दानिश कनेरिया जैसे लोगों के लिए ही बना है CAA, हमें इस पर गर्व होना चाहिएः अमित मालवीय

पाकिस्तान के पूर्व लेग स्पिनर दानिश कनेरिया के साथ भेदभाव की बात सामने आने के बाद भारत में लोगों ने इस मामले को CAA से जोड़कर देखना शुरू कर दिया है। लोगों का मानना है कि CAA दानिश जैसे लोगों को न्याय दिलाने के लिए ही बनाया गया है।

Asianet News Hindi | Published : Dec 26, 2019 8:07 PM IST

नई दिल्ली. पाकिस्तान के पूर्व लेग स्पिनर दानिश कनेरिया के साथ भेदभाव की बात सामने आने के बाद भारत में लोगों ने इस मामले को CAA से जोड़कर देखना शुरू कर दिया है। लोगों का मानना है कि CAA दानिश जैसे लोगों को न्याय दिलाने के लिए ही बनाया गया है। भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने दानिश की घटना का जिक्र करते हुए लिखा कि "आखिरकार! CAA, एक मानवीय कानून, उत्पीड़ित धार्मिक अल्पसंख्यकों को प्रोत्साहित कर रहा है, ताकि वो उनके साथ होने वाले अत्याचारों के खिलाफ बोल सकें। भारत को इस कानून द्वारा जो हासिल हुआ है, उस पर गर्व होना चाहिए। क्या मानवाधिकार, वामपंथी और कांग्रेस के चैंपियन अब इसके खिलाफ अभियान चलाएंगे?"

बता दें कि पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर ने एक टीवी चैनल पर पाकिस्तान टीम में धर्म के आधार पर भेदभाव का खुलासा किया था। जिसके बाद अपने साथ हुए भेदभाव पर दनिश ने कहा "पाक खिलाड़ियों को कनेरिया के साथ खाने में समस्या होती थी क्योंकि वह टीम में एक हिंदू खिलाड़ी था। शोएब अख्तर ने सच कहा। मैं उन खिलाड़ियों के नाम बताऊंगा जो मुझसे बात करना भी पसंद नहीं करते थे क्योंकि मैं एक हिंदू था। उस समय इस पर बोलने की हिम्मत नहीं थी, लेकिन अब मैं बोलूंगा और उनके नाम बताऊंगा।"

इससे पहले पाकिस्तान के एक टीवी चैनल में खुलासा करते हुए तेज गेंदबाज शोएब अख्तर ने बताया कि हिंदू होने के कारण साथी खिलाड़ी दानिश कनेरिया के साथ भेदभाव करते थे। शोएब अख्तर ने चौकाने वाला खुलासा करते हुए बताया कि कुछ खिलाड़ियों को इस बात से दिक्कत थी कि दानिश उनके साथ खाना क्यों खाता है। इस टीवी शो में शोएब अख्तर के अलावा पूर्व कप्तान राशिद लतीफ और पाकिस्तान के पूर्व मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज असिम कमाल भी शामिल थे। 

भारत में पिछले कई दिनों से CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहा है। CAA ऐसा कानून है जिसके तहत भारत अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर सताए गए अल्पसंख्यक लोगों को बाकी शरणार्थियों से जल्दी नागरिकता दे सकता है। 

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