पूर्व क्रिकेटर पेट्रोल पंप पर बांट रहे चाय व पावरोटी, कभी मैदान में उतरते ही विपक्षी टीम में मच जाती थी खलबली

Sri Lanka economic crisis स्वतंत्रता के बाद से श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है, देश आवश्यक वस्तुओं के आयात के लिए डॉलर खोजने में असमर्थ है। पेट्रोल-डीजल के लिए पेट्रोल पंप्स पर लंबी-लंबी कतारों में लोग ईंधन के लिए घंटों इंतजार कर रहे हैं। मूलभूत आवश्यकताओं के लिए अधिक कीमत चुकाने के साथ ही कतारें लगानी पड़ रही है।

Dheerendra Gopal | Published : Jun 19, 2022 11:57 AM IST / Updated: Jun 19 2022, 05:28 PM IST

नई दिल्ली। श्रीलंका (Sri Lanka economic crisis) इन दिनों आर्थिक मंदी के दौर से तो गुजर ही रहा है, भोजन-ईंधन-दवाईयों जैसी मूलभूत आवश्यकताओं से भी जूझ रहा है। पेट्रोल-डीजल के लिए पेट्रोल पंप्स पर लंबी-लंबी कतारों में लोग ईंधन के लिए घंटों इंतजार कर रहे हैं। मूलभूत आवश्यकताओं के लिए अधिक कीमत चुकाने के साथ ही कतारें लगानी पड़ रही है। बेचैन और परेशान देशवासियों की मदद के लिए एक क्रिकेटर अपनी क्षमता के अनुसार सेवा में जुटा हुआ है।

श्रीलंका टीम के पूर्व क्रिकेटर रोशन महानामा (Roshan Mahanama), कोलंबो के पेट्रोल पंप पर लंबी कतारों में खड़े लोगों के लिए चाय व पावरोटी देकर उनकी सेवा में लगे देखे जा सकते हैं। पूर्व क्रिकेटर के कई फोटो वायरल हो रहे हैं। दरअसल,स्वतंत्रता के बाद से श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है, देश आवश्यक वस्तुओं के आयात के लिए डॉलर खोजने में असमर्थ है।

 

रोशन महानामा ने दी ट्वीट किया

क्रिकेटर ने ट्विटर पर पोस्ट किया कि कतारें दिन पर दिन लंबी होती जा रही हैं और कतारों में रहने वाले लोगों के लिए कई स्वास्थ्य जोखिम होंगे। हमने आज शाम सामुदायिक भोजन शेयर की टीम के साथ वार्ड प्लेस और विजेरामा मावथा के आसपास पेट्रोल की कतारों में लोगों के लिए चाय और बन परोसा।

पेट्रोल स्टेशनों की सुरक्षा के लिए सशस्त्र बल व सेना

श्रीलंका ने ईंधन स्टेशनों की सुरक्षा के लिए सशस्त्र पुलिस और सैनिकों को तैनात किया है। सरकार ने गरीब देश में आने-जाने और घटते ईंधन के भंडार को बचाने के लिए राज्य के संस्थानों और स्कूलों को दो सप्ताह के लिए बंद करने की घोषणा की है। सरकारी दफ्तरों को बंद कर वर्क फ्रॉम होम का आदेश दिया गया है। मूलभूत सुविधाओं के लिए लोग आंदोलित हैं। बीते दिनों लोगों के गुस्से और उग्र आंदोलन को देखते हुए श्रीलंका के सबसे पॉवरफुल राजनीतिक परिवार राजपक्षे बंधुओं में कईयों को सत्ता से हटना पड़ा था। श्रीलंका के तत्कालीन पीएम महिंदा राजपक्षे व पूरा मंत्रिमंडल इस्तीफा दे दिया था। राष्ट्रपति गोटाबया राजपक्षे ने भी फिर से चुनाव न लड़ने का ऐलान किया है। 

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