दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी ने सभी 70 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। आप पिछले 5 साल में किए गए विकास के मुद्दे को लेकर चुनाव में उतर रही है।
नई दिल्ली. दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी ने सभी 70 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। आप पिछले 5 साल में किए गए विकास के मुद्दे को लेकर चुनाव में उतर रही है। आम आदमी पार्टी का कहना है कि उसकी सरकार ने विकास करके दिल्ली की सूरत बदली है और अगर किसी को लगता है कि पिछले 5 सालों में दिल्ली के अंदर विकास नहीं हुआ है तो वो आम आदमी पार्टी और कोजरीवाल को वोट ना दे। भाजपा ने भी दिल्ली की 57 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। पार्टी जल्द ही बाकी की 13 सीटों पर भी अपने प्रत्याशी घोषित करेगी। हालांकि भाजपा ने अभी तक अपने मुख्यमंत्री के चेहरे का एलान नहीं किया है। इस बात को लेकर आम आदमी पार्टी ने चुटकी ली है।
आप ने अपने ऑफीशियल ट्विटर हैंडल से पूछा है कि ‘Who's the CM candidate of BJP4Delhi?.
भाजपा की ही रणनीति अपना रही आप
आम आदमी पार्टी विधानसभा चुनावों में भाजपा की ही रणनीति पर काम कर रही है। भाजपा ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की तरफ से प्रधानमंत्री के चेहरे की कमी का फायदा उठाया था और कांग्रेस से पूरे चुनाव के दौरान भाजपा नेता पूछते रहते थे कि प्रधानमंत्री पद का दावेदार कौन है। क्योंकि प्रधनमत्री मोदी के सामने कांग्रेस के पास सशक्त चेहरा नहीं था। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भी भाजपा ने यह रणनीति अपनाई थी। अब भाजपा के पास भी दिल्ली चुनावों में केजरीवाल के सामने कोई सशक्त चेहरा नहीं है, जिसे मुख्यमंत्री पद का दावेदार बनाया जा सके। आम आदमी पार्टी इसी बात का फायदा उठाना चाह रही है।
दिल्ली में भी मोदी और केजरीवाल के बीच टक्कर
दिल्ली चुनावों में भी भाजपा केन्द्र सरकार के मुद्दों को भुनाने की कोशिश में लगी है। इसी के चलते पार्टी ने चुनावों में नारा दिया है, दिल्ली चले मोदी के साथ। और मोदी है तो मुमकिन है। आम आदमी पार्टी ये चुनावों स्थानीय मुद्दों पर ही लड़ना चाहती है, क्योंकि केन्द्र में उसका कोई अस्तित्व ही नहीं है। पार्टी ने 5 साल बेमिसाल और अच्छे बीते 5 साल, लगे रहो केजरीवाल के नारे के साथ चुनाव में उतरी है। 2019 के लोकसभा चुनावों में आप को 7 में से एक भी सीट नहीं मिली थी, जिसके बाद पार्टी के नेताओं को विधानसभा चुनावों में हार का डर सता रहा है।