16 साल की ऋचा ने जीता सभी का दिल, कोरोना से निपटने के लिए दान किए 1 लाख रुपये

टी20 विश्व कप में फाइनल सहित दो मैच खेलने वाली ऋचा ने कहा, ‘‘जब हर कोई कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में जुटा है और मुख्यमंत्री ने भी इसके खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की अपील की तो मैंने भी देश की जिम्मेदार नागरिक होने के नाते योगदान करने का सोचा। ’’
 

Asianet News Hindi | Published : Mar 29, 2020 9:33 AM IST

कोलकाता. इस महीने के शुरू में महिला टी20 विश्व कप में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली 16 वर्षीय ऋचा घोष ने कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई के लिये बंगाल मुख्यमंत्री राहत कोष में एक लाख रूपये दान में दिये। बंगाल क्रिकेट संघ (कैब) ने कहा कि ऋचा के पिता मानाबेंद्रा घोष शनिवार को चेक देने लिये सिलिगुड़ी जिला मजिस्ट्रेट सुमंत सहाय के निवास पर गये।

टी20 विश्व कप में फाइनल सहित दो मैच खेलने वाली ऋचा ने कहा, ‘‘जब हर कोई कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में जुटा है और मुख्यमंत्री ने भी इसके खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की अपील की तो मैंने भी देश की जिम्मेदार नागरिक होने के नाते योगदान करने का सोचा। ’’

टी20 विश्व कप से पहले आस्ट्रेलिया में त्रिकोणीय श्रृंखला में पदार्पण करने वाली ऋचा और शेफाली वर्मा दो 16 वर्षीय खिलाड़ी थीं जो आठ मार्च को हुए फाइनल में खेली थी जिसमें भारत को आस्ट्रेलिया से 85 रन से हार का सामना करना पड़ा था।

मदद के लिए आगे आया कैब 
कैब की मान्यता प्राप्त इकाईयों और अधिकारियों ने भी राज्य संस्था की ओर से अपने योगदान की घोषणा की। कैब ने कहा, ‘‘66 कैब मैच पर्यवेक्षकों ने 1.5 लाख रूपये जबकि 82 स्कोरर ने अपने एक दिन का वेतन दिया जो मिलाकर 77,420 रूपये होता है। ’’ कैब में मोहम्मडन स्पोर्टिंग क्लब के प्रतिनिधि दीपक सिंह ने राहत कोष में दो लाख रूपये का दान दिया।

छोटे-छोटे योगदान कर रही बड़ी मदद
पूर्व महिला टेस्ट खिलाड़ी एम मुखर्जी ने 25,000 रूपये का योगदान करने की इच्छा व्यक्त की। बंगाल की अंडर-23 टीम के कोच जयंत घोष दास्तीदार 10,000 रूपये का योगदान करेंगे। कैब की मान्यता प्राप्त इकाईयों में वाइट बार्डर क्लब और विजय स्पोर्ट्स क्लब ने 50-50 हजार रूपये दान देने की घोषणा की। उत्तर पाली मिलन संघ, सबर्बन क्लब और रेंजर्स क्लब 25-25 हजार रूपये का योगदान करेंगे।

जिला खेल संघों में कूचबेहार डीएसए ने राज्य राहत कोष में 10,000 रूपये का दान दिया।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

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