सचिन तेंदुलकर ने दी आईसीसी को सलाह, कहा - डीआरएस में गेंद स्टम्प को छू रही हो तो बल्लेबाज को दिया जाए आउट

दुनिया के महानतम बल्लेबाजों में से एक मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने आईसीसी को  DRS के नियम में कुछ बदलाव करने की सलाह दी है। 

Asianet News Hindi | Published : Jul 12, 2020 10:44 AM IST / Updated: Jul 12 2020, 04:16 PM IST

स्पोर्ट्स डेस्क। दुनिया के महानतम बल्लेबाजों में से एक मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने आईसीसी को  DRS के नियम में कुछ बदलाव करने की सलाह दी है। तेंदुलकर ने कहा है कि आईससी LBW के लिए मांगे गए DRS पर अपने नियम में बदलाव करे। उन्होंने कहा कि अगर कैमरे में यह दिख रहा है कि गेंद स्टम्प को छू कर निकलेगी तो बल्लेबाज को आउट दिया जाना चाहिए। 

फिलहाल क्या है नियम
फिलहाल एलबीडब्ल्यू के लिए डीआरएस प्रणाली में जो नियम है, उसके अनुसार अगर अंपायर ने बल्लेबाज को आउट नहीं दिया है और विपक्षी टीम ने इस पर डीआरएस मांगा है, तो अंपायर का निर्णय तभी बदला जा सकता है, जब कम से कम गेंद का 50 फीसदी हिस्सा स्टम्प को छू रहा हो। अगर ऐसा नहीं होता तो अंपायर का निर्णय ही मान्य होता है। 

तेंदुलकर ने वीडियो किया ट्वीट
सचिन तेंदुलकर एक वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा है कि अगर गेंद स्टम्प पर लग रही है तो यह मायने नहीं होना चाहिए कि वह 50 फीसदी टच है या उससे कम। अगर डीआरएस यह दिखा रहा है कि गेंद स्टम्प पर लगेगी तो आउट दिया ही जाना चाहिए। इस वीडियो में सचिन तेंदुलकर महान बल्लेबाज और वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान ब्रायन लारा से डीआरएस सिस्टम पर बात कर रहे हैं। 

और क्या कहा सचिन ने
ब्रायन लारा से चर्चा करते हुए सचिन तेंदुलकर ने कहा कि मैं आईसीसी से जिस बात पर सहमत नहीं हूं, वह डीआरएस है। सचिन ने कहा कि एलबीडब्ल्यू को लेकर निर्णय लेने में इसका इस्तेमाल काफी समय से किया जा रहा है। इसमें अंपायर का निर्णय बदलने के लिए गेंद स्टम्प्स पर 50 फीसदी से ज्यादा टकराती दिखनी चाहिए। 100 अंतरराष्ट्रीय शतक बनाने वाले सचिन ने कहा कि जब कोई निर्णय रिव्यू के लिए अंपायर के पास जाता है तो टेक्नोलॉजी को अपना काम करने देना चाहिए, जैसा कि टेनिस में होता है। 

बतलाई बदलाव की जरूरत
लारा से बात करते हुए सचिन ने डीआरएस नियम में बदलाव की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अभी डीआरएस पर कोई निर्णय जब अंपायर के कॉल पर जाता है तो करीबी मामलों में रिव्यू लेने वाली टीम का रिव्यू बेकार नहीं जाता। लेकिन बल्लेबाज को आउट भी नहीं दिया जाता है। वहीं, जब बल्लेबाज रिव्यू मांगता है तो मामला करीबी होने पर बैटिंग टीम का रिव्यू बरकरार रहता है।  

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