
रायपुर (छत्तीसगढ़). शनिवार को बीजापुर के जंगल में हुए नक्सली हमले में 23 जवान शहीद हो गए। वहीं 31 जवान घायल हुए हैं। जवानों के इस बलिदान से पूरा देश दुखी है। अब इन वीर सपतों की इमोशनल कहानियां सामने आ रही हैं, जिनको जानकर हर किसी की आंखों में आंसू आ जाते हैं। ऐसी एक साहस और दोस्ती की कहानी सामने आई है, जहां एक जवान के शहीद होने के बाद उसका दूसरा दोस्त आंसू बहा रहा है। पढ़िए भावुक कर देने वाली यह खबर
हर तरफ से गोलियों की तड़तड़ाहट और धमाके हो रहे थे
दरअसल, 3 अप्रैल को हुई नक्सलियों और सुरक्षाबलों की मुठभेड़ में बासागुड़ा का रहने वाला जवान सुभाष नायक भी शहीद हो गया। सुभाष की शहादत से परिवार के अलावा उसका साथी फौजी को शंकर पुनेम भी गहरे सदमे में है। शंकर डीआरजी का जवान है और मुठभेड़ के दिन सुभाष के साथ था।
वह अपने दोस्त को हमले में मरता देख रहा था। सुभाष को नक्सलियों ने चारों तरफ से घेर लिया था। नक्सली उसपर गोलियां बरसा रहे थे, और हर तरफ से बम फट रहे थे। तब शंकर दूसरी छोर पर नक्सलियों के लिए पोजिशन लिए हुए था। वह चाहकर भी अपने दोस्त के पास नहीं जा पा रहा था। हर तरफ से गोलियों की तड़तड़ाहट और धमाके हो रहे थे। धुंए की धुंध से उसे कुछ दिखाई नहीं दिया और इसी बीच सुभाष शहीद हो गया।
शहीद ने जान पर खेलकर बचाई थी दोस्त की जान
जवान शंकर ने बताया कि तीन साल पहले 2018 में बासागुड़ा साप्ताहिक बाजार में नक्सलियों ने उस पर हमला किया था। इस दौरान सुभाष उसके साथ था, जिसने अपनी जान पर खेलकर उसे मौत के मुंह से बचा लाया था। सुभाष इतनी बहादुरी से नक्सलियों से लड़ा था कि इस दौरान एक नक्सली को मार गिराया था । साथ ही कई के उसने हथियार छीन लिए थे। उसकी इस इसी जांबाजी को देख सीनियरों ने उसे पदोन्नत भी किया था। लेकिन मुझे जिंदगी भर इसी बात का पछतावा रहेगा कि वह साथ होकर भी अपने दोस्त की जान नहीं बचा पाया।
पिता दिहाड़ी मजदूरी कर पालते हैं पेट
बता दें कि शहीद जवान सुभाष का परिवार बासागुड़ा में तालपेरु नदी के किनारे एक छोटे से मकान में रहता है। वह अपने परिवार का इकलौता कमाने वाला था। जिसकी कमाई से पूरे परिवार का पेट भरता था। अब सवाल यह है कि कौन उसके परिवार का पालन पोषण करेगा। उसके परिवार में बूढ़ी मां, पत्नी और उसके अपने तीन बच्चे हैं। जिनका रो-रोकर बुरा हाल है, वह यही कह रहे हैं कि सुभाष तेरे जाने के बाद हमारा क्या होगा। सुभाष के पिता दिहाड़ी मज़दूरी करते हैं। वह मूलरूप से ओडिशा के रहने वाले हैं और रोजी रोटी की जुगत में यहां रहने लगे। उनको यही डर सता रहा है कि उनके जीवान की गाड़ी को अब कौन आगे बढ़ाएगा।
छत्तीसगढ़ की सरकारी योजनाएं, शिक्षा-रोजगार अपडेट्स, नक्सल क्षेत्र समाचार और स्थानीय विकास रिपोर्ट्स पढ़ें। रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग और बस्तर क्षेत्र की खबरों के लिए Chhattisgarh News in Hindi सेक्शन फॉलो करें — सबसे विश्वसनीय राज्य कवरेज यहीं।