मासूम का दर्द: मजदूर की बेटी कहती- पापा मेरा क्या कसूर, मैं बाहर क्यों नहीं खेल सकती

कोरोना वायरस की वजह से देश के मासूम बच्चे अपने दोस्तों के साथ खेल-कूद नहीं पा रहे हैं। वह पिछले दो महीनों से अपने घरों में ना चाहकर भी कैद हैं। ऐसी ही एक मार्मिक तस्वीर छत्तीसगढ़ से सामने आई है। जहां एक मासम बच्ची क्वारैंटाइन सेंटर में अपने पिता के साथ रह रही है, उसका खेलने का मन करता है, लेकिन वह बाहर नहीं जा पा रही है।
 

बालोद (छत्तीसगढ़). कोरोना वायरस की वजह से देश के मासूम बच्चे अपने दोस्तों के साथ खेल-कूद नहीं पा रहे हैं। वह पिछले दो महीनों से अपने घरों में ना चाहकर भी कैद हैं। ऐसी ही एक मार्मिक तस्वीर छत्तीसगढ़ से सामने आई है। जहां एक मासूम बच्ची क्वारैंटाइन सेंटर में अपने पिता के साथ रह रही है। उसका खेलने का मन करता है, लेकिन वह बाहर नहीं जा पा रही है।

एक साप्ताह से क्वारैंटाइन सेंटर में ठहरा है परिवार
दरअसल, दिल को छू देने वाला यह मामला बालोद जिला मुख्यालय से 17 किमी दूर ग्राम भेड़ी के क्वारैंटाइन सेंटर का है। जहां एक स्कूल में हैदराबाद से लौटे मजदूर अपनी चार साल की बेटी साक्षी के साथ पिछले एक सप्ताह से बंद है। 

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(यह तस्वीर बिलासपुर के बस स्टैंड की है। जहां बस के इंतजार में आए मजदूर जमीन पर चादर बिछाकर ऐसे ही लेट गए।)

पापा में कब बाहर जाकर खेलूंगी..
मासूम बच्ची के पिता पवन कुमार ने बताया कि उसकी साक्षी स्कूल के गेट पर खड़ी होकर सामने बने घरों के बच्चों को खेलते देखती रहती है। वह मुझसे कहती है- पापा मैं कब बाहर जाकर खेलूंगी..अपने को यहां क्यों बंद किया गया है, मैंने क्या गलती की है। बिटिया की बातें सुनकर मैं भावुक हो जाता हूं, लेकिन चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता।

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