाद उन्होंने उस्ताद अमानत अली खान से क्लासिकल गायन की शिक्षा ली। फिर साल 1946 में उन्होंने हिंदी फिल्म 'आपकी सेवा में' में 'पा लागूं कर जोरी' गाना गाया। प्रोड्यूसर सशधर मुखर्जी ने उनकी आवाज को 'पतली आवाज' कहकर अपनी फिल्म 'शहीद' में उन्‍हें गाने से मना कर दिया। 

लता आनंदअघन के नाम से गाने भी कंपोज किया करती थी

फिर म्यूजिक डायरेक्टर गुलाम हैदर ने उन्‍हें फिल्म 'मजबूर' में 'दिल मेरा तोड़ा, कहीं का ना छोड़ा' गीत गाने को कहा जो काफी सराहा गया। इसके बाद वो आगे और आगे बढ़ती गईं। लता आनंदअघन के नाम से गाने भी कंपोज किया करती थीं। लता के कंपोज किए बंगाली गाने किशोर कुमार ने गाए थे। उन्होंने 'रामराम पाहुने' जैसी पांच मराठी फिल्मों के गाने भी कंपोज किए है। बहुत कम  लोग जानते हैं कि वो प्रोड्यूस भी रह चुकी हैं। मराठी फिल्म लता ने मराठी फिल्‍म 'वडाल', 'झांझर', 'कंचन' और हिंदी फिल्म 'लेकिन' को लता मंगेशर ने प्रोड्यूस किया।

कई अवॉर्ड से उन्हें किया गया था सम्मानित

लता मंगेशकर को साल 2001 में 'भारत रत्न' से नवाजा गया था। उनको 1969 में पद्म भूषण, 1989 दादा साहब फाल्के अवार्ड और 1999 पद्म विभूषण में से सम्मानित किया गया। साथ ही, उन्‍हें 3 बार साल 1972, 1975 और 1990 में राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया। गाने के अलावा लता मंगेशकर को फोटो खिंचवाना भी बहुत पसंद था। 

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