हे भगवान! इतनी दहशत..नॉर्मल मौत में भी शव को ना कंधा नसीब हुआ-ना घरवालों ने देखा चेहरा, सिर्फ आंसू बहे

कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण और लॉक डाउन के बीच लोग अपनों का अंतिम संस्कार तक नहीं कर पा रहे हैं। एक मामला छत्तीसगढ़ में सामने आया है। जहां युवक की मौत के बाद उसको एक नाले में दफना दिया गया। हालांकि, मृतक कोरोना संक्रमित नहीं था।

दंतेवाड़ा (छत्तीसगढ़). कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण और लॉक डाउन के बीच लोग अपनों का अंतिम संस्कार तक नहीं कर पा रहे हैं। एक मामला छत्तीसगढ़ में सामने आया है। जहां युवक की मौत के बाद उसको एक नाले में दफना दिया गया। हालांकि, मृतक कोरोना संक्रमित नहीं था।

घरवाले भी नहीं दे सके शव को कंधा
दरअसल, दंतेवाड़ा जिले के गुड़से गांव के लोग कोरोना से इतने डरे हुए हैं कि उन्होंने एक युवक की मौत के बाद उसको कंधा तक नहीं दिया। मृतक के घरवाले भी घर से बाहर नहीं निकले। ना ही उसका अंतिम संस्कार किया गया। आखिर में एक नाले में शव को दफना दिया गया।

Latest Videos

आंध्र प्रदेश में 15 दिन पहले हुई थी मौत
जानकारी के मुताबिक, 22 साल का लखमा नाम का शख्स करीब 6 महीने पहले आंध्र प्रदेश में काम करने गया था। इसी दौरान 25 मार्च को उसकी अचानक मौत हो गई। युवक के साथ काम करने वालों ने किसी तरह उसके गांव में मरने खबर दी। लेकिन, लखमा के घरवालों को लगा की उसकी मौत कोरोना से हुई है। इसलिए उन्होंने आंध्र प्रदेश में ही उसका अंतिम संस्कार करने को कहा। लेकिन, मृतक के सेठ ने दिलेरी दिखाते हुए उसके शव को दो लोगों के साथ एंबुलेंस से दंतेवाड़ा भेज दिया।

शव को गड्डा खोदकर दफन कर दिया
बॉडी आने के बाद घरवालों और ग्रामीणों ने जब अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया तो साथ आए युवकों ने गांव के पास एक पेड़ के नीचे शव को दफना दिया। लेकिन, गांववालों में कोरोना का डर बैठा हुआ था तो उन्होंने शव को वहां से निकलवाया और गांव के बाहर एक नाले में गड्डा खोदकर दफन करवा दिया।

गांव के सरपंच ने अंतिम संस्कार की नहीं दी अनुमति
मामले का पता जब जिले की स्वास्थ्य विभाग टीम को चला तो एक टीम गांव भेजी गई। जहां मेडिकल ऑफिसर डॉ. एडी बारा ने जांच करने के बाद बताया कि मृतक की बॉडी में कोरोना के लक्षण नहीं थे। वहीं गांव के संरपंच महेश ने बताया कि लखमा की मौत आंध्र प्रदेश में हुई थी, इस समय कोरोना भी चल रहा है, इसलिए हमने गांव में उसका अंतिम संस्कार करने से मना किया था। संक्रमण का खतरा धुएं से भी रहता, इसलिए श्मशानघाट में जलाने की अनुमति भी नहीं दी गई।

मृतक के भाई ने कहा-हम जैसा अभागा नहीं होगा
लखमा के बड़े भाई कुम्मा मड़कामी कहना है कि हम कितने बदनसीब हैं जो आखिरी बार भी उसका चेहरा नहीं देख पाए। उसका अंतिम संस्कार भी नहीं कर सके। क्योंकि गांववालों को कोरोना का भय था, इसलिए हम चाहकर भी उसके पास नहीं जा सके।

Share this article
click me!

Latest Videos

Mahakumbh 2025: रोज 10 कप चाय और बाइक राइडिंग के शौकीन है 'चाय वाले बाबा', 41 साल से जारी मौन व्रत
महाकुंभ 2025 में पार्किंग की रहेगी नो टेंशन, ऑटोमैटिक कट जाएगा चार्ज । Prayagraj Mahakumbh 2025
Mahakumbh 2025: 41 साल से मौन, रोज 10 चाय बाइक राइडिंग के शौकीन है बाबा #Shorts
Mahakumbh 2025: चल रहीं थी महाकुंभ की महा तैयारियां! सुरक्षा की चिंता में प्रयागराज पहुंचे DGP
Mahakumbh 2025: अंदर से ऐसा है कुंभ विलेज का नजारा, मिलेंगी सभी सुविधाएं #Shorts