GOOD NEWS: रूस ने भारत को Sputnik V की टेक्नोलॉजी मुफ्त में ट्रांसफर करने का दिया ऑफर

कोरोना महामारी से जूझ रही दुनिया एक-दूसरे की मदद को आगे आ रही है। भारत ने अपनी वैक्सीन न सिर्फ दुनियाभर के कई देशों को सप्लाई कीं, बल्कि दुश्मन पाकिस्तान को भी मदद करने से पीछे नहीं हटा। अब भारत का दोस्त देश रूस  Sputnik V की टेक्नोलॉजी भारत को मुफ्त ट्रांसफर करने का तैयार है। बता दें कि भारत ने रूस में बनी कोरोना वायरस वैक्‍सीन Sputnik V को इमरजेंसी इस्‍तेमाल की मंजूरी दी है। भारत में Sputnik V वैक्सीन बना रही डॉ रेड्डी लैब ने वैक्सीन के इमरजेंसी इस्‍तेमाल के लिए मंजूरी मांगी थी। सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने इसे स्वीकार कर लिया था।

Asianet News Hindi | Published : Apr 15, 2021 8:14 AM IST

नई दिल्ली.रूस ने दोस्तीवाला एक बड़ा ऐलान किया है। उसने कहा है कि वो भारत को  Sputnik V वैक्सीन की टेक्नोलॉजी मुफ्त मुहैया कराने को तैयार है। यानी इसके प्रोडक्शन से लेकर आवश्यक वित्तीय सहायता तक वो शेयर करने को तैयार है। रूस ने चीन को भी यह प्रॉमिस किया है। 

कोरोना महामारी से जूझ रही दुनिया एक-दूसरे की मदद को आगे आ रही है। भारत ने अपनी वैक्सीन न सिर्फ दुनियाभर के कई देशों को सप्लाई कीं, बल्कि दुश्मन पाकिस्तान को भी मदद करने से पीछे नहीं हटा। अब भारत का दोस्त देश रूस  Sputnik V की टेक्नोलॉजी भारत को मुफ्त ट्रांसफर करने का तैयार है। बता दें कि भारत ने रूस में बनी कोरोना वायरस वैक्‍सीन Sputnik V को इमरजेंसी इस्‍तेमाल की मंजूरी दी है। भारत में Sputnik V वैक्सीन बना रही डॉ रेड्डी लैब ने वैक्सीन के इमरजेंसी इस्‍तेमाल के लिए मंजूरी मांगी थी। सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने इसे स्वीकार कर लिया था।

जानें यह बात...
रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड(RDIF) एजेंसी ने बताया कि स्पूतनिक वी कोरोना वैक्सीन को परमिशन देने वाला भारत 60वां देश है। RDIFके सीईओ किरिल दिमित्रेव  (Kirill Dmitriev) ने कहा कि भारत में इस वैक्सीन की हर साल 850 मिलियन डोज बनने जा रही हैं। यह दुनियाभर के करीब 425 मिलियन लोगों के लिए पर्याप्त हैं। इस वैक्सीन के लिए 10 देशों के बीच पार्टनरशिप हुई है। भारत में अभी कोरोना की कोविशील्ड और कोवैक्सिन वैक्सीन का इस्तेमाल हो रहा है। ऐसे में इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी के बाद स्पुतनिक वी तीसरी वैक्सीन बन गई है। रूस की स्पुतनिकवी वैक्सीन दुनिया की पहली वैक्सीन है। रसियन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट फंड (RDIF) ने भारत में हैदराबाद की डॉ रेड्डी लैब और हेटेरो बायोफार्मा, ग्लैंड फार्मा, स्टेलिस बायोफार्मा और विच्रो बायोटेक से कॉन्ट्रैक्ट किया है। 

कितनी असरदार है वैक्सीन
रूस के गैमेलेया नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी स्पुतनिकV वैक्सीन को बनाया है। रूस का दावा है कि वैक्सीन 95% तक असरदार है। हालांकि, फेज 3 ट्रायल के अंतरिम नतीजों में इसे 91.6% असरदार पाया गया है।

भारत में रामबाण साबित हो सकती है Sputnik V 
भारत में कोरोना वैक्सीन की अभी दो वैक्सीन इस्तेमाल की जा रही हैं। कुछ राज्यों में वैक्सीन की कमी की खबरें भी सामने आई हैं। ऐसे में स्पुतनिकवी को मंजूरी मिलने से देश में वैक्सीनेशन प्रोग्राम को और तेजी मिल सकती है। इसके अलावा यह वैक्सीन भारत बायोटेक की Covaxin और सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की Covishield से ज्यादा असरदार है। ऐसे में इस वैक्सीन से नतीजे और बेहतर मिल सकते हैं।  इसके अलावा  Sputnik V वैक्सीन की खास बात ये है कि इसे 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच स्‍टोर किया जा सकता है। इसी तरह कोविशील्ड और कोवैक्सिन को स्टोर करना भी आसान और सुविधाजनक है। Sputnik की भी दो डोज देनी पड़ेंगी। 

क्या होता है इमरजेंसी अप्रूवल?
वैक्सीन, दवाओं, डायग्नोस्टिक टेस्ट्स और मेडिकल डिवाइसेज के लिए इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन लिया जाता है। भारत में इसके लिए सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) रेगुलेटरी बॉडी है। CDSCO वैक्सीन और दवाओं के लिए उनकी सेफ्टी और असर के आकलन के बाद ऐसा अप्रूवल देता है।

अक्टूबर तक भारत के पास होंगी 5 और वैक्सीन 
भारत ने कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए जंग और तेज कर दी है। ऐसे में माना जा रहा है कि भारत को अक्टूबर तक 5 और वैक्सीन मिल सकती हैं। उम्मीद की जा रही है कि स्पुतनिकवी (डॉ रेड्डी), जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन ( बायोलॉजिकल), नोवावैक्स (सीरम इंस्टीट्यूट), जाइडस कैडिला और भारत बायोटेक की इंट्रानासल वैक्सीन को अक्टूबर के अंत तक मंजूरी मिल सकती है। हालांकि, सरकार का किसी वैक्सीन को इस्तेमाल की मंजूरी देने से पहले सुरक्षा और असर पर ध्यान है।
 

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