पाकिस्तान में अख्तर की गेंद पर याद होगा बालाजी का ये छक्का, भारत में नस्लवाद पर छलका क्रिकेटर का दर्द

लक्ष्मीपति बालाजी ने कहा कि स्किन के रंग की वजह से क्रिकेट और निजी जीवन में उन्हें बहुत भेदभाव झेलने पड़े। किसी मैच या खिलाड़ी का नाम तो नहीं लिया मगर पूर्व क्रिकेटर ने अपनी आपबीती साझा की। 

Asianet News Hindi | Published : Jun 15, 2020 7:06 AM IST / Updated: Jun 15 2020, 12:39 PM IST

स्पोर्ट्स डेस्क। हाल ही में वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान डैरेन सैमी ने भारतीय क्रिकेट खासकर आईपीएल के दौरान साथी खिलाड़ियों पर नस्ली टिप्पणी करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि सनराइजर्स के साथी खिलाड़ी उन्हें "कालू" कहकर बुलाते थे और बाद में उन्हें शब्द का मतलब पता चला था। हालांकि बाद में सैमी अपने बयान से पलट गए और कहा कि दरअसल, उन्हें मज़ाक में कालू बुलाया जाता था। अब टीम इंडिया के पूर्व दिग्गज तेज गेंदबाज ने भारत में नस्लवाद का आरोप लगाया है। 

लक्ष्मीपति बालाजी टीम इंडिया के दिग्गज पेसर रहे हैं। आपबीती सुनाते हुए कहा कि बेहद करीब से उन्होंने भेदभाव देखा है। एक बातचीत में बालाजी ने कहा, "यह (नस्लवाद) मानसिकता से बड़ी समस्या का हिस्सा है, जो हमारे घरों और स्कूलों में बहुत अंदर तक धंसा हुआ है।" 

मैंने क्रिकेट में झेला नस्लवाद 
बालाजी ने कहा कि स्किन के रंग की वजह से क्रिकेट और निजी जीवन में उन्हें बहुत भेदभाव झेलने पड़े। किसी मैच या खिलाड़ी का नाम तो नहीं लिया मगर पूर्व क्रिकेटर ने कहा, "मैंने क्रिकेट में हर स्तर पर अपने रंग की वजह से भेदभावपूर्ण और अपमानजनक भाषा का सामना किया। हर कोई, सिर्फ क्रिकेटर्स ही नहीं। भेदभाव (नस्लवाद) की कोई सीमा नहीं है।"

बालाजी ने कहा, "यह (नस्लवाद) संस्कृति हमारे घरों से शुरू होती है। जहां बच्चों को उनके रंग रूप की वजह से विशेष उपनाम देकर बुलाया जाता है। लोग इसे महज उपनाम मानते हैं, मगर यह नहीं समझते कि बच्चे पर इसका किस तरह से असर पड़ता है।"

आज तक नहीं भुला पाया वो खट्टा अनुभव 
बालाजी ने बताया, "13 साल की उम्र में जब मैं सातवीं कक्षा में फेल हो गया था। उस उम्र में एक कक्षा में फिर से पढ़ना मेरे लिए अपमानजनक रहा। मैंने सामाजिक दबाव और हताश करने वाले अहसास को झेला जिसने मुझे मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावित किया।" बालाजी के मुताबिक उस चीज को 25 साल गुजर गए हैं लेकिन वो अब तक उसे भुला नहीं पाए हैं। 

पाकिस्तानी दौरे ने बना दिया था हीरो 
38 साल के इस पूर्व क्रिकेटर ने टीम इंडिया के लिए 8 टेस्ट, 30 एकदिवसीय मैच और 5 टी 20 मैच खेलें। अलग अलग फॉर्मेट में इस गेंदबाज ने 71 इंटरनेशनल विकेट हासिल किए। बालाजी को पाकिस्तान दौरे के लिए याद किया जाता है। उस टूर में बालाजी ने न सिर्फ गेंदबाजी बल्कि अपनी बैटिंग से भी लोगों का दिल जीता था। यहां तक कि पाकिस्तान के तत्कालीन प्रेसिडेंट जनरल परवेज़ मुशर्रफ उनके फैन बन गए थे। 

यादगार है शोएब अख्तर की गेंद पर वो छक्का 
दरअसल, मैच के आखिरी ओवर में पुछल्ले बल्लेबाज के रूप में बालाजी ने रावलपिंडी एक्सप्रेस शोएब अख्तर की पहली ही गेंद पर जबरदस्त छक्का जड़ दिया था। शोएब की दूसरी गेंद पर भी उन्होंने फिर प्रहार किया मगर इस बार बैट के परखच्चे उड़ गए। बालाजी ने उस मैच में सिर्फ 10 ही रन बनाए, मगर सभी को अपना दीवाना बना लिया। आज भी अख्तर पर जड़ा वो छक्का लोगों को रोमांचित कर देता है। 

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